निर्वाचन आयोग की शक्तियां एवं कार्य | Election Commission Power and Work in Hindi

 निर्वाचन आयोग की शक्तियां एवं कार्य

Nirvachan Ayog Ke Karya Evam Shaktiyan


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अन्तर्गत संसदीय तथा राज्य विधान सभाओं के निर्वाचन से सम्बन्धित समस्त व्यवस्था करना निर्वाचन आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसके साथ ही राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने और उन सभी निर्वाचनों के संचालन, अधीक्षण, निर्देशन और नियन्त्रण चुनाव आयोग के अधीन है। इन सभी महत्वपूर्ण कार्यो को पूरी पारदर्शिता एवं निष्ठापूर्वक करने हेतु चुनाव आयोग को अधोलिखित कार्य करने पड़ते हैंI

निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 

  • निर्वाचन आयोग का कार्य निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना है। परिसीमन का कार्य संसद द्वारा पारित अधिनियम, 1952 के अनुसार किया जाता रहा है। इस अधिनियम के अनुसार प्रत्येक दस वर्ष में की जानी वाली जनगणना के पश्चात् चुनाव आयोग निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करवाता है। 
  • इस परिसीमन आयोग का अध्यक्ष मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है तथा उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के दो अवकाश प्राप्त न्यायाधीश इसके सदस्य होते हैं।
  • आयोग के कुछ सहायक सदस्य भी होते हैं जिनका चुनाव राज्य के लोक सभा या विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों में से चुना जाता है। जनता व्यक्तिगत रुप से सुझाव या आपत्तियां आयोग के समाक्ष रख सकती है जिन पर आयोग को विचार करना आवश्यक होता है। 
  • पूरी तरह विचार-विमर्श के पश्चात् आयोग परिसीमन आदेश जारी करता है जो अन्तिम होता है और जिसके विरूद्ध किसी न्यायालय में अपील नहीं की जाती है।

निर्वाचक नामावली तैयार कराना

  • सबसे पहले निर्वाचन आयोग किसी भी चुनाव को स्वतंत्रन्ता निष्पक्ष ढंग से संचालित कराने के लिए निर्वाचन नामावली अर्थात मतदाता सूची तैयार करवाता है।
  • आयोग किसी भी धर्म, वंश, जाति, लिंग आदि से सम्बन्धित व्यक्ति का नाम निर्वाचक नामावली में अवश्य ही शामिल कराता है। 
  • इस देश का वह प्रत्येक नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष है तथा जिसे इस संविधान या सम्बन्धित विधान मण्डल द्वारा बनायी गयी विधि के अधीन निवासचित्त विकृति, अपराध और अवैध आचरण के आधार पर निरहरित नहीं किया जाता, उसे निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का अधिकार है। जबकि देखा जाता है कि चुनाव के समय आम लोग यह शिकायत करते हैं कि सरकारी अफसरों के पक्षपात पूर्ण रवैये के कारण उनके नाम को निर्वाचक नामावली में नहीं डाला जाता है। 
  • इस प्रकार की बहुत सारी शिकायतों को देखते हुए एक सही एवं निष्पक्ष तरीके से मतदाता सूची अर्थात निर्वाचक नामावली तैयार कराना निर्वाचन आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य होता है।

चुनाव का संचालन करना

चुनाव आयोग का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कार्य चुनाव का संचालन करना है। धन, बल एवं बाहुबल के आधार पर चुनाव जीतने हेतु प्रयत्नशील प्रत्याशियों और अन्य किसी भी हर प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने हेतु चुनाव आयोग हर संभव प्रयत्न करता है। चुनाव के सुचारु संचालन हेतु आयोग निम्नलिखित उपाय करता है: 

  • चुनाव प्रेक्षकों की नियुक्ति कर चुनाव का संचालन पारदर्शी ढंग से करता है। चुनाव अधिकारियों पर भी प्रेक्षकों के माध्यम से नजर रखता है।
  • पृथक बूथों की व्यवस्था कर चुनाव में कमजोर वर्गो की भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
  • उम्मीदवार तथा उसके एजेण्ट को मत-पत्र पेटियों पर मुहर लगाने की व्यवस्था करता है।
  • मतदान की गोपनीयता बनाये रखने हेतु गिनती के पहले उसे अच्छी प्रकार से मिला दिया जाता है आदि। उपर्युक्त प्रकार से चुनाव आयोग चुनाव का संचालन स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष ढंग से करता है। आज निर्वाचन आयोग के सम्मुख यह सबसे बड़ी चुनौती है।

चुनाव रद्द करना

  • निर्वाचन आयोग को चुनाव करवाने के साथ ही साथ चुनाव रद्द करवाने का भी अधिकार होता है। चुनाव में धाधली होने की पुष्टि होने के पश्चात् ही आयोग दुबारा मतदान करवाता है। जैसे 1988 के लोकसभा चुनाव में अमेठी, रोहतक तथा अन्य कई चुनाव क्षेत्रों में धाधली की शिकायत पर प्रत्येक बूथ पर दोबारा चुनाव करवाने के आदेश दिये गये। 
  • अभी हाल के लोकसभा चुनाव में छपरा लोकसभा हेतु दुबारा चुनाव करवाने के आदेश दिये गये।इस प्रकार आयोग दोबारा मतदान की व्यवस्था कर चुनाव की पारदर्शिता बनाये रखता है।

उपचुनाव करवाना

  • निर्वाचन आयोग लोकसभा तथा विधानसभा में अन्तिरिम काल या मध्य काल में ही स्थान रिक्त होने की स्थिति में उपचुनाव करवाता है। किन्तु कभी-कभी आयोग सम्बन्धित राज्य सरकार से परामर्श किये बिना ही चुनाव की तिथि घोषित कर देता है। कहा जाता है कि आयोग केन्द्र में सत्तारूढ़ दल के पक्ष में निर्णय लेता है।
  • अतः ऐसी स्थिति में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके उपचुनाव करवाने की एक अवधि (छ: माह के अन्दर ही) करवाने की सुनिश्चित की जानी चाहिए। इससे सभी दलो का विश्वास आयोग के प्रति और बढ़ेगा।

राजनीतिक दलों को मान्यता देना

  • आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देने तथा चुनाव निशान सुनिश्चित करने का भी महत्वपूर्ण कार्य करता है। जब किसी दल का विभाजन होता है तो ऐसी स्थिति में चुनाव चिन्ह को लेकर होने वाले झगड़े को आयोग निपटाता है और अंतिम निर्णय सुनाता है।

उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराना

  • निर्वाचन आयोग प्रत्येक निर्वाचन के पश्चात, किसी प्रत्याशी द्वारा चुनाव खर्चे का ब्यौरा यदि आयोग को उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो ऐसी स्थिति में वह उम्मीदवार को अयोग्य ठहराता है। इसी प्रकार निर्वाचन आयोग संसद तथा विधान सभा के उन सदस्यों को अनहरित ठहराने हेतु राष्ट्रपति को सलाह देता है, जो किसी लाभ का पद आदि प्राप्त करता है। 
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