राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में मध्यप्रदेश का योगदान |Swatantrata Sangram Me MP Ka Yogdan
राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में मध्यप्रदेश का योगदान
- मध्यप्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों की शुरूआत 1906 में जबलपुर अधिवेशन के साथ हुई । इसमें पं. रविशंकर शुक्ल, डॉ. राघवेन्द्र तथा हरिसिंह गौर आदि सक्रिय कांग्रेसी सम्मिलित थे |
- इसके पूर्व कांग्रेस के अधिवेशनों में मध्य प्रांत से बाबूराव, किनखेड़े, चिटनीस, अब्दुल अजीज आदि भाग लेते रहें ।
- खण्डवा से सुबोधसिन्धु व जबलपुर से जबलपुर टाइम्स का प्रकाशन प्रारम्भ किया गया ।
- 1899 के लाहौर अधिवेशन में इस राज्य के डॉ. हरिसिंह गौर ने न्याय विभाग तथा प्रशासन को पृथक - पृथक रखने की मांग उठायी । उन्होने ही 1904 ई. में अंग्रेजी शिक्षा पद्धत्ति का कडे शब्दों में विरोध किया।
- 1907 में जबलपुर में एक क्रांतिकारी दल का गठन किया गया । लगभग इसी समय खण्डवा से सुबोध सिन्धु तथा जबलपुर से जबलपुर टाइम्स का प्रकाशन प्रारंभ किया गया तथा पंडित
- माखनलाल चतुर्वेदी अपने समाचार-पत्र कर्मवीर के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
- 1946 में सिवनी सत्याग्रह से म.प्र. में वास्तविक स्वतंत्रता संघर्ष शुरू हुआ। जबलपुर में होमरूल लीग की ईकाई का गठन हुआ ।
- जब महात्मा गांधी ने असहयोग और खिलाफत आंदोलन की घोषणा की (1920) तो राज्य में प्रभाकर डूण्डीराज जाटव तथा अब्दूल जफ्फार खान ने खिलाफत आंदोलन संगठित किया।
- 20 मार्च, ।949 को खण्डवा में मध्य प्रांतीय राजनैतिक परिषद की बैठक हुई थी । जिसकी अध्यक्षता दादा साहेब खापर्ड ने की थी। इसमें रोलेट एक्ट विरोधी प्रस्ताव पारित हुआ था.
जबलपुर झण्डा सत्याग्रह (1923)
- जबलपुर में ही झण्डा सत्याग्रह की नीव पड़ी थी । असहयोग आंदोलन की तैयारी के सिलसिले में पंहुचे अजमल खां और कांग्रेसियों के सम्मान के साथ जबलपुर नगरपालिका भवन पर तिरंगा फहराने की रणनीति कांग्रेस ने बनायी । पुलिस कमिश्नर ने गुस्साकर उस तिरंगे को उतरवाया और पैरो तलें कुचला ।
- इस अपमान के विरोध में तपस्वी पं. सुंदरलाल, नाथुराम मोदी, सुभद्राकुमारी चौहान, लक्ष्मण सिंह चौहान, नरहरि अग्रवाल आदि ने जुलुस निकाला, जिन्हें पुलिस ने रोक दिया, लेकिन दूसरे जत्थे ने विक्टोरिया टाउनहाल पर झण्डा फहरा ही दिया।
- यह कार्य दमोह निवासी श्री प्रेमचंद जैन उस्ताद ने किया था। उधर कांग्रेस ने इस सत्याग्रह के महत्व को समझकर अखिल भारतीय स्तर पर इसे मनाने हेतु नागपुर को चुना ।
नागपुर झण्डा सत्याग्रह
- 13 अप्रैल 1923 को नागपुर में शुरू इस सत्याग्रह के साथ जबलपुर में पुनः झण्डा सत्याग्रह का आयोजन हुआ। सत्याग्रह का नेतृत्व देवदास गाँधी, रामगोपालाचार्य तथा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने किया । राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर सुन्दरलाल को 6 माह की सजा दी गई। सरोजनी नायडु, मौलाना आजाद की जबलपुर में उपस्थिति के मध्य कन्छोड़ीलाल, बंशीलाल और काशीप्रसाद ने टाउनहाल पर फिर तिरंगा लहरा दिया।
- अगस्त, 1923 को ब्रिटिश अधिकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ स्वयंसेवकों को जुलूस निकालने की अनुमति दी। इस जुलूस का नेतृत्व माखनलाल चतुर्वेदी, बल्लभ भाई पटेल तथा बाई, राजेन्द्र प्रसाद ने किया ।
नमक सत्याग्रह
- गांधीजी दाण्डी में नमक बना पहल इधर जबलपुर में 6 अप्रेल 4930 को सेठ गोविन्ददास और पं द्वारिका प्रसाद मिश्र ने नमक सत्याग्रह किया।
- नमक सत्याग्रह में सिवनी जिले के दुर्गाशंकर मेहता ने गाँधी चौक पर नमक बनाकर सत्याग्रह की शुरूआत की ।
- यहाँ जेल न सुभाषचंद्र बोस, आचार्य विनोबा भावे, पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र, शरद चंद्र बोस व एच.वी.कामथ बंद थे।
- नमक सत्याग्रह में सिवनी जिले के दुर्गाशंकर मेहता ने गाँधी चौक पर नमक. बनाकर सत्याग्रह की शुरूआत की |
- यहाँ जेल में सुभाषचंद्र बोस, आचार्य विनोबा भावे, पंडित द्वारिका प्रसाद मिश्र, शरद चंद्र बोस व एच.वी.कामथ बंद थे |
मध्य प्रदेश जंगल सत्याग्रह 1930
- अपनी जमीन और जंगल को बचाने के लिये आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसक जंगल सत्याग्रह किये | ये सत्याग्रह संपूर्ण भारत के विभिन्न हिस्सों में हुए, किन्तु इनका प्रभाव छोटा |नागपुर, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान में ज्यादा था ।
- जबलपुर में सर्वप्रथम जंगल ' सत्याग्रह की रणनीति बनी | सिवनी, टुरिया (सिवनी जिला ) तथा घोड़ा-डॉगरी (बैतूल) के आदिवासियों ने नमक सत्याग्रह के दौरान 'जंगल सत्याग्रह किये । कंधे पर कंबल और हाथ में लाठी लेकर न जंगलों और पहाड़ों के लिए सत्याग्रह छेड़ा गया। टुरिया में 4 आदिवासी पुलिस की गोली से मारे गये।
- घोंड़ा - डॉगरी में गजनसिंह कोरकू एवं बंजारी सिंह कोरकू के नेतृत्व में जंगल सत्याग्रह में पुलिस को प्रबल प्रतिरोध का सामना करना पड़ा ।
मध्य प्रदेश जंगल सत्याग्रह 1942
वीरसा गोंड एवं जिर्रा गोंड
- 1942 में बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी शाहपुर क्षेत्र के आदिवासियों के एक समूह ने 19 अगस्त 1942 को वीरसा गोंड के नेतृत्व में घोड़ाडोंगरी रेलवे स्टेशन के पास रेल की पटरियाँ उखाड़ फेंकी।
- पुलिस थाने और घोड़ाडोंगरी रेलवे स्टेशन के पीछे स्थित लकड़ी के विशाल डिपो को भी आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने बिना चेतावनी दिए गोलियों की बौछार कर दी ।' वीरसा गोंड की कारावास में मौत हुई |
चरण पादुका नरसंहार 4 जनवरी 1931
- छतरपुर क्षेत्र में चरणपादुका ग्राम (उर्मिल नदी तट) में स्वतंत्रता सेनानियों की शांतिपूर्ण बैठक पर अंधा-धुंध गोलियाँ पुलिस ने चलायी, जिसमें छः सेनानी शहीद हो गये | यह मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग काण्ड कहलाता है। इस गोलीचालन का आदेश कर्नल फिशर ने दिया था।
पंजाब मेल हत्याकांण्ड 23-24 जुलाई 1931
- वीर यशवंतसिंह (दमोह), देवनारायण तिवारी और दलपत राव ने खण्डवा रेलवे स्टेशन पर हमला कर अंग्रेज हैक्सल की हत्या की।
- हत्या के आरोप पर खण्डवा अदालत ने 11 दिसम्बर, 1931 को यशवंत सिंह एवं देवनारायण तिवारी को फाँसी की सजा तथा दलपत राव को काला पानी की सजा सुनाई ।
भोपाल राज्य प्रजामण्डल
- 1922 ई. में राज्य के भोपाल रियासत की सीहोर कोतवाली के सामने विदेशी फेल्ट केप की होली जलायी गयी थी | भोपाल में 1938 ई. में भोपाल राज्य प्रजामण्डल की स्थापना की गई । जिनमें मौलाना तरजी मशरिकी को सदर व चतुर ' नारायण मालवीय को मंत्री के रूप में चुना गया। रतलाम में राष्ट्रीय आंदोलन का सूत्रपात स्वामी ज्ञानानंद की प्रेरणा से हुआ |
- यहाँ पर 1931 ई. में स्त्री सेवादल तथा 1935 ई. में प्रज्ञा परिषद की स्थापना की गई | राज्य के झाबुआ जिले मे 1934 ई. में प्रज्ञामंडल की सहायता से ब्रिदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, शराब बंदी व हरिजन उद्धार संबंधी आंदोलन प्रारम्भ किये गये 1934 में ही भोपाल रियासत में मौलाना तर्जी मशरिकी खान व शाकिर अली खान के नेतृत्व में अन्जुमन खुद्दामे वतन तथा मास्टर लालसिंह, लक्ष्मीनारायण सिंघल, डॉ. जमुना प्रसाद मुखरैया, पं. उद्धवदास मेहता, पं. चठुर नारायण मालवीय के नेतृत्व में भोपाल राज्य हिन्दु सभा की नींव डाली गयी |
- हिन्दु कॉन्फ्रेंस के लिए मास्टर लालसिंह लक्ष्मी, नारायण सिंघल, पं. उद्धवदास मेहता व डॉ. मुखरैया महोदय को 1937 में 'जेल की हवा भी खानी पड़ी |
सोहाबल का नरसंहार या माजन गोलीकांड
- 19 जुलाई, 1938 हिनौता गाँव (सतना जिले में बिरसिंहपुर के समीप) में सोहाबल रियासत में ब्रिटिश हस्तक्षेप के विरोध में पगार खुर्द के लालबुद्ध प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक आम सभा का आयोजन था।
- इस सभा में सम्मिलित होने जा रहे लालबुद्ध प्रताप सिंह, रामाश्रय गौतम और मंधीर पांडे की माजन गाँव के समीप ब्रिटिश सैनिकों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई ।
त्रिपुरी अधिवेशन (1939)
- जबलपुर (त्रिपुरी) में कांग्रेस का नियमित वार्षिक अधिवेशन हुआ | यह अध्यक्ष पद के लिये चुनाव के लिए प्रसिद्ध है, जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने पट्टाभि सीतारमैया को 203 मतों से हरा दिया |
- चूंकि पट्टाभि सीतारमैया गांधीजी के उम्मीदवार थे, अतः कांग्रेस में संकट गहरा गया इसे त्रिपुरी संकट कहा जाता है|
व्यक्तिगत्त सत्याग्रह (1940)
- गांधीजी ने राजनीतिक चेतना के केन्द्र बन चुके जबलपुर से व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया । विनोबा भावे पहले सत्याग्राही बने |
मध्य प्रदेश में भारत छोड़ो आदोलन (1942)
- सर्वप्रथम विदिशा से इस आंदोलन का प्रारंभ हुआ, जब मराठी नवयुवकों ने अंग्रेजों के विरूद्ध सक्रिय प्रतिरोध की नीति अपनाई |
- गाधीजी के “करो या मरो” से प्रेरणा लेकर 2 अक्टूम्बर 1942 को मन्डलेश्वर में क्रांतिकारी बंदियों ने जेल तोडकर अंग्रेजों के विरूद्ध सभा की।
- यद्यपि वे पुनः जेल में डाल दिये गये। भोपाल के नवाब के विरूद्ध भारत छोड़ों के बाद एक तीव्र आंदोलन हुआ; जिससे घबराकर नवाब ने अपना विलय भारत मे स्वीकार किया।
रीवा का चावल आन्दोलन (28 फरवरी, 1947)
- जबरिया लेवी के विरूद्ध चावल आन्दोलन रीवा में चला।
- रीवा रियासत में जबरिया लेब्ही वसूली के विरोध में त्रिभुवन तिवारी (भदवारग्राम) तथा भैरव प्रसाद उरमालिया (शिवराजपुर) की रीवा रियासत के सैनिकों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई।
- चरूरहईबा चावल वसूली प्रकरण सीधी जिले से संबंधित है |
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