मध्यप्रदेश की जलवायु | MP Ki Jalvayu
मध्यप्रदेश की जलवायु
MP Ki Jalvayu
- किसी भी क्षेत्र में लम्बे समय तक पायी जाने वाली ताप, वर्षा, वायु, आर्द्रता आदि की मात्रा, अवस्था तथा गति का औसत रूप में पाया जाना वहाँ की जलवायु कहलाती है ।
- म.प्र. में मानसूनी जलवायु है।
जलवायु के आधार पर म.प्र.को चार भागों में बाँटा गया है -
1. उत्तर का मैदान-
- इसमें बुन्देलखण्ड, मध्य भारत, रीवा-पन्ना का पठार शामिल है ।
- समुद्र से दूर होने के कारण यहाँ पर गर्मी में अधिक गर्मी और ठण्ड में अधिक ठण्ड पड़ती है ।
2. मालवा का पठार-
- यहाँ की जलवायु सम पायी जाती है अर्थात् यहाँ पर न तो ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी और न शीत ऋतु अधिक सर्दी पड़ती है ।
3. विन्ध्य का पहाड़ी प्रदेश-
- इसमें अधिक गर्मी नहीं पड़ती और ठण्ड में भी साधारण ठण्ड पड़ती है विन्ध्याचल पर्वत का क्षेत्र सम जलवायु क्षेत्र है ।
- पचमढ़ी, अमरकंटक आदि इसके अंतर्गत आते हैं ।
4. नर्मदा की घाटी-
- यहाँ की मानसूनी जलवायु है ।
- गर्मी में अधिक गर्मी तथा ठण्ड में साधारण ठण्ड पड़ती है ।
- इसके निकट से कर्क रेखा गुजरती है।
- सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होने से ताप और दाब में परिवर्तन होने से जलवायु में परिवर्तन आता है ।
MP Jalvayu Fact in Hindi
- सूर्य का उत्तरायण होना-21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत् चमकता है और इसी स्थिति में दिन-रात बराबर होते हैं ।
- 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है । इस समय उत्तरी गोलार्द्ध पर ताप बढ़ जाता है ।
- अधिकांश वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से होती है ।
- रीवा-पन्ना के पठार में दक्षिण-पूर्वी मानसून से भी वर्षा होती है
- म.प्र. में मध्य जून से सितम्बर तक वर्षा होती है ।
- सबसे अधिक वर्षा पचमढ़ी में 199 सेमी. होती है ।
- सबसे कम वर्षा भिण्ड में 55 सेमी. होती है
- मध्य प्रदेश में औसत वर्षा 112 सेमी. होती है ।
- 75 सेमी.से कम वर्षा का क्षेत्र पश्चिमी क्षेत्र है ।
- 75 सेमी. से अधिक वर्षा का क्षेत्र पूर्वी क्षेत्र कहलाता है ।
- पूर्वी क्षेत्र में वर्षा का औसत 140 सेमी. के लगभग है जबकि प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में वर्षा का औसत 75 सेमी. है ।
- 23 सितम्बर से सूर्य दक्षिणायन होता है अर्थात् सूर्य दक्षिण गोलार्द्ध की ओर बढ़ने लगता है, फलतः ताप बढ़ता है ।
- 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर होता है । इससे दक्षिण गोलार्द्ध पर ताप बहुत बढ़ जाता है और उत्तरी गोलार्द्ध पर ताप कम हो जाता है, जिससे गर्मी और सदी की मात्रा बढ़ जाती है ।
- म.प्र. में ऋतु संबंधी आँकड़े एकत्रित करने वाली वेधशाला इंदौर में हैं कर्क रेखा म.प्र. के मध्य से गुजरती है ।
- मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी दोनों मानसूनों से वर्षा होती है ।
- मध्य प्रदेश में सर्वाधिक तापमान गंजबासौदा में 48.7° मापा गया ।
- म.प्र. का औसतन ताप 21° सेंटीग्रेड आँका गया है सबसे कम तापमान शिवपुरी का मापा गया।
- शीत ऋतु में अधिकतम सूखा रहता है ।
- म.प्र. की जलवायु को उष्णकटिबंधीय स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रदेश के मध्य से गुजरने वाली 'कर्क रेखा' उत्तरदायी है, जबकि दक्षिण पश्चिम मानसून से प्राप्त होने वाली वर्षा इसे मानूसनी जलवायु का स्वरूप प्रदान करती है.
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