म.प्र. पंचायत राज अधिनियम, 1993 |MP Panchayat Raj Adhiniyam 1993

 

म.प्र. पंचायत राज अधिनियम, 1993

MP Panchayat Raj Adhiniyam 1993

म.प्र. पंचायत राज अधिनियम, 1993 MP Panchayat Raj Adhiniyam 1993


 

म.प्र. पंचायत राज अधिनियम, 1993 के तहत त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था कायम की गई। यह अधिनियम केन्द्र द्वारा 73 वें संशोधन द्वारा निर्मित पंचायत राज अधिनियम,1992 के निर्देशों के तहत बनाया गया था। अधिनियम की धारा II के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत एक निगमित निकाय है। 

1. ग्राम पंचायत :

  • 1000 की आबादी हेतु एक या अधिक गांवों को मिलाकर ग्राम पंचायत निर्मित की गयी है जो पंचायत प्रणाली का निम्न तल है।
  • ग्राम सभा के सदस्य सरपंच और पंचों को सीधे मतदान द्वारा चुनते हैं।
  • 2018 में राज्य में कुल 22824 ग्राम पंचायते है। इसका अधिकारी सचिव होता है। 
  • सरपंच को शासन ने ग्राम निर्माण समिति और ग्राम विकास समिति का पदेन अध्यक्ष घोषित किया है । 
  • वार्डों की संख्या 10 से 20 होती है ।
  • सरपच ग्राम पंचायत की बैठक समय तय करता है 1 माह में न्यूनतम बैठक बुलाना अनिवार्य है गणपूर्ति एक विषय है । 

ग्राम सभा 

  • प्रत्येक ग्राम पंचायत के क्षेत्र में एक ग्राम सभा होती है। 
  • सभी वयस्क व्यक्ति ग्रामसभा के सदस्य होते है। 
  • राज्य में ग्रामसभा की वर्ष में कम से कम 4 सभाएँ अवश्य होती हैं। 
  • ग्राम सभा की प्रथम बैठक, स्थान, तिथि आदि सरपंच बुलाता है जबकि बाद की बैठको का स्थान समय ग्रामसभा तय करती है। 
  • म.प्र. अधिनियम की धारा 7 में ग्राम सभा के कार्यो का उल्लेख किया गया है। 
  • ग्राम पंचायत का सचिव ही ग्रामसभा का भी सचिव होता है। 

ग्राम पंचायत के कार्य 

  • 11वीं अनुसूचि में पंचायतों को 29 कार्य सौंपे गये हैं। 
  • स्वच्छता, सफाई, न्यूसेंस निवारण सार्वजनिक कुओं, तालाबों, बावड़ियों का निर्माण, संवर्धन स्नान, कपड़ा धोने, पशुओं के पीने के लिए जल स्रोतों का निर्माण, संवर्धन।
  • सड़कों, पुलों, बांधों, सार्वजनिक भवनों का निर्माण ।
  • संडासों, शौचालयों का निर्माण, अनुरक्षण । 
  • प्रौढ़ शिक्षा की देखभाल
  • अतिक्रमण हटाना।
  •  कांजी हाउस के कार्य । 
  • मनोरंजन हेतु पार्क, बगीचों का निर्माण । 
  • हाट , बाजार, मेलों, तमाशों का आयोजन । 
  • सामाजिक वानिकी का प्रचार-प्रसार। परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार। 
  • जवाहर रोजगार योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन के प्रकरण तैयार करना। 
  • पिछड़े वर्गों की दशा सुधारने के कार्य । 
  • कमजोर व्यक्तियों की सहायता।

 

2. जनपद पंचायत :

  • यह मध्य स्तर है जो विकासखण्ड स्तर पर कायम किया गया है। 
  • इसके सदस्यों का चुनाव भी सीधे मतदान द्वारा होता है, जबकि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सदस्यों द्वारा चुने जाते है। 
  • राज्य में इनकी संख्या 313 है। वार्ड संख्या 10 से 25 । 
  • प्रत्येक 5000 आबादी के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र होगा परन्तु जहाँ विकास खण्ड की जनसंख्या 50 हजार से कम है वहाँ कम से कम 10 निर्वाचन क्षेत्र होंगे, किन्तु कुल निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 25 से अधिक नही होगी, सभी क्षेत्रों में जनसंख्या सामान्यतः एक सी होगी। 

जनपद के कार्य 

  • जनपद क्षेत्र में स्वच्छता/स्वास्थ्य की देखभाल । 
  • विभिन्न पुलों का, बांधों का निर्माण 
  • एकीकृत ग्रामीण विकास योजना, ट्रायसेन आदि का प्रशासन नलकुप खुदवाना, कुएं खुदवाना इस हेतु ऋण/ अनुदान देना।
  •  मत्स्य पालन की योजना का प्रशासन युवा, महिला बाल विकास की देखरेख। 
  • सामाजिक वानिकी, पशुपालन। 
  • कुटीर उद्योग। निःशक्तों, वृद्धों का, पिछड़े वर्गों का कल्याण। 
  • प्राकृतिक आपदा, महामारी, दुर्भिक्ष के समय राहत कार्य । 
  • मेलों, बाजारों का आयोजन/ व्यवस्था।

जिलापंचायत : 

  • पंचायत प्रणाली का शीर्षस्थ स्तर है प्रत्येक जिले में एक जिला पंचायत होती है इसके सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से होता है, और ये चुने गये सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष चुनते हैं। 
  • वार्ड संख्या 10 से 35। लगभग 50 हजार जनसंख्या के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र होगा जहाँ जिले की जनसंख्या 5 लाख से कम हो वहाँ कम से कम 10 क्षेत्र होंगे किन्तु कुल निर्वाचन क्षेत्र 35 से अधिक नहीं होगी सभी क्षेत्रों में जनसंख्या सामान्यतः एक सी होगी।

 जिला पंचायत के कार्य 

  • जनपदों से प्राप्त योजनाओं का समन्वय, सम्मेलन। 
  • जनपदों को सहायता/ मार्गदर्शन। परिवार नियोजन, विकास /रोजगार योजनाओं का क्रियान्वयन । 
  • निराश्रितों, अशक्तों, युवा महिलाओं के लिए कार्यक्रम खेलकुद की गतिविधियों का संचालन।
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