कौटिल्य के बारे में कुछ जानकारी | Biography of Kautlya in Hindi
कौटिल्य के बारे में कुछ जानकारी
कौटिल्य पर निबंध
प्रस्तावना ( Introduction)
- प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारक कौटिल्य का नाम अर्थशास्त्र के लेखक के रूप में प्रसिद्ध है। यह ग्रन्थ अन्य पुरूष की शैली में लिखा गया है। इसमें कौटिल्य के अतिरिक्त विष्णुगुप्त नाम भी दिया गया है।
- हितोपदेश के रचयिता आचार्य विष्णुगुप्त और अर्थशास्त्र के प्रणेता आचार्य कौटिल्य के बारे में साधारणतः यह स्वीकार किया जाता है कि दोनों एक थे। हितोपदेश भी राजनीति पर लिखा गया ग्रन्थ है। जिसे बालकों की शिक्षा के उद्देश्य से पशु-पक्षियों की कहानियों की शैली में लिखा गया है इन कहानियों के माध्यम से जिन सिद्धान्तों का विवेचन किया गया है, वे अत्यन्त व्यवहारिक एवं दूरदर्शितापूर्ण है। अत: वे अर्थशास्त्रों के सिद्धान्तों से मिलते-जुलते हैं।
- कौटिल्य कातीसरा नाम चाणक्य माना जाता है जाक चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री का नाम था।
- विशाखादत्त ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ मुद्रा राक्षस में चाणक्य को और विष्णुगुप्त नामों से भी पुकारा जिससे यह संकेत मिलता है कि यह तीनों एक ही व्यक्ति के नाम थे चाणक्य के व्यक्तित्व और कृतित्व से उस अनोख सूझबूझ का संकेत मिलता है जो कौटिल्य के अर्थशास्त्र में झलकती है।
- राजनीतिशास्त्र के सम्यक ज्ञान के लिए चाणक्य के राजनीतिशास्त्र को कौटिल्य के अर्थशास्त्र का पूरक ग्रन्थ मान सकते हैं।
कौटिल्य का जीवन परिचय (Biography
of Kautiliya)
- कौटिल्य का पूरा नाम विष्णुगुप्त कौटिल्य था। विद्धानों में कौटिल्य के नाम से लेकर मतभेद हैं। कुछ विद्धान कौटिल्य का पूरा नाम विष्णुगुप्त कौटिल्य भी बताते हैं। किन्तु स्वयं कौटिल्य ने अनेक ऐसे उपायों का चित्रण किया हैं जिन्हें सामान्यतः नैतिक नहीं माना जा सकता।
- भारत के महानतम् कूटनीतिज्ञ कौटिल्य के जीवन के सम्बन्ध में प्रामाणिक सामग्री का बड़ा शोचनीय अभाव है। उसके बहिर्मुखी व्यक्तित्व के सामन ही उसके नाम भी अनेक नाम भी अनेक रहे हैं जिनमें तीन अधिक प्रसिद्ध हैं-विष्णुगुप्त, कौटिल्य और चाणक्य।
- वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था। उसे कौटिल्य इसलिए कहा जाता है कि उसका जन्म 'कुटिल' नामक ब्राह्मण वंश में हुआ था। उसके पिता का नाम चाणक्य था, इसलिए उसे चाणक्य भी कहते हैं।
- वर्तमान समय में विद्वत्जगत में उसे कौटिल्य तथा सामानरूप जगत में चाणक्य के नाम से जाना जाता है।
- कौटिल्य मौर्य साम्राज्य की आधारशिला रखने वाले चन्द्रगुप्त मौर्य का समकालीन था।
- हिन्दी के कवि तुलसीदास और सूरदास की तरह इनके जन्म स्थान के सम्बन्ध में बड़ा मतभेद है। बौद्ध ग्रन्थ उनकी जन्म भूमि तक्षशिला मानते हैं जो जैन ग्रन्थों के अनुसार उसकी जन्म भूमि मैसूर राज्य का श्रवण बेल गोला प्रदेश है।
- इसके अलावा कुछ विद्वान इनका जम्म स्थान नेपाल का तराई प्रदेश मानते हैं। इनकी शिक्षा-दीक्षा नालन्दा विश्वविद्यालय में हुई। उस समय उत्तरी राज्यों का केन्द्र मगध राज्य था जिस पर नन्द वंश का शासन था। इसका अन्तिम शासक महा-पद्मानन्द था।
- एक कथा इस प्रकार है कि इसके प्रधानमंत्री सकटार इससे नाराज थे। राजा ने एक दिन कुछ ब्राह्मण निमन्त्रित करने का कार्य सकटार को सौंपा। सकटार ने उक दिन इस काले शिखाधारी चाणक्य को पैरों से चुभ जाने पर काँस नामक घास को मट्ठा डालकर समूल नष्ट करते देख था अतः वह कौटिल्य को निमन्त्रण दे आया और उसे सबसे ऊँचा आसन दिया।
- कौटिल्य का रंग देखकर महा-पद्मानन्द ने उसे अपमानित किया तो कौटिल्य ने उसी समय शिखा खोलकर प्रण किया था कि जब तक नन्द वंश का नाश नहीं कर लूँगा, शिखा नहीं बाँधूंगा ।
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