मगध का उदय भाग -03 |उदायिन या उदयभद्र (461 ई.पू. से 445 ई.पू.)
मगध का उदय भाग -03 उदायिन या उदयभद्र
उदायिन या उदयभद्र (461 ई.पू. से 445 ई.पू.)
- अजातशत्रु के बाद उसका पुत्र उदायिन या उदयभद्र मगध का राजा हुआ जैन ग्रन्थों में उसकी माता का नाम पदमावती मिलता है।
- बौद्ध ग्रन्थों में उसे पितृहन्ता कहा गया है। परन्तु जैन ग्रन्थों का साक्ष्य इसके विपरीत है। परिशिष्टपर्वन के अनुसार वह पितृ भक्त था। वह अपने पिता के शासनकाल में चम्पा का उपराजा था। पिता की मृत्यु से उसे बड़ा दुख हुआ तथा उसे कुलीनों और अमात्यों ने राजा बनाया।
उदायिन राजधानी स्थानान्तरित करने के कारण
- उदायिन के शासनकाल की सर्वप्रमुख घटना गंगा और सोन नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर की स्थापना की है। उसने राजगृह से इसी स्थान पर अपनी राजधानी स्थानान्तरित की। चूंकि अजातशत्रु की विजयों के फलस्वरूप मगध साम्राज्य की उत्तरी सीमा हिमालय की तलहटी तक पहुंच गयी थी अतः पाटलिपुत्र राजगृह की अपेक्षा अधिक उपयुक्त राजधानी थी।
- यहां से वज्जियों के ऊपर भी दृष्टि रखी जा सकती थी तथा व्यापार व्यवसाय की दृष्टि से भी यह नगर गंगा और सोन नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण अत्यधिक महत्वपूर्ण था।
- बिम्बिसार के ही समय से अवन्ति का राज्य मगध का प्रतिद्वन्दी था परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि उदायिन के समय में भी मगध एवं अवन्ति के बीच निर्णायक युद्ध नहीं हो सका । उदायिन जैन मतानुयायी था इसी कारण जैन ग्रन्थ उसकी प्रशंसा करते है आवश्यक सूत्र से पता चलता है कि अपनी राजधानी के मध्य उसने एक जैन चैत्यगृह का निर्माण कराया था ।
- वह नियमित रूप से व्रत करता था आचार्यों के उपदेश सुनता था एक दिन जब वह किसी गुरू से उपदेश सुन रहा था। एक व्यक्ति ने छुरा भोंककर उसकी हत्या कर दी यह हत्यारा अवन्ति नरेश पालक द्वारा नियुक्त कोई गुप्तचर था।
उदायिन के उत्तराधिकारी तथा हर्यक कुल का अन्त
- बौद्ध ग्रन्थों में उदयिन के तीन पुत्रों का उल्लेख है- ( 1 ) अनिरूद्ध (2) मुंडक ( 3 ) नागदशक। इन तीनों को पितृहन्ता कहा गया है जिन्होंने बारी-बारी से राज्य किया।
- अन्तिम राजा नागदशक कुछ प्रसिद्ध था। पुराण में उसे (दर्शक) कहा गया है ।
- ये तीनों शासक अत्यन्त निर्बल एवं विलासी थे। अतः शासन तन्त्र शिथिल पड़ गया चारों और षड्यन्त्र और हत्याये होने लगी। फलस्वरूप जनता में व्यापक असन्तोष छा गया इनके शासन के विरूद्ध विद्रोह हुआ।
- जनता ने इन पितृहन्ताओं को सिंहासन से उतार कर शिशुनाग नामक एक योग्य अमात्य को राजा बनाया।
- शिशुनाग के राज्यारोहण से मगध में जिस नवीन वंश की स्थापना हुई वह शैशुनाग वंश के नाम से प्रसिद्ध है। उदायिन के उत्तराधिकारियों ने लगभग 412 ई०पूर्व तक राज्य किया।
शिशुनाग
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