म.प्र. में पर्यटन के विकास | मध्य प्रदेश पर्यटन सम्पूर्ण अध्ययन

 म.प्र. में पर्यटन के विकास 

 

मध्य प्रदेश पर्यटन सम्पूर्ण अध्ययन

पर्यटक स्थल किसी भी राज्य की सांस्कृतिक धरोहर होने के साथ-साथ उस राज्य की विशिष्ट पहचान भी होती है। मध्यप्रदेश में अनेक पर्यटन स्थल अवस्थित है। यह रमणीय स्थल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं । साथ ही साथ राज्य की आय में भी वृद्धि करते हैं। मध्यप्रदेश में पर्यटन के अंतर्गत महत्वपूर्ण धार्मिक, ऐतिहासिक और स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान, पुरातात्विक गुफाएँ, मनोहर जलप्रपात, महत्वपूर्ण दुर्ग और किले प्रमुख महल, वन्यजीव आवास स्थान जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य तथा जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र शामिल किए जा सकते हैं। 

म.प्र. के प्रमुख पर्यटन स्थलों का विवरण निम्न हैं 

खजुराहो- 

  • विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल यह छतरपुर जिले में अवस्थित है। यहाँ पर चंदेल शासकों द्वारा निर्मित अनेक भव्य मंदिर जिनमें से कंदरिया महादेव मंदिर, लालगुआ महादेव मंदिर, 64 योगिनी मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, जगदम्बा मंदिर आदि शामिल हैं। इन मंदिरों के अलावा यहाँ पर स्नेह प्रपात और बेनी सागर नामक स्थान भी है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

साँची- 

  • बौद्ध नगरी के नाम से विख्यात साँची रायसेन जिले में है। यहाँ पर अशोक द्वारा निर्मित तीन स्तूप हैं। जो । बौद्ध धर्म के महान अंग हैं। रायसेन जिले में ही विश्व का सबसे बड़ा गुफा समूह भीमबेटका भी अवस्थित है । ये दोनों विश्व विरासत स्थल घोषित गिए गए हैं। 

ओंकारेश्वर-

  • खण्डवा जिले में अवस्थित नर्मदा तट पर बना हुआ यह एक धार्मिक स्थल है। यहाँ पर ओंकारेश्वर मंदिर, ममलेश्वर मंदिर, शंकराचार्य की प्राचीन गुफाएँ और गोमुख धारा अवस्थित है। 

उज्जैन- 

  • उज्जैन प्राचीनकाल में अवंति नामक महाजनपद के नाम से प्रख्यात था। यहाँ पर क्षिप्रा नदी के किनारे महाकालेश्वर का मंदिर अवस्थित है। 
  • गोपाल मंदिर एक प्रमुख मंदिर है। वैश्य टेकड़ी नामक बौद्ध स्तूप और मत्स्येन्द्र पीर की दरगाह पर्यटकों को अपनी ओर अकर्षित करती है। 
  • कायथा नामक पुरातात्विक स्थल और भृतहरि की गुफाएँ भी उज्जैन में ही अवस्थित हैं। 

विदिशा- 

  • यह प्राचीन नगर में भेलसा नाम से प्रसिद्ध है. विदिशा में गुप्तकालीन उदयगिरि की गुफाएँ अवस्थित हैं, जो हिन्दू व जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्व रखती हैं। 
  • विदिशा के बेसनगर में नंद शासक हेलियोडोरस द्वारा निर्मित गरुड़ स्तम्भ भी दर्शनीय है। 

चित्रकूट-

  • प्राचीन काल से तपस्या और शांतिका स्थल चित्रकूट ब्रह्मा, विष्णु, महेश के बाल अवतार का स्थान माना जाता है। 
  • वनवास के समय भगवान राम, लक्ष्मण, महर्षि तथा सती अनुसुईया के अतिथि बनकर यहाँ रहे थे। भक्त शिरोमणि तुलसीदासजी आत्मिक शांति की खोज में यहाँ आये थे। 
  • जबकि जहाँगीर के क्रोध से पीड़ित अकबर के नौ रत्नों में से एक महाकवि अब्दुल रहीम खानखाना ने यहाँ शरण ली थी। 
  • प्राकृतिक सुषमा के बीच चित्रकूट में पर्यटक मानसिक शांति प्राप्त करते हैं।  

भीमबेटका- 

  • विध्यपर्वत श्रृंखलाओं के उत्तरी छोर से घिरा हुआ भीमबेटका भोपाल से 40 कि.मी. दूर दक्षिण की ओर स्थित है। 
  • भीमबेटका मानव समूह इतिहास का एक बहुमूल्य इतिवृत और समृद्ध पुरातात्विक संकुल माना जाता है । 
  • दर्शनीय स्थल- यहाँ 500 से अधिक गुफाओं में प्रागौतिहासिक गुफावासियों की दैनंदिन जीवन चर्या के मनोहारी चित्र दिखाए गए हैं। 

ओंकारेश्वर- 

  • ऊँ की पवित्र आकृति स्वरूप द्वीप सदृश्य मनोरम स्थल अनंत काल से तीर्थ के रूप में मान्य है। यहाँ नर्मदा कावेरी के संगम पर ओंकार मान्धाता के मन्दिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग पुराण प्रसिद्ध द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक है। 
  • दर्शनीय स्थल- ओंकार मान्धाता, सिद्ध नाथ मंदिर, 24 अवतार, सप्त मातृ का मंदिर तथा काजलरानी गुफा आदि यहाँ है। 

महेश्वर- 

  • इतिहास प्रसिद्ध सम्राट कीर्तवीर्य सहस्रार्जुन की प्राचीन राजधानी माहिष्मति ही आधुनिक महेश्वर है। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है। रानी अहिल्या बाई होल्कर ने यहाँ की प्रतिभा को चार चाँद लगाए। महेश्वर के मन्दिर व दुर्ग परिसर के सौन्दर्य में आकर्षण विद्यमान हैं।  
  • दर्शनीय स्थल- महेश्वर में सम्पूर्ण नर्मदा तट और अहिल्या घाट के करीब 3 कि.मी. दूर सहस्र धारा तक नर्मदा में नौका विहार में एक पावन अनुभव होता है. अहिल्या संग्रहालय, राजेश्वरी मंदिर, पेशवा घाट, होल्कर परिवार की छत्रियाँ, राजगद्दी और राजवाड़ा घाट तथा मंदिर दर्शनीय स्थल है। महेश्वर की साड़ी अत्यन्त प्रसिद्ध है ।

 मध्य प्रदेश के प्रमुख महल 

ग्वालियर के महल 

  • यहाँ जय विलास पैलेस अपनी भव्यता के लिये प्रसिद्ध है । यहाँ जीवाजीराव सिंधिया का निवास था। अब यहाँ एक संग्रहालय है। यहाँ ग्वालियर के किले में स्थित गुजरी महल राजा मानसिंह ने अपनी प्रेमिका मृगनयनी के लिये बनवाया था । ग्वालियर में ही जीवाजीराव सिंधिया ने मोती महल बनवाया था। 

माण्डू के महल

  • माण्डू महलों की नगरी है। यहाँ अशरफ़ी महल, दाई महल, रानी रूपमती महल , उनके प्रेमी बाजबहादुर का महल, हिण्डोला महल, खरबूजा महल, जहाज महल आदि दर्शनीय हैं। अशरफी महल अपनी बेलबूटों की पच्चीकारी के लिए प्रसिद्ध है। 

रायसेन दुर्ग महल- 

  • यहाँ राजा राज बसन्ती द्वारा निर्मित राजा मोहित का महल तथा बादल महल दोनों ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहीं पर इत्रदार महल भी है. 

चंदेरी के महल- 

  • राजा कीर्तिपाल द्वारा निर्मित नौखण्डा महल तथा हवा महल चंदेरी के दुर्ग की शोभा बढ़ाते हैं। मण्डला के महल- मण्डला जिले के दो महल बघेलीन महल तथा मोती महल जिसे राजा हृदय शाह ने बनवाया था। पर्यटन की दृष्टि से दर्शनीय है । 

ओरछा के महल-

  • ओरछा के राजा वीरसिंह बुन्देला राजा द्वारा निर्मित कराये गये। जहाँगीर महल तथा राजमन्दिर रमणीय है।

 

अन्य महल- 

  • जबलपुर के मदनशाह द्वारा निर्मित मदन महल गोंड कला का उत्कृष्ट नमूना है।
  • अजयगढ़ दुर्ग में राजा अमन का महल राजा अजयपाल ने बनवाया था। जिस पर सुन्दर पच्चीकारी है। खरबूजा महल ( धार) , दतिया का महल, म.प्र. के अन्य दर्शनीय महल हैं। 

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि म.प्र. के विभिन्न स्थलों पर दर्शनीय महल स्थित है। जो अपने वैभव व पर्यटन  दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

Q -म.प्र. में पर्यटन के विकास पर एक संक्षिप्त निबंध लिखे?  MP PSC 2017


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