जिला योजना समिति |जिला योजना समिति अधिनियम 1995 | District Planning Committee

 

जिला योजना समिति DPC

जिला योजना समिति |जिला योजना समिति अधिनियम 1995 | District Planning Committee


DPC Kya hoti Hai , DPC क्या होती है 

  • संवैधानिक प्रावधान के बाद सशक्त हुई जिला योजना समिति जिले के लिये योजना बनाने और उसके कार्यान्वयन की समीक्षा करने वाली एजेन्सी है।
  •  74 वे संशोधन, 1992 द्वारा अनुच्छेद 243-ZD में प्रत्येक जिले के लिये जिला योजना परिषद का प्रावधान किया गया है। म.प्र. में पूर्व से ही जिला योजना समितियां कार्यरत है। इसके लिये जिला योजना समिति अधिनियम 1991 लागू किया गया। 
  • 1999 में एक कानून बनाकर राज्य ने इनके संगठन और कार्यो को पुनः निर्धारित किया। संगठन : प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में जिला योजना समिति में 15 से लेकर 25 सदस्य हो सकेगे। इनमें से 4-5 सदस्य स्थानीय निकायों के सदस्यों में से निर्वाचित होते है । 
  • कलेक्टर इसका सदस्य सचिव होता है।

जिला योजना समिति के कार्य DPC Ke Karya

राज्य सरकार ने स्थानीय निकायों के कार्य अधिकारों को छोड़कर विकास से संबधित अन्य कार्य दायित्व समिति को प्रदान कर दिये है। उल्लेखनीय है कि जिला सरकार की समाप्ति(2004) के बाद समिति के नाम से ही अब ये कार्य हो रहे है।

 

  • (1) राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय उद्देश्यों के ढांचे के भीतर रहते हुए स्थानीय आवश्यकताओं तथा उद्देश्यों का अभिनिध्धारण करना, 
  • (2) योजनाओं को विकेन्द्रीकृत करने के लिए ठोस आंकड़ों का आधार सृजित करने हेतु जिले के प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों से संबंधित जानकारी का संग्रहण, संकलन तथा उन्हें अद्यतन करना और जिले एवं खण्ड के संसाधनों की रूपरेखा तैयार करना
  • (3) ग्राम, खण्ड तथा जिला स्तरों पर उपलब्ध सुख-सुविधाओं को सूचीबद्ध करना तथा उनका निरूपण करना, 
  • (4) उपलब्ध प्राकृतिक/ मानव संसाधनों के अधिकतम तथा न्याय सम्मत उपयोग/विदोहन को सुनिश्चित करने की दृष्टि से विकास के लिए नीतियों, कार्यक्रमों तथा प्राथमिकताओं का अवधारण करना, 
  • (05) पंचायतों तथा नगरीय निकायों द्वारा तैयार की गयी योजनाओं को समेकित करते हुए जिले के सामाजिक-आर्थिक, भौतिक, सामयिक तथा स्थान संबंधी आयामों के परिप्रेक्ष्य में जिले की पंचवर्षीय और वार्षिक विकास योजना का प्रारूप तैयार करना तथा उसे राज्य की योजना में सम्मिलित करने हेतु राज्य सरकार को प्रस्तुत करना, 
  • (06)जिले के लिए रोजगार योजना तैयार करना
  • (7) जिले की योजना के वित्तपोषण के लिए वित्तीय संसाधनों का प्राक्कलन करना, 
  • (8) जिला विकास योजना के सम्पूर्ण ढांचे के भीतर रहते हुए क्षेत्रीय / उपक्षेत्रीय परिव्ययों का आवंटन करना, 
  • (9) विकेन्द्रीकृत योजना के ढांचे के अंतर्गत जिले में कार्यान्वित की जा रही स्कीमों/कार्यक्रमों जिनमें केन्द्रीय सेक्टर/ केन्द्र द्वारा प्रायोजित स्कीमें और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों तथा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों की स्थानीय क्षेत्र विकास स्कीमें भी सम्मिलित हैं की प्रगति को मानीटर करना, उनका मूल्यांकन करना तथा पुनर्विलोकन करना
  • (10) जिला योजनाओं में सम्मिलित स्कीमों के संबंध में नियमित प्रगति रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत करना, 
  • (11) ऐसी स्कीमों और कार्यक्रमों का अभिनिर्धारण करना जिनमें संस्थागत वित्तपोषण किया जाना अपेक्षित है, उन्हें जिला योजनाओं के साथ समुचित रूप से सम्बद्ध करने के उपाय करना तथा यह सुनिश्चित करना कि उन्हें ऐसा वित्तीय विनिधान अपेक्षित मात्रा में प्राप्त होता रहे, 
  • (12) विकास की सम्पूर्ण प्रक्रिया में स्वैच्छिक संगठनों की सहभागिता को सुनिश्चित करना, 
  • (13) जिले के विकास की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाली राज्य सेक्टर की स्कीमों के संबंध में राज्य सरकार को सुझाव देना
  • (14) कोई अन्य कृत्य जो राज्य सरकार द्वारा जिला योजना समिति को सौंपे जाएं.

जिला योजना समिति का सचिव 

  • जिले का कलेक्टर समिति का सचिव होगा तथा समिति का अभिलेख रखने, चर्चाओं का अभिलेख तैयार करने तथा समिति के विनिश्चयों को संसूचित करने तथा उससे संसक्त अन्य सभी आनुषंगिक मामलों के लिए जिम्मेदार होगा. 

 

मध्यप्रदेश

जिला योजना समिति अधिनियम 1995

District Planning Committee Act

क्रमांक 19 सन् 1995 

(दिनांक 19 मई, 1995 को राज्यपाल की अनुमति प्राप्त हुई, अनुमति "मध्यप्रदेश राजपत्र(असाधारण)" में दिनांक 23 मई, 1995 को प्रथम बार प्रकाशित की गई)

 

"भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 य घ के प्रयोजनों के लिए जिला योजना समितियों का गठन करने तथा उससे आनुषंगिक विषयों के लिए अधिनियम" भारत गणराज्य के छियालीसवें वर्ष में मध्यप्रदेश विधान मण्डल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:

 

संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ :- 

1.

 

(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश जिला योजना समिति अधिनियम 1995 है । 

(2) इसका विस्तार संपूर्ण मध्यप्रदेश पर है। 

(3) यह ऐसी तारीख को प्रवृत होगा, जिसे राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबंधों के लिये भिन्न भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी ।

 

2- इस अधिनियम में जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो :-

 

परिभाषाएं :-

 

(क) "समिति" से अभिप्रेत है धारा 3 के अधीन गठित जिला योजना समिति

(ख) "जिला" का वही अर्थ होगा जो उसे मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन् 1959) में दिया गया है और इसमें सम्मिलित है एक या अधिक ऐसे राजस्व जिले या उनके भाग जो कि जिले के लिए गठित जिला पंचायत के भीतर समाविष्ट है" 

(ग) "पंचायत" से अभिप्रेत है मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1993 क्रमांक 1 सन् 1994) के अधीन गठित पंचायत

(घ) "जनसंख्या" से अभिप्रेत है, ऐसी अंतिम पूर्ववती जनगणना में, जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित किए जा चुके हैं, अभिनिश्चित की गई जनसंख्या,

 (ड.) "नगरपालिकाएं से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 (क्रमांक 23 सन् 1956) या मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 (क्रमांक 37 सन् 1961) के अधीन गठित नगरपालिक निगम, नगरपालिका परिषदें तथा नगर पंचायतें.

  

जिला योजना समिति :-

 

3.

 (1) जिले में की पंचायतों तथा नगरपालिकाओं द्वारा तैयार की गई योजनाओं को समेकित करने तथा सम्पूर्ण जिले के लिये विकास योजना का प्रारूप तैयार करने के लिए किसी राजस्व जिले या राजस्व जिलों के किसी समूह (ग्रुप) तथा उसके भाग जो एक ही जिला पंचायत में हैं, एक जिला योजना समिति का गठन किया जाएगा. 

(2) प्रत्येक समिति, विकास योजना का प्रारूप तैयार करते समय, 

(क) निम्नलिखित का ध्यान रखेगी 

(एक) पंचायतों तथा नगरपालिकाओं के बीच सामान्य हितों के मामले जिसमें स्थान विषयक योजना, जल का बंटवारा और अन्य भौतिक तथा प्राकृतिक संसाधन, अवसंरचना का एकीकृत विकास और पर्यावरण संबंधी संरक्षण भी सम्मिलित है :

 (दो) उपलब्ध संसाधनों, चाहे वे वित्तीय हों या अन्यथा की सीमा तथा प्रकार,

 (ख) ऐसी संस्थाओं तथा संगठनों से परामर्श करेगी जिन्हें राज्य सरकार, आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे.

 (3) जहां नगर पालिका/जिला पंचायत के विद्यमान सदस्यों की अवधि का अवसान हो गया हो और निर्वाचित सदस्य समिति के सदस्य नहीं रहते हैं तब शेष बच रहे सदस्य सहित समिति नए निर्वाचन होने तक कृत्यों का निर्वहन करती रहेगी.


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