संघ लोक सेवा आयोग के कार्य | UPSC Ke Work in Hindi
संघ लोक सेवा आयोग के कार्य
संविधान के अनुच्छेद 320 के अन्तर्गत संघ लोक सेवा आयोग के कृत्य के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
आयोग के कृत्य को 2 भागों में बांटा गया है-
1. संघ
लोक सेवा आयोग के कर्तव्य और
2. आयोग
के सलाहकारी कृत्य।
संघ लोक सेवा आयोग का यह कर्त्तव्य होगा कि वे क्रमशः संघ की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाओं का संचालन करें। जैसा कि अभ्यर्थियों की पात्रता की परीक्षा के लिए त्रिस्तरीय परीक्षा का आयोजन किया जाता है।
प्रतियोगी द्वारा प्रारम्भिक उत्तीर्ण करने के पश्चात् मुख्य परीक्षा होती है। अन्त में मौखिक परीक्षा (साक्षात्कार) के माध्यम से उसका चयन किया जाता है। आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न परीक्षाओं में सबसे प्रतिष्ठित है सिविल सेवा की परीक्षा।
यदि संघ लोक सेवा आयोग से दो या दो से अधिक राज्य यह निवेदन करते है कि विशेष अर्हता वाली किसी सेवाओं में योग्य लोगों के चयन हेतु संयुक्त भर्ती की योजना बनाने में उनका मदद करे, तो संघ लोक सेवा आयोग को ऐसा करना उसका कर्तव्य होगा। इसके साथ ही आयोग उन सभी कर्तव्यों का भी निर्वहन करेगा जिसे राष्ट्रपति या राज्यपाल को परामर्श देने आदि से सम्बन्धित होंगें।
यह भी पढ़ें लोकसेवा आयोग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
संघ लोक सेवा आयोग के सलाहकारी कृत्य
संघ लोक सेवा आयोग के सलाहकारी कृत्यों का विस्तार से उल्लेख निम्नवत है:-
1. आयोग
सिविल सेवा भर्ती से सम्बन्धित विषयों पर सलाह देगा,
2. आयोग एक सेवा से दूसरी सेवा में पदोन्नति और अन्तरण से सम्बन्धित सिद्धान्तों के साथ ही योग्य अभ्यर्थियों से सम्बन्धित परामर्श देता है।
3. सिविल
सेवकों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही से सम्बन्धित प्रकरण आदि पर वह परामर्श देता है।
4. कानूनी
खर्चे की प्रतिपूर्ति से सम्बन्धित परामर्श देता है,और
5. शासकीय सेवा करते हुए घायल हो जाने की स्थिति में पेंशन प्रदत्त करने से सम्बन्धि परामर्श उसके द्वारा दिया जायेगा।
परन्तु उपर्युक्त परामर्श लेना सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होता। इसके बिना भी सरकार कोई भी कार्यवाही कर सकती है। इसे विधि विरुद्ध नहीं माना जायेगा। आयोग का कार्य केवल सलाह देना है वह सरकार पर बाध्यकारी नहीं है। किन्तु यदि सरकार आयोग की सलाह को मानने से इन्कार करती है तो उसे कारणों सहित एक प्रतिवेदन संसद के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
संविधान के अनुच्छेद 320(4) द्वारा भी आयोग के परामर्श का दो मामलों में अपवर्तन किया गया है।
- पहला अनुच्छेद 16(4) के मूलाधिकार के अनुसार नागरिकों के पिछड़े वर्ग के पक्ष में नियुक्ति की स्थिति में और
- दूसरा, अनुच्छेद 335 के अनुसार अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों की नियुक्ति की स्थिति में भी परामर्श का अपवर्जन संविधान द्वारा किया गया है।
संघ लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन
- संघ लोक सेवा आयोग प्रतिवर्ष अपने कार्यों से सम्बिन्धित प्रतिवेदन राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करता है । इन प्रतिवेदनों को संसद के दोनों सदनों के समक्ष राष्ट्रपति रखवाता है।
- इन प्रतिवेदनों को सरकार अपवाद को छोड़ दिया जाय तो स्वीकार करती है। उदाहरण के लिए 1950 से 2004 तक आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों में से केवल 154 को ही नहीं स्वीकार किया गया।
- इसी से आयोग की महत्ता स्पष्ट हो जाती है कि आयोग अपनी सिफारिशों एवं प्रतिवेदनों के माध्यम से सरकार हो हर स्तर पर सहयोग प्रदान करता है।
संघ लोक सेवा आयोग के विशेषाधिकार
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की स्वतंन्त्रा को सुनिश्चित करने हेतु निम्नलिखित प्रावधान किये गये है:-
1. आयोग
के अध्यक्ष एवं सदस्यों को संविधान द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार ही
पदच्युत किया जा सकता है।
2. आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की सेवा शर्तो में उनके कार्यकाल के दौरान कोई हानिकारक परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
3. आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों का वेतन भत्ता एवं अन्य व्यय भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं। इस पर संसद में मतदान भी नहीं किया जा सकता है।
4. आयोग
के अध्यक्ष एवं सदस्यों को पुनः उसी पद अथवा सरकारी पद पर नियुक्त नहीं किया जा
सकता है।
इस प्रकार इन उपर्युक्त संवैधानिक प्रावधानों द्वारा संघ लोक सेवा आयोग की स्वतन्त्रता को हर संभव सुनिश्चित किया गया है।
संघ लोकसेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष और पूर्व की सूची
मध्य प्रदेश के आयोग निकाय के अध्यक्ष
Post a Comment