सुपरबग क्या होता है | Super Bug Kya Hote Hain
सुपरबग
सुपरबग (एनडीएम-1 नई दिल्ली मेटैलो-लैक्टोमे-1) एक
ऐसा बैक्टिरीया है, जिसके आगे तमाम एंटीबायोटिक दवाएं भी
बेअसर साबित हो रही हैं।
सुपरबग क्या होता है
सुपरबग, बीमारी का जीवाणु है, जिसके जीन पर एंटीबायोटिक दवाओं का कोई
असर नहीं होता है। यूरोप और अमेरिका में भी ऐसे अनेके सुपरबग पाए गए हैं, जिन पर अधिकतर एंटीबायोटिक्स बेअसर
साबित होते हैं। एमआरएसए और सी डिफिसाइल ऐसे ही सुपरबग हैं, जिनके कारण वहां अनेक लोगों की मौत हो
चुकी हैं
सुपरबग की मूल वजह अत्यधिक मात्रा में
एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल है। इससे शरीर में रोगजनक बैक्टिीरिया का क्रोमोजोम
एंटीबायोटिक दवाओं के प्रोटीन अणुओं की काट निकालने लगते हैं औ उनके खिलाफ अपनी
प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेते हैं। संबंधित बैक्टीरिया की अगली पीढ़ी को यह
प्रतिरोधी क्षमता स्वतः मिल जाती है। विदेशों से आने वाले पैकेटबंद मांसाहार खाद्य
पदार्थों में भी ऐसी एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल होता है, जिस वजह से इन पदार्थों का अत्याधिक
सेवन सुपरबग को न्योता दे सकता है।
जानकारों का मानना है कि अगर डाक्टर और मरीज
एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर संजीदा हो जाएं, तो
सुपरबग जैसी स्थिति से बचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि डाक्टर हर मर्ज में
एंटीबायोटिक दवायें न लिखें। एंटीबायोटिक दवाएं तभी लें, जब उन्हें लेना अनिवार्य हो।
Definition of Super bug
Superbugs are strains of bacteria, viruses, parasites and fungi that are resistant to most of the antibiotics and other medications commonly used to treat the infections they cause. A few examples of superbugs include resistant bacteria that can cause pneumonia, urinary tract infections and skin infections.
सुपरबग निर्माण के प्रमुख कारक
साफ-सफाई की कमी और गंदे जल से बैक्टीरिया जनति
रोग अधिक होते हैं। फलत: लोग एंटीबायोटिक का प्रयोग अधिक करते हैं जिससे प्रतिरोधक
क्षमता का विकास होने लगता है।
डॉक्टरी सलाह के बिना अथवा डॉक्टरों द्वारा
आवश्यकता से अधिक दवा लिखना, जिसके
कारण एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग अधिक होता है।
वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया के संपर्क में
आकर मानवों में रोग के कारण बनने वाले सूक्ष्म जीव उनसे अनेक प्रतिरोधक गुण लेकर ‘सुपरबग’ बनते जा रहे हैं।
पोल्ट्री उद्योग, दवा निर्माता कंपनियों और अस्पतालों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों
के ज़रिये पर्यावरण में बड़ी संख्या में ऐसे एंटीबायोटिक प्रतिरोधक जीन आ गए हैं, जो आसानी से मानव शरीर के अंदर सुपरबग
बना सकते हैं।
सुपरबग के बढ़ते प्रसार को रोकने उपाय
चिकित्सकों द्वारा किस आधार पर दवा लिखी जाए
इसके लिये मानक तय किये जाएँ तथा एंटीबायोटिक प्रतिरोध के लिये एक राष्ट्रीय
निगरानी प्रणाली का निर्माण किया जाए।
सुपरबग के बचाव के उपाय को खोजना तथा इस दिशा
में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए।
मानव एवं पशु चिकित्सा और औद्योगिक उपयोग में
एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के लिये उचित नियामकीय प्रावधानों को लागू किया
जाए।
सभी स्वास्थ्य केंद्रों में वॉश (Wash) के अंतर्गत दी जाने वाली सुविधाएँ एवं
प्रशिक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये।
गंदे जल के उचित उपचार और प्रबंधन को अधिक
विकसित किया जाना चाहिये। अस्पताल एवं दवा उद्योगों को अपने परिसर में ही जल उपचार
केंद्र लगाने को प्रोत्साहित किया जाए।
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