वायुदाब क्या होता है | वायुदाब की पेटियाँ |Air Pressure Belt
वायुमण्डलीय दाब ,वायुदाब वायुदाब की पेटियाँ
वायुमण्डलीय दाब क्या होता है
- वायुमण्डलीय दाब सामान्यतः एक भौतिक वस्तु है जो विभिन्न गैसों का यान्त्रिक मिश्रण होती है. इसमें भार अनुभव नहीं होता है, जबकि वायु भार युक्त होती है, क्योंकि वायु धरातल पर दाब अपने भार के कारण ही डालती है.
- धरातल पर या सागर तल पर क्षेत्रफल की इकाई का ऊपर स्थित वायुमण्डल की समस्त परतों के पड़ने वाले भार को ही वायुदाब कहा जाता है.
- पृथ्वी के धरातल की अपेक्षा सागर तल पर दाब अधिक पाया जाता है. सागर तल पर एक वर्ग इंच क्षेत्र पर 14-7 पौण्ड (1 किलोग्राम प्रतिवर्ग सेमी) का भार होता है. इसे इंच, सेमी और मिली बार में नापा जाता है.
- सागर तल पर समान वायुदाब वाले क्षेत्रों को मिलाने वाली रेखा को समदाब रेखा (Isobar) कहते हैं.
- ऊँचाई के साथ वायुदाब में प्रति 100 फीट पर 1 इंच की दर से वायु दाब घटने लगता है और अधिक ऊँचाई पर जाने पर दाब धीरे-धीरे कम होने लगता है. 11000 मीटर की ऊँचाई पर वायुदाब चौथाई रह जाता है.
वायुदाब की पेटियाँ (PRESSURE BELTS)
धरातल पर वायुदाब का वितरण असमान है.
वायुदाब, तापमान, जलवाष्प और पृथ्वी की परिभ्रमण गति आदि कई बातों से प्रभावित होता
है. धरातल पर वायुदाब दो प्रकार का पाया जाता है :
वायुदाब दो प्रकार का पाया
(1) उच्च वायुदाब,
(2) निम्न वायुदाब.
वायुदाब का वितरण क्रमबद्ध पेटियों के रूप में मिलता है, परन्तु स्थल तथा जल के असमान वितरण के कारण इन पेटियों की क्रमबद्धता में व्यवधान पड़ता है. वायुदाब की ये पेटियाँ पृथ्वी के एक ऐसे गोले पर सम्भावित मानी जाती हैं जो सम्पूर्ण रूप से स्थल-ही-स्थल हो या फिर जल-ही-जल. पृथ्वी के गोले पर वायुदाब की सात पेटियाँ पाई जाती हैं जो निम्नलिखित प्रकार हैं.
वायुदाब की सात पेटियाँ Air Pressure Belt
(1) भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब पेटी (Equatorial Low Pressure Belt)
- इसका विस्तार भूमध्यरेखा के समीप लगभग 5° उत्तरी अक्षांश और 5° दक्षिणी अक्षांश तक है. सूर्य के उत्तरायन तथा दक्षिणायन होने पर इस पेटी में खिसकाव या स्थानान्तरण होता रहता है.
- भूमध्यरेखा पर वर्ष-पर्यन्त सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं तथा दिन रात बराबर होते हैं जिस कारण अत्यधिक तापक्रम के कारण हवाएँ गर्म होकर फैलती तथा ऊपर उठती हैं फलस्वरूप वायुदाब सदैव निम्न रहता है, इस प्रकार वायुमण्डल में संवहन धाराएं उत्पन्न हो जाती हैं इस क्षेत्र में धरातल पर पवनों में गति कम होने के कारण शान्त वातावरण रहता है. अतः उसे शान्त क्षेत्र (Doldrum or A Region of Calm) कहा जाता है.
किस वायुदाब पेटी को घोड़े का अक्षांश (Horse Latitude) कहते हैं ?
(2) उपोष्ण उच्च वायुदाब की पेटियाँ (Tropical High Pressure Belts)-
- गोलाद्धों (उत्तर एवं दक्षिण) में इनका विस्तार 30° से 35° अक्षांशों के मध्य पाया जाता है. यहाँ पर शीतकाल में दो महीने छोड़कर वर्ष पर्यन्त उच्च तापमान रहता है. अधिक तापमान रहते हुए भी यहाँ पर उच्च वायुदाब पाया जाता है. यहाँ पर वायुदाब तापमान से सम्बन्धित न होकर पृथ्वी की दैनिक गति तथा वायु में अवतलन से सम्बन्धित है.
- भूमध्यरेखा से लगातार पवनें ऊपर उठकर इस पेटी में एकत्रित होती रहती हैं. साथ ही उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी से भी हवाएँ यहाँ एकत्रित होने लगती हैं. जिससे वायुदाब अधिक बढ़ जाता है. इस पेटी को घोड़े का अक्षांश (Horse Latitude) भी कहते हैं, क्योंकि प्राचीनकाल में एक व्यापारी अपने पाल के जलयान द्वारा इंगलैण्ड से आस्ट्रेलिया जा रहा था. मार्ग में मकर रेखा के निकट की इसी पेटी में उसका जलयान फँस गया और डूबने लगा, इसलिए व्यापारी ने जहाज बचाने के लिए घोड़े समुद्र में फेंक दिए, तभी से इस उच्च वायुदाब की पेटी को 'घोड़े के अक्षांश' के नाम से भी पुकारा जाता है.
(3) उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियाँ (Sub Polar Low Pressure Belts)-
- पेटियों का विस्तार दोनों गोलाद्धों पर 60° से 65° अक्षांशों में पाया जाता है. तापमान कम पाया जाता है. फिर भी वायुदाब कम पाया जाता है, क्योंकि पृथ्वी की भ्रमणशील गति (Rotation) के कारण इन अक्षांशों में वायु फैलकर स्थानान्तरित हो जाती है और वायुदाब कम रहता है. तापमान के प्रभाव से ध्रुवों पर उच्च वायुदाब बना रहता है और न्यून वायुदाब की पेटी अन्ततः ध्रुव वृत्तों के ऊपर अथवा ठीक उनके बाहर बनती है.
(4) ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियाँ (Polar High Pressure Belt)
- ध्रुव वृत्तों से ध्रुव की ओर जाने पर वायुदाब बढ़ता जाता है. ध्रुवों के निकट तो उच्च वायुदाब का एक विशेष क्षेत्र बन जाता है. ध्रुवों पर कठोर शीत का वातावरण हमेशा रहता है इसलिए यहाँ उच्च वायुदाब पाया जाता है.
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