राॅकेट ईंधन | प्रणोदक क्या होते हैं | Rocket Fuel GK in Hindi
राॅकेट ईंधन | प्रणोदक क्या होते हैं
वे सब पदार्थ जो अकेले या अन्य पदार्थों से
प्रतिक्रिया करके ऊष्मा प्रदान करते हैं, ईंधन
कहलाते हैं। अधिकांश ईंधन में कार्बन उपस्थित रहता है।
राॅकेट ईंधन को प्रणोदक कहते हैं। राकेट के
प्रणोदन में लिए प्रणोदक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
प्रणोदक वैसे ईंधन हैं, जिनके जलने से अत्यधिक मात्रा में गैसें एवं ऊर्जा उत्पन्न होती है तथा इनका दहन बहुत तीव्र गति से होता है एवं दहन के पश्चात कोई अवशेष नहीं बचता है।
प्रणोदक के दहन के फलस्वरूप उत्पन्न गैसें
राॅकेट के पिछले भाग से ‘जेट‘ के रूप में बहुत तीव्र गति से बाहर निकलती हैं। इसके कारण राॅकेट को
इच्छित प्राप्त होती है।
प्रणोदक क्या है What is Propellants
रॉकेट में प्रयुक्त ईंधन प्रणोदक है कहलाता है.
प्रणोदक का दहन अत्यधिक तीव्रता से होता है तथा दहन के दौरान अत्यधिक मात्रा में
गैस व् ऊर्जा उत्पन्न होती है. यद्यपि इनके दहन के पश्चात कोई अवशेष नहीं बचता है.
प्रणोदक के दहन के फलस्वरुप उत्पन्न गैस रॉकेट
के पिछले भाग के जेट के रूप में बहुत तीव्र गति से बाहर निकलती है, जिससे रॉकेट का उचित दिशा में प्रणोदन होता है.
एल्कोहल, द्रव
हाइड्रोजन, द्रव अमोनिया, केरोसिन, हाइड्रोजन आदि द्रव प्रणोदक के प्रमुख उदाहरण है. कृत्रिम रबड़ का
प्रयोग भी प्रणोदक की तरह किया जाता है.
राॅकेट इंजन में प्रयुक्त होने वाले ईधन मुख्य
रूप से तीन प्रकार के होते हैं-
ठोस ईधन-
- पाॅली यूरेथीन
- पाॅली ब्यूटाडाइन
- अमोनियम परक्लोरेट (आक्सीकारक के रूप में)
तरल ईंधन-
- तरल हाइड्रोजन
- केरोसीन
- आक्सीजन, नाइट्रिक अम्ल, नाइट्रोजन टेट्राॅक्साइड (आक्सीकारक)
ठोस-तरल ईंधन
एथ्रीलिक रबर
नाइट्रोन टेट्राॅक्साइड (आक्सीकारक)
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर Liquid Propulsion Systems Centre : LPSC
इस सेंटर को सभी द्रव इंजनों का विकास कार्य
करने का दायित्व है, जो उपग्रहों तथा प्रमोचन यानों के लिए
आवश्यक हैं। यह तमिलनाडु के तिरूनेल्वेली जिले के महेन्द्रगिरी नाम स्थान पर द्रव
इंजनों की जांच की वृहत सुविधा प्रदान करता है।
एपलीएसी स्वदेशी प्रक्षेपण वाहनों तथा उपग्रहों को रिमोट कंट्रोल सिस्टम उपलबध कराता है जिससे यह अपने ‘अभिविन्यास को कायम रख सकें। एलपीएलसी द्वाा ‘भूस्थैतिक उपग्रह प्रमोचक यान‘ (जीएसएलवी) के लिए आवश्यक निम्नतापी (क्रायोजेनिक )इंजन का विकास भी किया जा चुका है।
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) LPSC
इसरो के प्रक्षेपण यान और अंतरिक्ष यान
कार्यक्रमों के लिए द्रव नोदन क्षेत्र में द्रवनोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) एक
उत्कृष्ट केंद्र है। इसके क्रियाकलापों का विस्तार वलियमला,
तिरूवनंतपुरम
तथा बेंगलूरु तक फैला हुआ है।
एलपीएससी, वलियमला
एलपीएससी का
मुख्यालय वलियमला में स्थित है। इस केंद्र पर पृथ्वी संग्रहणीय व क्रायोजेनिक नोदन पर अनुसंधान एवं विकास के
अनुसंधान और विकास की जिम्मेदारी है। यह केन्द्र प्रक्षेपण यान अन्तरिक्ष यानों के
वास्ते इंजन, चरणों, तत्संबंधित नियंत्रण प्रणालियों व घटकों को उपलब्ध कराता है।
इसकी प्रमुख उपलब्धियों में निम्न शामिल हैं:
• पीएसएलवी के लिए द्रव रॉकेट चरण और
नियंत्रण विद्युत संयंत्र
• जीएसएलवी के लिए द्रव चरण
• जियोसैट और आईआरएस अंतरिक्षयानों के
लिए नोदन प्रणाली
• एसपीई के लिए नोदन प्रणाली
• ट्रांसड्यूसर विकास और उत्पादन
• एलपीएससी द्वारा प्रशासन पैकेज का कोवा
सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया गया जो इस समय इसरो के सभी केंद्रों में इस्तेमाल किया जा
रहा है।
एलपीएससी, बेंगलूरु
बंगलौर में स्थित एलपीएससी केंद्र में जियोसैट और आईआरएस कार्यक्रमों के लिए उपग्रह नोदन प्रणाली के समाकलन का उत्तरदायित्व है।
यह केंद्र मोनोप्रोपेलेंट नोदन प्रणाली, ट्रांसड्यूसरों व अन्तरिक्ष यानों के नोदक टैंक संबंधित प्रणाली अभियांत्रिकी के डिजाइन व विकास के लिए भी जिम्मेदार है।
यह केन्द्र
विद्युत नोदन प्रणाली, अंतरिक्षयान प्रणोदक प्रमापन प्रणाली, उन्नत
ट्रांसड्यूसर आदि के विकास की दिशा में अनुसंधान और विकास तथा टीडीपी गतिविधियों
में भी शामिल है
इसकी प्रमुख उपलब्धियों में निम्न शामिल हैं:
• इन्सैुट, जीसैट, आईआरएस श्रेणी उपग्रहों के लिए नोदन
प्रणाली का समाकलन
• प्रक्षेपण के लिए प्रणोदक सेवा तथा
कक्षा संचालन की नोदन प्रणाली में सहायता
• प्रक्षेपण यान, अन्तरिक्ष यान की नोदन प्रणाली तथा
अन्य सुविधाओं की आवश्यतानुसार ट्रांसड्यूसरों का विकास व उत्पादन
• आईआरएस श्रेणी के उपग्रहों में
प्रयुक्त मोनोप्रोपेलेंट थ्रस्टर का विकास व निर्माण
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