उपग्रह संचार | Satellite Communication in Hindi

उपग्रह संचार Satellite Communication in Hindi

Satellite Communication in


1960 के दशक में कृत्रिम उपग्रहों के संप्रेषण ने संचार के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया। इसके द्वारा लंबी दूरी तथा उच्च आवृत्ति संचार व्यवस्था स्थापित करने में मदद मिली। इसमें उच्च आवृत्ति वाली तरंगों का संप्रेषण किया जा सकता है। जिससे अधिक बैंडविड्थ तथा अधिक क्षमता वाला संचार स्थापित किया जा सकता है। कृत्रिम उपग्रह फोन, टीवी, और कम्प्यूटर के लिए संचार का बेहतर माध्यम उपलब्ध कराता हैं यह सुदूर प्रदेशों तथा विश्व के किसी भी कोने में संचार उपलब्ध कराने में सक्षम है।


ट्रांसपोंडर क्या होता है What is  Transponder 


उपग्रह संचार में आकाश में स्थित उपग्रह पर एक ट्रांसमीटर तथा रिसीवर होता है जिसे रेड़ियो ट्रांसपोंडर कहा जाता है। वह ट्रांसपोण्डर दो आवृत्तियों पर काम करता है।

सी बैंड C-Band - 4-6 MHz

के-यू बैंड Ku- Band - 11-14 MHz


पृथ्वी से संप्रेषित संकेत उपग्रह के रिसीवर द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। इसे अपलिंक कहते हैं। ट्रांसपोडर इसे संवर्धित कर पुनः ट्रांसमीटर द्वारा पृथ्वी की सतह की ओर भेज देता है। इस डाउन लिंक कहते हैं। अपलिंक तथा डाउनलिंक की आृत्तियों में अंतर रखा जाता है ताकि संकेतों को आपस में मिलने से रोका जा सके।


संचार उपग्रह को भू-स्थैतिक कक्षा में पृथ्वी की सतह से 36000 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया जाता है। चूंकि ये तरंगे उच्च आवृत्ति की होती हैं, अतः आयनमंडल द्वारा परावर्तित नहीं होती।

उपग्रह की कक्षाएं Satellite Orbits

1- भू-स्थैततिक कक्षा Geo-stationery Orbit

यह भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर पृथ्वी की सतह से 36000 किमी की ऊंचाई पर स्थित कक्षा है। अधिकांश संचार उपग्रह इसी कक्षा में स्थापित किए जाते हैं


2- धु्रवीय कक्षा Polar Circular Orbit

पृथ्वी की सतह से 1000 किमी की ऊंचाई पर धु्रवों के ठीक उपर स्थित कक्षा, जो भूमध्य रेखा से 90 डिग्री के कोण पर स्थित है।


3- इलिप्टिकल कक्षा Elliptical Orbit

यह कक्षा भूमध्य रेखा से 63 डिग्री के कोण पर झुका होता है तथा इसका प्रयोग उच्च अक्षांशो पर संचार के लिए किए जाता है।

 

भ-स्थैतिक उपग्रह क्या होते हैं What is Geo-stationery Satellite 

भू-स्थैतिक उपग्रह वह उपग्रह है जो पृथ्वी के किसी स्थान की अपेक्षा स्थिर प्रतीत होता है। इसे पृथ्वी की सतह से 36000 किमी की उंचाई पर भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर स्थापित किया जाता है। अपनी कक्षा में इसकी गति पृथ्वी की गति के अनुरूप होती है जिससे यह हमेशा पृथ्वी की सतह पर स्थित किसी स्थान के ठीक ऊपर दिखाई देता है।

पूरी दुनिया को संचार प्रदान करने के लिए कम से कम तीन भू-स्थैतिक उपग्रहों की जरूरत पड़ती है। इस तहर एक भू-स्थैतिक उपग्रह पृथ्वी के एक तिहाई भाग पर सूचना का संप्रेषण कर सकता है।


वी-सैट उपग्रह क्या होते हैं V-SAT - Very Small Aperture Terminal

संचार उपग्रहों के उपयोग को आसान तथा कम खर्चीला बनाने के लिए छोटे आकार के एंटीना तथा कम क्षमता वाले ट्रांसमीटर  रिसीवर का विकास किया गया जिसे वी-सैट का नाम दिया गया। इसमें एंटीना का व्यास 1 से 2 मीटर तक रखा जाता है। इसका उपयोग निजी व्यवसायिक उपभोक्ताओं को प्रमाणिक तथा विश्वसनीय संचार व्यवस्था स्थापित करने के लिए किया जाता है।

भारत में वी-सैट संचार सेवा का प्रारंभ 1988 में निकनेट की स्थापना से हुआ। वर्तमान में देश में प्रत्येक जिला मुख्यालय वी-सैट प्रणाली से जुड़ा हुआ है। वी-सैट का प्रयोग आधुनिक दूरसंचार व्यवस्था, जैसे ब्राडबैंड डाटा, इंटरनेट पर आवाज प्रसारण, समुद्री संचार, ईमेल, फैक्स आदि के लिए किया जाता है।


निकनेट क्या होता है NICNET -National Information Center Network

यह भारत सरकार के नियंत्रण में स्थापित नेटवर्क है जो सरकार की गतिविधियों, संसाधनों तथा सूचनाओं को सभी राज्यों को उपलब्ध कराता है। भारत के सभी जिले निकनेट से जुड़े हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा डाटा बेस नेटवर्क है। राष्ट्रीय विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन, योजनाओं के निर्माण तथा सूचनाओं के आदान प्रदान में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।


एर्नेट क्या होता है ERNET - Educational and Research Network

 शैक्षिक तथा अनुसंधान नेटवर्क (एर्नेट) सरकारी कोष से संचालित एक स्वतंत्र अभिकरण है। इसका उद्देश्य शिक्षा के विभिन्न आयामों तथा उनसे जुड़े अनुसंधान कार्यों को जन-जन तक पहुंचाना है। यह शैक्षणिक संस्थाओं तथा व्यवसायों के बीच कड़ी का काम करता है।


इनमारसैट क्या होते हैं  INMARSAT- Indian  Maritime Satellite 

सुदूर समुद्र में उपग्रह के जरिये संचार सेवा उपलब्ध कराने के लिए 1979 में भारत सहित 72 देशों द्वारा एक सामुदायिक उपग्रह प्रणाली का प्रारंभ किया जिसे इनमारसैट नाम दिया गया। इस प्रणाली का उपयोग लंबी दूरीकी संचार व्यवस्था स्थापित करने के साथ-साथ जहाजों की स्थिति का पता लगाने तथा बचाव कार्य के लिये किया जाता है।

इनमारसैट का मुख्यालय लंदन में स्थित है। भारत में पूना के निकट आर्बी में इसका एक केन्द्र स्थापित किया गया है। इसके द्वारा सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में भी संचार व्यवस्था का सूत्रपात किया गया ।


No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.