करेंट अफेयर्स फरवरी 2021 |Current affairs in Hindi Feb 2021
करेंट अफेयर्स फरवरी 2021
Current affairs in Hindi Feb 2021
स्टार्स परियोजना STARS Project
- हाल ही में शिक्षा मंत्रालय की स्टार्स परियोजना (Strengthening Teaching-Learning and Results for States- STARS) के क्रियान्वयन को वित्तीय मदद प्रदान करने हेतु आर्थिक मामलों के विभाग और विश्व बैंक के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
- इसके पूर्व केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने 14 अक्तूबर, 2020 को स्टार्स परियोजना के प्रस्ताव का अनुमोदन किया था।
- स्टार्स परियोजना का क्रियान्वयन शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के अंतर्गत नई केंद्रीय सहायता प्राप्त योजना के रूप में किया जाएगा।
- स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग इस परियोजना के लिये राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
- राज्य स्तर पर परियोजना का क्रियान्वन समग्र शिक्षा की समेकित राज्य क्रियान्वयन सोसाइटी के माध्यम से किया जाएगा।
- स्टार्स परियोजना समग्र शिक्षा के अंतर्गत मौजूदा संरचना में ही क्रियान्वित की जाएगी।
- परियोजना में शामिल राज्य: इस परियोजना में छह राज्य- हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और ओडिशा शामिल हैं।
- परियोजना में शामिल राज्यों को शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के कदमों के लिये सहायता दी जाएगी।
- स्टार्स के तहत विश्व बैंक की प्रस्तावित सहायता मूलत: परिणाम-आधारित वित्तीय उपकरण के रूप में है जिसे प्रोग्राम फॉर रिजल्ट्स (PRR) कहते हैं।
- परियोजना का लाभ: स्टार्स परियोजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विभिन्न अनुशंसाओं जैसे- आरंभिक बाल्यावस्था शिक्षा और आधारभूत शिक्षण, शिक्षण आकलन सुधार प्रणाली, शिक्षक विकास और व्यवसायपरक शिक्षा को लागू करने में सहायक बनेगी।
टॉप 25’ अभियान
- मुंबई पुलिस ने हिस्ट्रीशीटरों अथवा ऐसे लोगों, जो भविष्य में कानून-व्यवस्था पर संकट उत्पन्न कर सकते हैं, को नियंत्रित करने के लिये ‘टॉप 25’ नाम से एक अभियान शुरू किया है। मुंबई पुलिस ने शहर के 95 पुलिस स्टेशनों को अपने क्षेत्राधिकार में शीर्ष 25 आपराधिक तत्त्वों की एक सूची बनाने का आदेश दिया है, इसके बाद इन लोगों से ‘अच्छे व्यवहार’ संबंधी एक बाॅण्ड हस्ताक्षित कराने को कहा गया है, इस कार्य में विफल रहने पर उन्हें जुर्माना देना पड़ेगा। इस अभियान का उद्देश्य शहर में आपराधिक तत्त्वों पर लगाम लगाना और कानून व्यवस्था को बनाए रखना है।
सतलुज जलविद्युत निगम
- नेपाल सरकार ने भारत के सतलुज जलविद्युत निगम लिमिटेड को 679 मेगावाट के अरुण हाइड्रो प्रोजेक्ट निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट देने का निर्णय लिया है। भारतीय कंपनी को यह कॉन्ट्रैक्ट BOOT मॉडल (बिल्ड, ऑन, ऑपरेट एंड ट्रांसफर) के तहत प्रदान किया गया है। प्रस्तावित परियोजना में 679 मेगावाट बिजली उत्पादन की अनुमानित क्षमता है और यह नेपाल के प्रांत 1 के संखुवासभा और भोजपुर ज़िलों में शुरू होगी। इससे पूर्व, चीन की एक राज्य स्वामित्व वाली कंपनी, पावर चाइना ने जलविद्युत परियोजना के निर्माण में रुचि व्यक्त की थी। चीन की कंपनी ने परियोजना को विकसित करने के लिये ‘नेपाल निवेश बोर्ड’ (IBN) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किये थे। यह एक निजी-सार्वजनिक भागीदारी (P3) परियोजना मॉडल है, जहाँ संगठन अथवा कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र के भागीदारों जैसे- सरकारी एजेंसियों के अनुबंध के तहत बड़ी विकास परियोजनाओं का संचालन करती है।
स्टारडस्ट 1.0
- अमेरिका आधारित रॉकेट स्टार्टअप कंपनी ‘ब्लूशिफ्ट एयरोस्पेस’ ने जैव ईंधन द्वारा संचालित विश्व का पहला वाणिज्यिक बूस्टर लॉन्च किया है। ‘स्टारडस्ट 1.0’ नाम का यह बूस्टर (रॉकेट) तकरीबन 20 फीट लंबा है और इसका द्रव्यमान लगभग 250 किलोग्राम है। यह रॉकेट अधिकतम 8 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है। कंपनी के मुताबिक, इस रॉकेट के संचालन में प्रयोग किया गया जैव-ईंधन गैर-विषैला और पूरी तरह से कार्बन-तटस्थ है, जिससे यह प्रकृति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं करेगा। ये रॉकेट अंतरिक्ष में क्यूबेट्स नामक छोटे उपग्रहों को लॉन्च करने में मदद करेंगे, जो कि पारंपरिक रॉकेट की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता है और पर्यावरण के प्रति कम विषाक्त है।
इंडो-फ्रेंच ईयर ऑफ एन्वायरनमेंट
- हाल ही में भारत और फ्रांँस ने सतत् विकास के क्षेत्र में मज़बूत सहयोग और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के लिये ‘इंडो-फ्रेंच ईयर ऑफ एन्वायरनमेंट’ नाम से एक संयुक्त पहल की शुरुआत की है। वर्ष 2021-2022 में आयोजित होने वाली यह ‘इंडो-फ्रेंच ईयर ऑफ एन्वायरनमेंट’ पहल मुख्य रूप से पाँच विषयों पर केंद्रित होगी: (1) पर्यावरण संरक्षण, (2) जलवायु परिवर्तन, (3) जैव विविधता संरक्षण, (4) सतत् शहरी विकास और (5) नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षता का विकास। यह पहल पर्यावरण और संबद्ध क्षेत्रों में सहभागिता से जुड़े महत्त्वपूर्ण विषयों के बारे में चर्चा करने के एक मंच के रूप में भी कार्य करेगा। ज्ञात हो कि भारत ने जलवायु परिवर्तन कार्रवाई की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है और उत्सर्जन तीव्रता में पहले ही 26 प्रतिशत कमी का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
भारत अंतर्राष्ट्रीय रेशम मेला
- केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने वर्चुअल पोर्टल पर आठवें भारत अंतर्राष्ट्रीय रेशम मेले का उद्घाटन किया। पाँच दिन तक चलने वाले इस मेले को भारत का सबसे बड़ा रेशम मेला माना जाता है। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस मेले को ‘भारतीय रेशम निर्यात संवर्द्धन परिषद’ (ISEPC) द्वारा वचुर्अल मंच पर आयोजित किया जा रहा है। 200 से अधिक विदेशी खरीदार पहले से ही इस मेले के लिये पंजीकृत हो गए हैं। यह मेला भारतीय रेशम की सुंदरता और जीवंतता का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है। रेशम उत्पादन में भारत का लंबा इतिहास है और यह रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत विश्व का एकमात्र देश है, जो रेशम की सभी चार प्रमुख किस्मों- शहतूत, एरी, टसर और मूगा का उत्पादन करता है। रेशम, रसायन विज्ञान की भाषा में रेशमकीट के रूप में विख्यात इल्ली (Caterpillar) द्वारा निकाले जाने वाले एक प्रोटीन से बना होता है। ये रेशमकीट कुछ विशेष खाद्य पौधों पर पलते हैं तथा अपने जीवन को बनाए रखने के लिये ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में कोकून का निर्माण करते हैं। रेशमकीट का जीवन-चक्र 4 चरणों- अण्डा (Egg), इल्ली (Caterpillar), प्यूपा (Pupa) तथा शलभ (Moth) में निर्मित होता है। रेशम प्राप्त करने के लिये इसके जीवन-चक्र के कोकून चरण में अवरोध डाला जाता है और व्यावसायिक महत्त्व का तंतु (Silk) निकाला जाता है जिससे वस्त्रों का निर्माण किया जाता है।
आदि महोत्सव
- उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने 01 फरवरी, 2021 को नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाट में राष्ट्रीय जनजातीय पर्व 'आदि महोत्सव' का उद्घाटन किया। यह आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय आदिवासी सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) द्वारा किया जाता है। आदि महोत्सव का आयोजन 1-5 फरवरी, 2021 तक किया जा रहा है। ‘आदि महोत्सव’ आदिवासी संस्कृति, शिल्प, भोजन और वाणिज्य की भावना का उत्सव है, जिसे वर्ष 2017 में शुरू किया गया था और तब से सफलतापूर्वक इसका आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है। यह महोत्सव देश भर के आदिवासियों की समृद्ध और विविध शिल्प एवं संस्कृति को एक स्थान पर प्रदर्शित करने और उसे आम लोगों को जानने का अवसर प्रदान करता है। इस महोत्सव के दौरान आदिवासी कला और शिल्प, चिकित्सा व उपचार, भोजन एवं लोक कलाओं का प्रदर्शन तथा उनकी बिक्री की जाएगी। इसमें देश के 20 से अधिक राज्यों के लगभग 1000 आदिवासी कारीगर और कलाकार भाग लेंगे और अपनी समृद्ध पारंपरिक संस्कृति की झलक प्रस्तुत करेंगे। देश की आबादी में कुल 8 प्रतिशत से अधिक जनजातियाँ मौजूद हैं, इसके बावजूद वे समाज के वंचित वर्गों में शामिल हैं। प्राकृतिक सादगी से प्रेरित, उनकी रचनाओं में एक कालातीत अपील है।
हिंदी वर्ड ऑफ द इयर: ‘आत्मनिर्भर’
- ‘ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़’ ने ‘आत्मनिर्भर’ शब्द को वर्ष 2020 के लिये ‘हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर’ के रूप में चुना है। वर्ष 2019 के लिये ‘संविधान’ को ‘हिंदी वर्ड ऑफ द ईयर’ के रूप में चुना गया था, क्योंकि यह शब्द वर्ष 2019 में सबरीमाला वाद, अनुच्छेद 370 और राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय आदि के कारण काफी चर्चा में आ गया था। ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़ द्वारा घोषित ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ एक ऐसा शब्द अथवा अभिव्यक्ति है, जिसने किसी एक विशिष्ट वर्ष में आम लोगों का काफी अधिक ध्यान आकर्षित किया हो। किसी भी वर्ष के लिये ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ का चयन करने के लिये ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़ द्वारा अपने भाषा अनुसंधान कार्यक्रम के तहत शब्दों के उपयोग संबंधी आँकड़े एकत्र किये जाते हैं और फिर उपयोग के आधार पर शब्दों का चयन किया जाता है। ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज़ ने वर्ष 2020 के लिये ‘आत्मनिर्भर’ शब्द को चुना है, क्योंकि वर्ष 2020 के दौरान इस शब्द का काफी प्रयोग किया गया है और वर्ष 2021 के केंद्रीय बजट में भी इस शब्द को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। ज्ञात हो कि मई 2020 में प्रधानमंत्री ने COVID-19 रिकवरी पैकेज की घोषणा करते हुए ‘आत्मनिर्भरता’ की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था।
हर घर पानी, हर घर सफाई’
- हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2022 में मार्च माह तक सभी ग्रामीण घरों में 100 प्रतिशत पाइप से पेयजल की आपूर्ति के लक्ष्य को पूरा करने के लिये 'हर घर पानी, हर घर सफाई' मिशन की शुरुआत की है। सुरक्षित पेयजल को राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में घोषित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक जलापूर्ति और स्वच्छता योजनाओं पर प्रतिवर्ष औसतन 920 करोड़ रुपए खर्च किये हैं। मार्च 2017 से अब तक ग्रामीण स्वच्छता और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति पर 1450 करोड़ रुपए खर्च किये गए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने मोगा ज़िले के 85 गाँवों को कवर करते हुए 172 गाँवों, 121 आर्सेनिक और आयरन रिमूवल प्लांटों के लिये 144 नई जलापूर्ति योजनाओं वाली एक ‘मेगा सर्फेस वाटर सप्लाई योजना’ का भी उद्घाटन किया है। इस योजना से अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर ज़िलों के 155 गाँवों के 1.6 लाख से अधिक निवासियों को पीने के पानी के लिये भू-जल की आपूर्ति में मदद मिलेगी, इसके अलावा आर्सेनिक की समस्या का भी समाधान हो सकेगा। इस योजना का वित्तपोषण विश्व बैंक, केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन, नाबार्ड और राज्य सरकार के बजट द्वारा किया जा रहा है।
आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन केंद्र
- 2 फरवरी, 2021 को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिये चेन्नई में ‘आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन केंद्र’ (CWCM) नाम से भारत का पहला समर्पित केंद्र स्थापित किया गया है। यह विशिष्ट संस्थान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (NCSCM) का हिस्सा है। यह समर्पित केंद्र (CWCM) आर्द्रभूमि के विषय में विशिष्ट अनुसंधान आवश्यकताओं और इससे संबंधित ज्ञान एवं सूचनाओं की कमी आदि समस्याओं को संबोधित करेगा और आर्द्रभूमि के संरक्षण तथा प्रबंधन के लिये एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने में सहायता करेगा। आर्द्रभूमि संरक्षण और प्रबंधन केंद्र, देश में आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिये नीति व नियामक ढाँचे, प्रबंधन योजना तथा लक्षित अनुसंधान को डिज़ाइन तथा कार्यान्वित करने में राष्ट्रीय एवं राज्य सरकारों की सहायता करेगा। यह आर्द्रभूमि शोधकर्त्ताओं, नीति निर्माताओं, प्रबंधकों और उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक ‘नॉलेज हब’ के रूप में कार्य करेगी। दरअसल, आर्द्रभूमि वे क्षेत्र हैं जहाँ भरपूर नमी पाई जाती है और इसके कई लाभ भी हैं। आर्द्रभूमि जल को प्रदूषण से मुक्त बनाती है। आर्द्रभूमि वह क्षेत्र है जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णतः जल से भरा रहता है। देश में ऐसे 42 स्थान हैं, जिन्हें ‘वेटलैंड्स ऑफ इंटरनेशनल इंपोर्टेंस’ या रामसर साइटों के रूप में नामित किया गया है।
स्विच दिल्ली’ अभियान
- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिये 'स्विच दिल्ली' अभियान की शुरुआत की है, साथ ही मुख्यमंत्री ने राजधानी के लोगों से शहर में प्रदूषण से निपटने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने की अपील की है। ‘स्विच दिल्ली’ अभियान के दौरान इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाएगी और साथ ही इस बात पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से किस प्रकार दिल्ली को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। ज्ञात हो कि बीते वर्ष अगस्त माह में दिल्ली सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicles-EV) नीति, 2020 जारी की गई थी। इस नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा निजी चार पहिया वाहनों, दोपहिया वाहनों, सार्वजनिक परिवहन तथा साझा वाहनों एवं माल-वाहको के प्रतिस्थापन पर ज़ोर दिया गया है। इस नीति के मुताबिक, सरकार वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के इच्छुक लोगों को कम-ब्याज दर पर ऋण प्रदान करेगी।
थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा ओडिशा के बालासोर में देश का पहला थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड स्थापित किया जाएगा। इस थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड के गठन का प्राथमिक उद्देश्य बिजली गिरने के कारण मानव की मृत्यु और संपत्ति के नुकसान को कम करना है। इस अनुसंधान केंद्र को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से स्थापित किया जाएगा। इस केंद्र में आस-पास के क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वेधशालाएँ स्थापित की जाएंगी, साथ ही यहाँ थंडरस्टॉर्म पर अध्ययन भी किया जाएगा। ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष अप्रैल से जून माह के बीच बिजली गिरने के कारण ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड राज्यों को जान-माल के नुकसान का सामना करना पड़ता है। इस लिहाज से यह केंद्र काफी महत्त्वपूर्ण है।
विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन-2021
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 फरवरी, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विश्व सतत् विकास शिखर सम्मेलन-2021 का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन का मुख्य विषय है - सबके लिये सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण तथा हमारा साझा भविष्य। नई दिल्ली स्थित ‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट’ द्वारा आयोजित यह 20वाँ शिखर सम्मेलन है, जिसमें विश्व में सतत् विकास को बढ़ावा देने को लेकर चर्चा की जाएगी। विश्व के अनेक देशों के प्रतिनिधियों के अलावा अलग-अलग देशों के विद्वान, जलवायु वैज्ञानिक, युवा और सिविल सोसाइटी के लोग भी इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किये जा रहे इस सम्मेलन में गुयाना के राष्ट्रपति डॉक्टर मोहम्मद इरफान अली, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे, मालदीव की पीपुल्स मजलिस के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद, संयुक्त राष्ट्र की उप-महासचिव अमिना जे मोहम्मद भी हिस्सा लेंगे।
भारत की पहली भू-तापीय बिजली परियोजना
- पूर्वी लद्दाख के पूगा गाँव में भारत की पहली भू-तापीय बिजली परियोजना शुरू की जाएगी। वैज्ञानिकों ने पूगा की पहचान देश में भू-तापीय ऊर्जा के हॉटस्पॉट के रूप में की है। इस परियोजना के पहले चरण में तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ONGC) द्वारा एक मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्र चलाने के लिये 500 मीटर तक की खुदाई की जाएगी। चीन की सीमा के करीब और लेह से पूर्व में 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस परियोजना के दूसरे चरण में भू-तापीय जलाशय की क्षमता का पता लगाने के लिये और अधिक गहरी खुदाई की जाएगी। वहीं इस परियोजना के तीसरे चरण में एक वाणिज्यिक पावर प्लांट भी स्थापित किया जाएगा। अनुमान के मुताबिक, इस क्षेत्र से तकरीबन 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। शुरुआती चरणों में इस प्लांट की मदद से पास के ही तिब्बती शरणार्थी बस्तियों में बिजली पहुँचाने की योजना बनाई गई है। लद्दाख के पूगा और चुमाथांग को भारत में सबसे महत्त्वपूर्ण भू-तापीय क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इन क्षेत्रों की पहचान सर्वप्रथम 1970 के दशक में की गई थी।
विश्व का पहला ‘एनर्जी आइलैंड’
- डेनमार्क में तकरीबन 3 मिलियन घरों की ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एक विशाल ऊर्जा द्वीप के निर्माण को मंज़ूरी दी गई है। डेनमार्क का यह ऊर्जा द्वीप विश्व का पहला पहला ऊर्जा द्वीप होगा, जो कि तकरीबन 18 फुटबॉल मैदानों के बराबर होगा। इस परियोजना को तकरीबन 210 बिलियन डेनिश क्रोन की अनुमानित लागत से पूरा किया जाएगा और इसे डेनमार्क के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी निर्माण परियोजना में से एक माना जा रहा है। यह आइलैंड 200 विशाल अपतटीय पवन टर्बाइनों के लिये एक केंद्र के रूप में काम करेगा। समुद्र से तकरीबन 80 किलोमीटर (50 मील) की दूरी पर स्थित इस कृत्रिम ऊर्जा द्वीप में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी डेनमार्क की सरकार की होगी। डेनमार्क के जलवायु अधिनियम के तहत, वर्ष 1990 के दशक से वर्ष 2030 के दशक तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन स्तर में तकरीबन 70 प्रतिशत की कमी लाने और वर्ष 2050 तक CO2 तटस्थ बनने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर की गई है। दिसंबर 2020 में डेनमार्क ने घोषणा की थी कि वह उत्तरी सागर में सभी प्रकार के नए तेल और गैस अन्वेषण कार्यक्रमों को समाप्त कर देगा। यह ‘एनर्जी आइलैंड’ डेनमार्क के ऊर्जा उद्योग के लिये भी काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगा।
तुर्की का नया अंतरिक्ष कार्यक्रम
- तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने हाल ही में देश के लिये एक महत्त्वाकांक्षी 10-वर्षीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का अनावरण किया है, जिसमें चाँद पर एक मिशन भेजना, तुर्की के नागरिकों को अंतरिक्ष में भेजना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवहार्य उपग्रह प्रणाली विकसित करना शामिल है। अपने नए अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत तुर्की ने वर्ष 2023 तक चाँद पर मिशन भेजने की योजना बनाई है, इसी वर्ष संयोगवश तुर्की की स्थापना के सौ वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। एर्दोगन ने तुर्की के नागरिकों को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजने और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में स्वयं को एक ‘वैश्विक ब्रांड’ बनाने का भी ऐलान किया। तुर्की ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर वैश्विक स्तर पर चल रही प्रतिस्पर्द्धा में शामिल होने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में तुर्की अंतरिक्ष एजेंसी (TUA) की स्थापना की थी। इस एजेंसी का मुख्यालय तुर्की की राजधानी, अंकारा में स्थित है। ज्ञात हो कि हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति हासिल की है और उसका ‘होप’ मिशन मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँच गया है।
उद्यानोत्सव
- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 12 फरवरी, 2021 को राष्ट्रपति भवन के वार्षिक ‘उद्यानोत्सव’ का शुभारंभ करेंगे। वार्षिक उत्सव के तहत राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित ‘मुगल गार्डन’ को 13 फरवरी, 2021 से 21 मार्च, 2021 (प्रत्येक सोमवार को छोड़कर) तक आम जनता के लिये खोला जाएगा। 15 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैले ‘मुगल गार्डन’ को प्रायः राष्ट्रपति भवन की सबसे नायाब चीज़ों में से एक माना जाता है। सर एडविन लुटियन ने वर्ष 1917 की शुरुआत में मुगल गार्डन के डिज़ाइन को अंतिम रूप दिया था, हालाँकि इस गार्डन में रोपण का कार्य वर्ष 1928-1929 में समाप्त हुआ था। ‘मुगल गार्डन’ के निर्माण के लिये सर लुटियन ने बागवानी की दो विशिष्ट शैलियों- मुगल शैली और अंग्रेज़ी फूल गार्डन शैली का मिश्रित प्रयोग किया। गुलाब, ट्यूलिप, एशियाई लिली, डैफोडिल्स, जलकुंभी और अन्य मौसमी फूल राष्ट्रपति भवन के उद्यानों को सुशोभित करते हैं। राष्ट्रपति भवन के इस उद्यान में फूलों की तकरीबन 70 किस्में मौजूद हैं। इस उद्यान की विशालता को इस बात से समझा जा सकता है कि वर्तमान में राष्ट्रपति भवन के उद्यानों के विकास और रखरखाव के लिये 300 से अधिक स्थायी और आकस्मिक कर्मचारी तैनात हैं।
वित्तीय साक्षरता सप्ताह-2021
- राष्ट्रव्यापी अभियान के एक हिस्से के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा वित्तीय शिक्षा का प्रचार करने के लिये 8-12 फरवरी, 2021 के मध्य वित्तीय साक्षरता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। वित्तीय साक्षरता सप्ताह-2021 का विषय ‘ऋण अनुशासन और औपचारिक संस्थाओं से ऋण’ है। यह विषय वित्तीय शिक्षा के लिये राष्ट्रीय कार्यनीति 2020-2025 के उद्देश्यों में से एक है। इस वित्तीय साक्षरता सप्ताह के दौरान मुख्य तौर पर (1) उत्तरदायी ऋण; (2) औपचारिक संस्थानों से ऋण और (3) समय पर भुगतान, जैसे विषयों पर ध्यान दिया जाएगा। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) वर्ष 2016 से ही देश भर में किसी विशिष्ट विषय पर वित्तीय शिक्षा संदेशों का प्रचार करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष वित्तीय साक्षरता सप्ताह (FLW) का आयोजन कर रहा है। रिज़र्व बैंक द्वारा आम जनता के लिये आवश्यक वित्तीय जागरूकता संदेशों को प्रसारित करने हेतु फरवरी 2021 में एक केंद्रीकृत जन मीडिया अभियान चलाया जाएगा।
‘मुख्यमंत्री विज्ञान प्रतिभा परीक्षा’ योजना
- दिल्ली कैबिनेट ने हाल ही में ‘मुख्यमंत्री विज्ञान प्रतिभा परीक्षा’ को मंज़ूरी दी है, जिसमें दिल्ली के स्कूलों में कक्षा 9 के 1,000 मेधावी छात्रों को विज्ञान छात्रवृत्ति के रूप में 5,000 रुपए प्रदान किये जाएंगे। इस छात्रवृत्ति का उद्देश्य स्कूली स्तर पर माध्यमिक कक्षाओं में विज्ञान संबंधी विषयों में शिक्षा को बढ़ावा देना है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, दिल्ली के स्कूलों में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र, जिन्होंने कक्षा 8 में 60 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किये हैं, वे इस परीक्षा के लिये पात्र हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगों या अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित छात्रों को 5 प्रतिशत तक छूट दी जाएगी।
मांडू महोत्सव-2021
- मध्य प्रदेश में धार ज़िले के ऐतिहासिक शहर मांडू में तीन दिवसीय मांडू महोत्सव की शुरुआत हो गई है। महोत्सव में ‘वोकल फॉर लोकल’ के विचार को साकार करने के लिये स्थानीय हस्तनिर्मित उत्पादों को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस उत्सव का आयोजन मध्य प्रदेश सरकार और राज्य पर्यटन बोर्ड द्वारा संयुक्त तौर पर किया जा रहा है। मांडू उत्सव के दौरान योग सत्र, साइकिल यात्रा, हेरिटेज वॉक और ग्रामीण भ्रमण आदि शामिल हैं, जिसके पश्चात् स्थानीय कलाकारों द्वारा संगीत समारोह का भी आयोजन किया जाएगा। महोत्सव में मध्य प्रदेश की प्राचीन कला और शिल्प का प्रदर्शन होगा। मांडू, मध्य प्रदेश स्थित एक प्राचीन शहर है। मांडू, पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के धार ज़िले में स्थित है। इस ऐतिहासिक शहर को परमार राजवंश के राजा भोज द्वारा स्थापित किया गया था, जिसके बाद 1304 ईस्वी में दिल्ली के मुस्लिम शासकों द्वारा इस पर कब्ज़ा कर लिया गया।
स्थायी उत्पादन प्रणाली को लेकर समझौता
- भारत सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार और विश्व बैंक ने छत्तीसगढ़ में स्थायी उत्पादन प्रणाली विकसित करने के लिये 10 करोड़ डॉलर की ऋण परियोजना पर हस्ताक्षर किये हैं, यह राज्य के दूरदराज़ के क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों को पूरे वर्ष विविध एवं पौष्टिक खाद्य का उत्पादन करने की अनुमति देगा। इस समझौते के तहत ‘छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास’ परियोजना यानी ‘चिराग’ को राज्य के दक्षिणी आदिवासी बहुल उस क्षेत्र में जल्द-से-जल्द लागू किया जाएगा, जहाँ एक बड़ी आबादी कुपोषण और गरीबी से प्रभावित है। इस परियोजना से छत्तीसगढ़ के आठ ज़िलों के लगभग एक लाख 80 हज़ार से अधिक परिवारों को लाभ मिलेगा। ज्ञात हो कि कृषि भारत में आजीविका का एक प्रमुख साधन है और यह समझौता केंद्र सरकार के वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को भी पूरा करेगा। छत्तीसगढ़ की ‘चिराग’ परियोजना विविध और पौष्टिक भोजन तथा सतत् कृषि प्रणाली की नींव रखेगी। यह छोटे किसानों को किसान उत्पादक संगठनों से जोड़ेगा और लाभदायक बाज़ारों तक उनकी पहुँच में सुधार कर आमदनी बढ़ाएगा।
मध्य प्रदेश में डाकुओं पर आधारित संग्रहालय
- जल्द ही मध्य प्रदेश के भिंड में स्थित पुलिस मुख्यालय में डाकुओं पर एक अनूठा संग्रहालय स्थापित किया जाएगा। मध्य प्रदेश के इस संग्रहालय में कई अनोखी वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें फूलन देवी और निर्भय गुज्जर आदि से संबंधित वस्तुएँ शामिल हैं। इस संग्रहालय का उद्देश्य डाकुओं का सम्मान करना अथवा उनकी प्रशंसा करना नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य डाकुओं के अपराधों को प्रमुखता से प्रदर्शित करना और अपराधों को रोकने के लिये पुलिस द्वारा किये गए बलिदानों को उजागर करना है। इस संग्रहालय में कुख्यात डाकुओं द्वारा की गई हत्याओं, लूट और अपहरण के मामलों में पिछले पाँच दशकों में पुलिस द्वारा एकत्र किये गए कम-से-कम 2,000 डिजिटल रिकॉर्ड और सामग्री को संकलित किया जाएगा।
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम
- हाल ही में ‘विज्ञान ज्योति कार्यक्रम’ के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए इस कार्यक्रम का विस्तार देश के 50 और ज़िलों तक कर दिया गया है। लड़कियों की विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने और उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा ‘विज्ञान ज्योति कार्यक्रम’ की शुरुआत की गई थी। दिसंबर 2019 से यह कार्यक्रम 50 जवाहर नवोदय विद्यालयों में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है और अब इसे वर्ष 2021-22 के लिये 50 और विद्यालयों में शुरु कर दिया गया है। यह कार्यक्रम स्टेम (STEM- Science, Technology, Engineering and Mathematics) क्षेत्रों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व की समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। इस योजना का उद्देश्य स्टेम शिक्षा में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाना है। इस योजना के अंतर्गत छात्राओं के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में विज्ञान शिविर का आयोजन किया जाएगा, साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कॉर्पोरेट, विश्वविद्यालयों तथा डीआरडीओ जैसे शीर्ष संस्थानों में कार्यरत सफल महिलाओं से शिविर के माध्यम से संपर्क स्थापित कराया जाएगा।
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव
- देश की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिये संस्कृति मंत्रालय द्वारा पश्चिम बंगाल के कूचबिहार ज़िले में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव-2021 का आयोजन किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत की सांस्कृतिक विरासत, शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, गीत तथा स्थानीय हस्तशिल्प को प्रदर्शित किया जाएगा। इस महोत्सव के 10वें संस्करण का आयोजन अक्तूबर 2019 में मध्य प्रदेश में किया गया था, जबकि 11वें संस्करण का आयोजन पश्चिम बंगाल में किया जा रहा है। इस महोत्सव का आयोजन वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं जैसे- लोक संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प एवं पाक-कला के ज़रिये भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया जाता है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के आयोजन के प्राथमिक उद्देश्यों में विभिन्न राज्यों/संघशासित प्रदेशों के लोगों के बीच सद्भाव को बढ़ाना, देश की विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच परस्पर समझ और संबंधों को बढ़ावा देना और भारत की एकता एवं अखंडता सुनिश्चित करना शामिल है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का 11वाँ संस्करण इस लिहाज से भी काफी महत्त्वपूर्ण है कि इसका आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है, जब भारत समेत संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला कर रहा है और जिसने विशेष तौर पर सांस्कृतिक क्षेत्र को काफी प्रभावित किया है।
इसरो का स्वदेशी मैप
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और ‘मैप माई इंडिया’ ने गूगल मैप के स्वदेशी विकल्प को विकसित करने के लिये भागीदारी की है। इस परियोजना के तहत इसरो (ISRO) के उपग्रह चित्रों और ‘मैप माई इंडिया’ के डिजिटल मैप प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा। ‘मैप माई इंडिया’ वेबसाइट के डेटाबेस को इसरो के हाई-एंड उपग्रह कैटलॉग और पृथ्वी अवलोकन डेटा के साथ जोड़ा जाएगा। उपयोगकर्त्ता इस नए स्वदेशी मैप के माध्यम से मौसम, कृषि उत्पादन, भूमि परिवर्तन आदि को ट्रैक करने में सक्षम होंगे, साथ ही आपदाओं के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह साझेदारी भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगी। इस सेवा के तहत इसरो द्वारा विकसित भारत के ‘नाविक पोज़िशनिंग सिस्टम’ का उपयोग किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना वर्ष 1969 में हुई। यह भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है और इसका मुख्यालय बंगलूरू में है। वहीं ‘मैप माई इंडिया’ वर्ष 1992 में स्थापित एक निजी कंपनी है, जो कि भारत की मानचित्र-निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है।
यूएस-मेक्सिको बॉर्डर पर दीवार निर्माण का आदेश रद्द
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार के निर्माण को लेकर जारी किये गए आपातकालीन आदेश को रद्द कर दिया है। आँकड़ों की मानें तो अब तक इस दीवार के निर्माण में कुल 25 बिलियन डॉलर खर्च किये जा चुके हैं। अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर 2000 मील लंबा है तथा यह सीमा अमेरिका के चार राज्यों कैलिफोर्निया, एरिज़ोना, न्यू मेक्सिको और टेक्सास से लगी है। इस पर उचित तरीके से फेंसिंग नहीं हो पाई है, जिसके कारण कोई भी मेक्सिकन नागरिक अमेरिका में प्रवेश कर सकता है। अमेरिका में होने वाले इस अवैध प्रवासन को रोकने के लिये अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाना पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान का प्रमुख हिस्सा था। हालाँकि अमेरिकी काॅन्ग्रेस ने राष्ट्रपति की इस परियोजना का विरोध किया था, जिसके पश्चात् डोनाल्ड ट्रंप ने इस दीवार के निर्माण के लिये आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करने की घोषणा की थी।
कोविड वाॅरियर मेमोरियल
- ओडिशा सरकार ने राज्य में ‘कोविड वाॅरियर मेमोरियल’ स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह मेमोरियल ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित बीजू पटनायक पार्क में स्थापित किया जाएगा। इस मेमोरियल के निर्माण का उद्देश्य उन फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं के बलिदान और निस्वार्थ सेवा को पहचान प्रदान करना और उन्हें सम्मानित करना है, जिन्होंने महामारी से लड़ते हुए अपनी जान गँवा दी। जो लोग इस संकट की स्थिति से लड़ते हुए शहीद हुए, उनका नाम इस स्मारक में उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिये अंकित किया जाएगा। राज्य के निर्माण विभाग को ‘कोविड वाॅरियर मेमोरियल’ के लिये नोडल विभाग बनाया गया है। आँकड़ों की मानें तो ओडिशा में अब तक महामारी से मुकाबला करते हुए लगभग 60 फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं और स्वास्थ्य कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है।
ई-छावनी पोर्टल
- हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘ई-छावनी’ नाम से एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य देश भर की कुल 62 छावनी बोर्डों में रहने वाले 20 लाख से अधिक नागरिकों को ऑनलाइन नगरपालिका सेवाएँ प्रदान करना है। छावनी बोर्डों में रहने वाले नागरिक अपनी शिकायतें इस पोर्टल पर दर्ज कर सकते हैं और घर बैठे ही उन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से छावनी बोर्डों में रहने वाले लोगों के लिये लीज़ के नवीनीकरण हेतु आवेदन, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण तथा पानी और सीवरेज कनेक्शन हेतु आवेदन करना आसान हो जाएगा। इस पोर्टल को ‘ई-गोव फाउंडेशन, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), रक्षा संपदा महानिदेशक (DGDE) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। छावनी का आशय एक ऐसे स्थायी सैन्य स्टेशन से है, जहाँ सेना की इकाइयाँ लंबी अवधि के लिये तैनात की जाती हैं, हालाँकि छावनियाँ सेना स्टेशनों से अलग होती हैं, क्योंकि सेना स्टेशन पूरी तरह से सशस्त्र बलों के प्रयोग तथा आवास के लिये होते हैं, जबकि छावनी ऐसे क्षेत्र हैं, जिनका उपयोग सेना और आम नागरिकों दोनों द्वारा किया जाता है। देश में वर्तमान में कुल 62 छावनियाँ हैं, जो छावनी अधिनियम, 1924 (जिसका स्थान छावनी अधिनियम, 2006 ने ले लिया है) के अंतर्गत अधिसूचित हैं। अधिसूचित छावनियों के नगर प्रशासन का समग्र कार्य छावनी बोर्डों के पास है जो कि लोकतांत्रिक निकाय हैं।
‘माँ’ कैंटीन
- हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 5 रुपए की मामूली लागत पर गरीबों और निराश्रितों के लिये रियायती पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने के लिये ‘माँ’ कैंटीन का शुभारंभ किया है। इस नई योजना के तहत राज्य सरकार कैंटीन में प्रति व्यक्ति भोजन के लिये 15 रुपए की सब्सिडी देगी, जबकि लोगों को 5 रुपए का भुगतान करना होगा। इस माह की शुरुआत में मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत किये गए बजट में इस योजना के लिये 100 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। ‘माँ’ कैंटीन को शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के विभाग की मदद से राज्य के स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित किया जाएगा। ध्यातव्य है कि महामारी के बाद से भारत समेत संपूर्ण विश्व में खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंता और भी गंभीर हो गई है, ऐसे में पश्चिम बंगाल सरकार की यह योजना राज्य के गरीब और अपेक्षाकृत संवेदनशील लोगों के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है।
वाणिज्यिक पटसन बीज वितरण योजना
- कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल ही में ‘वाणिज्यिक पटसन बीज वितरण योजना’ की शुरुआत की है। भारतीय पटसन निगम (JCI) ने वर्ष 2021-22 के लिये एक हज़ार मीट्रिक टन प्रमाणित पटसन बीजों के वाणिज्यिक वितरण के लिये बीते वर्ष राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। देश भर में पटसन किसानों की सहायता करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिसमें पटसन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि किया जाना भी शामिल है। जहाँ एक ओर वर्ष 2014-15 में पटसन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2400 रुपए प्रति क्विंटल था, वहीं वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 4225 रुपए तक पहुँच गया है। वर्ष 1971 में गठित भारतीय पटसन निगम का प्राथमिक उद्देश्य देश भर में पटसन की खेती में लगे लगभग 4.00 मिलियन परिवारों के हितों की रक्षा करना है। वहीं राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (NSC) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसकी स्थापना वर्ष 1963 में की गई थी। वर्तमान में यह अपने फार्मों एवं पंजीकृत बीज उत्पादकों के माध्यम से लगभग 60 फसलों की 600 किस्मों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन कर रही है, जिसमें मोटे अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, रेशा, हरी खाद एवं सब्ज़ियाँ आदि शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
- अजय माथुर को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का नया महानिदेशक नियुक्त किया गया है। अजय माथुर उपेंद्र त्रिपाठी का स्थान लेंगे, जो वर्ष 2017 से महानिदेशक के तौर पर अपनी सेवाएँ दे रहे थे। अजय माथुर वर्तमान में ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (TERI) के महानिदेशक और जलवायु परिवर्तन पर प्रधानमंत्री की परिषद के सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। इसके अलावा वे वर्ष 2006 से वर्ष 2016 तक भारत सरकार में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) के महानिदेशक के तौर पर भी कार्य कर चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) भारत और फ्राँस द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य वित्तीय लागत एवं प्रौद्योगिकी लागत को कम करने के लिये आवश्यक संयुक्त प्रयास करना, बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पाद के लिये आवश्यक निवेश जुटाना तथा भविष्य की प्रौद्योगिकी के लिये उचित मार्ग तैयार करना है।
भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश का तीसरा संस्करण
- हाल ही में तकरीबन 10000 शब्दों के साथ भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश के तीसरे संस्करण को लॉन्च किया गया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) द्वारा तैयार किये गए इस शब्दकोश में दैनिक उपयोग, अकादमिक, कानूनी एवं प्रशासनिक, चिकित्सा, तकनीकी एवं कृषि क्षेत्र से संबंधित शब्द शामिल हैं। भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश का पहला संस्करण मार्च 2018 में लॉन्च किया गया था, जिसमें कुल 3,000 शब्द शामिल थे, जबकि इसका दूसरा संस्करण फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया, जिसमें 6,000 शब्द शामिल थे। भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग का एक स्वायत्त राष्ट्रीय संस्थान है, जो भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोग को लोकप्रिय बनाने और भारतीय सांकेतिक भाषा में शिक्षण तथा अनुसंधान हेतु मानव शक्ति के विकास की दिशा में कार्य कर रहा है। इस केंद्र के गठन की घोषणा वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2011-12 के केंद्रीय बजट में की गई थी।
वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो
- हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) को ‘नवाचार’ श्रेणी में एशिया एन्वायरनमेंट एनफोर्समेंट अवार्ड-2020 से सम्मानित किया गया है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) को भारत में वन्यजीव अपराधों को रोकने के लिये प्रतिबद्धता हेतु बीते तीन वर्ष में दो बार यह पुरस्कार दिया जा चुका है। इससे पूर्व वर्ष 2018 में भी ब्यूरो को इसी श्रेणी में पुरस्कृत किया गया था। एशिया एन्वायरनमेंट एनफोर्समेंट अवार्ड एशियाई देशों में सरकारी संस्थाओं और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पर्यावरण संबंधी अपराधों को नियंत्रित करने हेतु किये गए प्रयासों की पहचान करता है और उन्हें मान्यता प्रदान करता है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन भारत सरकार द्वारा स्थापित एक सांविधिक बहु-अनुशासनिक इकाई है। वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अधिनियमित किया जाता है।
स्कॉच चीफ मिनिस्टर ऑफ द इयर अवार्ड
- आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी को ‘स्कॉच चीफ मिनिस्टर ऑफ द इयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। स्कॉच समूह द्वारा घोषित इस पुरस्कार के लिये चयन विभिन्न राज्यों में परियोजना-स्तरीय परिणामों के अध्ययन पर आधारित है। इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए स्कॉच समूह ने कहा कि ‘वाईएसआर रैतु भरोसा केंद्र’ जैसी योजनाओं ने ग्रामीण स्तर पर एक बेहतर मॉडल विकसित किया है। इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी के विरुद्ध प्रतिक्रिया में सरकार द्वारा की गई पहलों के वांछनीय परिणाम देखने को मिले हैं। इस पुरस्कार के चयन के लिये स्कॉच समूह द्वारा आंध्र प्रदेश की कुल 123 परियोजनाओं और उनके परिणामों का अध्ययन किया गया है। अध्ययन में यह सामने आया है कि राज्य सरकार ने शासन को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बीते दो वर्षों में कई क्रांतिकारी और अभिनय उपाय किये हैं।
ननकाना साहिब नरसंहार
- हाल ही में ननकाना साहिब नरसंहार अथवा शक ननकाना साहिब की 100वीं शताब्दी पर आयोजित समारोह की शुरुआत हो गई है। वर्ष 1920 में अस्तित्व में आते ही ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ (SGPC) ने गुरुद्वारा सुधार आंदोलन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ‘महंतों’ की निजी संपत्ति बन चुके गुरुद्वारों के प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाना था। इस आंदोलन से भयभीत ‘महंतों’ द्वारा फरवरी 1921 में लाहौर में ‘सिख सनातन सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। इस आंदोलन की पृष्ठभूमि में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के एक निहत्थे सिख जत्थे ने ननकाना साहिब गुरुद्वारे के अंदर प्रवेश करने और अहिंसक तरीके से गुरुद्वारे पर कब्ज़ा करने की योजना बनाई। वहीं दूसरी ओर गुरुद्वारे के अंदर हथियारों से लैस सशस्त्र सेना के साथ निहत्थे सिख जत्थे का मुकाबला करने के लिये तैयार थे। दोनों के बीच मुठभेड़ में 60 से अधिक सैनिकों की मृत्यु हुई। ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ (SGPC) का आरोप था कि इस नरसंहार में ब्रिटिश प्रशासन भी शामिल था। ननकाना साहिब गुरुद्वारा (जिसे गुरुद्वारा जन्म स्थान भी कहा जाता है) उस जगह पर बनाया गया है जहाँ सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था।
खजुराहो नृत्य महोत्सव
- हाल ही में मध्य प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में 47वें खजुराहो नृत्य महोत्सव की शुरुआत की गई। इस महोत्सव को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की अनुमति मिलने के बाद 44 वर्ष पश्चात् मंदिर परिसर में आयोजित किया जा रहा है। खजुराहो नृत्य महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1975 में मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी, हालाँकि महोत्सव के दौरान स्मारकों और मूर्तियों को नष्ट करने की घटनाओं के चलते भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने वर्ष 1976 में मंदिर परिसर में महोत्सव का आयोजन करने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसकी वजह से मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक विभाग द्वारा बीते 44 वर्षों के दौरान यह महोत्सव मंदिर के पास ही एक खुले बगीचे में आयोजित किया जाता रहा। खजुराहो को हाल ही में 19 प्रतिष्ठित विश्व पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल किया गया है, जिसके चलते इस महोत्सव को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता प्राप्त होगी एवं लोग इसकी ओर आकर्षित होंगे। चंदेल राजवंश द्वारा 10वीं और 11वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर समूह स्थापत्य कला और मूर्ति कला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है। नागर शैली में बने यहाँ के मंदिरों की संख्या अब केवल 20 ही रह गई है, जिनमें कंदरिया महादेव का मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ के मंदिर दो धर्मों- जैन और हिंदू से संबंधित हैं।
‘राष्ट्र प्रथम- 82 वर्षों की स्वर्णिम गाथा’ पुस्तक
- केंद्रीय गृह मंत्री ने हाल ही में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के स्वर्णिम इतिहास पर आधारित पुस्तक ‘राष्ट्र प्रथम- 82 वर्षों की स्वर्णिम गाथा’ का विमोचन किया है। यह पुस्तक CRPF में भर्ती होने वाले जवानों के लिये प्रेरणा का काम करेगी और इतिहास की रोंगटे खड़े कर देने वाली वीरता की गाथाएँ लोगों को बताएगी। इस संबंध में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल ने कहा कि यह पुस्तक बल और उसके सदस्यों की यात्रा, चुनौतियों, सफलताओं और बलिदानों का एक विस्तृत और गहन शोध है। इसके अलावा 19 फरवरी, 2021 को CRPF का पहला ‘वेटरन्स डे’ भी आयोजित किया गया। ज्ञात हो कि वर्ष 2021 से प्रत्येक वर्ष फरवरी माह के तीसरे शुक्रवार को CRPF के ‘वेटरन्स डे’ के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) एक ऐसा अर्द्ध-सैन्य बल है, जिसका प्राथमिक कार्य देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल 27 जुलाई, 1939 को रॉयल रिप्रेज़ेंटेटिव पुलिस के रूप में अस्तित्व में आया था, जो 28 दिसंबर, 1949 को CRPF अधिनियम लागू होने पर केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल बन गया।
स्मार्ट आँगनवाड़ी
- केरल सरकार ने हाल ही में पारंपरिक आँगनवाड़ियों को बेहतर सुविधाओं के साथ ‘स्मार्ट’ अवसंरचना के रूप में विकसित करने के लिये 9 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी है। ‘स्मार्ट आँगनवाड़ी योजना’ के तहत राज्य के महिला और बाल विकास विभाग ने राज्य में 48 आँगनवाड़ियों को नई इमारतों के निर्माण की मंज़ूरी दी है। राज्य सरकार की योजना के मुताबिक, इन ‘स्मार्ट आँगनवाड़ियों’ को चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास सुनिश्चित करने के लिये आँगनवाड़ियों में मौजूद सुविधाओं को अधिक बाल-सुलभ बनाना है। ‘स्मार्ट आँगनवाड़ियों’ का डिज़ाइन और विकास ‘एकीकृत बाल विकास योजना’ (ICDS) के हिस्से के रूप में किया जा रहा है। इन ‘स्मार्ट आँगनवाड़ियों’ में भूमि की उपलब्धता के अनुसार स्टडी हॉल, किचन, डाइनिंग एरिया, स्टोर रूम, क्रिएटिव ज़ोन और गार्डन से लेकर स्विमिंग पूल तथा आउटडोर प्ले एरिया जैसी सुविधाएँ मौजूद होंगी।
‘कार्बन वाॅच’ मोबाइल एप्लीकेशन
- हाल ही में चंडीगढ़ ने ‘कार्बन वाॅच’ नाम से एक मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किया है, इसका उद्देश्य एक व्यक्ति के कार्बन फुटप्रिंट का आकलन करना है। इसके साथ ही चंडीगढ़ इस तरह की पहल शुरू करने वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश/राज्य बन गया है। इस मोबाइल एप्लीकेशन को डाउनलोड करने पर उपयोगकर्त्ताओं को कुल चार श्रेणियों यथा- जल, ऊर्जा, अपशिष्ट उत्पादन और परिवहन से संबंधित विवरण प्रदान करना होगा, जिसके पश्चात् प्राप्त सूचना के आधार पर यह एप स्वयं एक व्यक्ति के कार्बन फुटप्रिंट की गणना कर लेगा। इसके अलावा यह मोबाइल एप्लीकेशन उपयोगकर्त्ताओं द्वारा प्रदान की गई सूचना के आधार पर कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के तरीकों का भी सुझाव देगा। कार्बन फुटप्रिंट एक का आशय किसी विशेष मानवीय गतिविधि द्वारा वातावरण में जारी ग्रीनहाउस गैसों, विशेष रूप से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा से है।
होशंगाबाद का नाम परिवर्तन
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के ‘होशंगाबाद’ शहर का नाम बदलकर ‘नर्मदापुरम’ करने की घोषणा की है। मध्य प्रदेश का यह अद्भुत और सुंदर शहर होशंगाबाद, मध्य नर्मदा घाटी और सतपुड़ा पठार के उत्तरी किनारे पर स्थित है। इस शहर को प्रारंभ में ‘नर्मदापुरम’ के नाम से ही जाना जाता था, हालाँकि बाद में शहर का नाम बदलकर ‘मालवा’ के पहले शासक होशंग शाह के नाम पर ‘होशंगाबाद’ कर दिया गया। होशंगाबाद ज़िला, मध्य प्रांत और बरार के नेरबुड्डा (नर्मदा) प्रभाग का हिस्सा था, जो वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद मध्य भारत (बाद में मध्य प्रदेश) का राज्य बन गया। यह शहर नर्मदा नदी के किनारे अपने खूबसूरत घाटों के लिये प्रसिद्ध है, सेठानी घाट एक प्रमुख आकर्षण है। यह घाट तवा और नर्मदा नदियों के संगम से लगभग 7 किमी. की दूरी पर स्थित है। होशंगाबाद की अर्थव्यवस्था काफी हद तक कृषि पर निर्भर है और यह सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। दो मुख्य नदियाँ- नर्मदा और तवा होशंगाबाद ज़िले से होकर बहती हुई बांद्राभान गाँव में मिलती हैं।
मेरीटाइम इंडिया समिट-2021
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2-4 मार्च के मध्य आयोजित होने वाले दूसरे मेरीटाइम इंडिया समिट-2021 का उद्घाटन करेंगे। पहले मेरीटाइम इंडिया समिट का आयोजन वर्ष 2016 में मुंबई में किया गया था। एक अनुमान के मुताबिक, इस विशाल शिखर सम्मेलन में लगभग एक लाख प्रतिनिधि और 40 भागीदार देश हिस्सा लेंगे। फिक्की को इस शिखर सम्मेलन का उद्योग भागीदार नामित किया गया है। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य ज्ञान और अवसरों के पारस्परिक आदान-प्रदान हेतु भागीदार देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये एक शक्तिशाली मंच प्रदान करना है। मेरीटाइम क्षेत्र विभिन्न पहलुओं में निवेश के बेहतर अवसर प्रदान करता है, जिसमें विश्व स्तरीय बंदरगाहों का विकास, मौजूदा बंदरगाहों में नए टर्मिनलों का आधुनिकीकरण और विकास, संपर्क परियोजनाओं (सड़क, रेल और अंतर्देशीय जल परिवहन), तटीय शिपिंग, क्रूज़ पर्यटन, समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण, जहाज़ निर्माण एवं जहाज़ मरम्मत, शिप ब्रेकिंग, स्मार्ट पोर्ट औद्योगिक शहरों का विकास आदि शामिल हैं। भारत के लिये समुद्री क्षेत्र के महत्त्व को इस बात से समझा जा सकता है कि भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 90 प्रतिशत (मात्रा में) तथा 70 प्रतिशत (मूल्य के आधार पर) समुद्री मार्ग से संचालित होता है।
क्रेमनथोडियम इंडिकम
- वैज्ञानिकों के एक समूह ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग ज़िले में अल्पाइन पौधे की एक नई प्रजाति की खोज की है। नई प्रजाति हिमालयन सूरजमुखी के परिवार से संबंधित है। इसे क्रेमनथोडियम इंडिकम (Cremanthodium indicum) नाम दिया गया है। पौधे की यह प्रजाति आमतौर पर जुलाई से अगस्त माह तक पाई जाती है। अल्पाइन पौधे की यह नई प्रजाति तवांग ज़िले की पेंगा-टेंग त्सो झील में खोजी गई है, और यह उस स्थान के लिये स्थानिक है। इस संबंध में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, यह नई प्रजाति एक बारहमासी पौधा है और 16–24 सेंटीमीटर लंबा है। ‘क्रेमनथोडियम इंडिकम’ अल्पाइन झील के किनारे काई के बीच दलदली मिट्टी में उगता है। ज्ञात हो कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग ज़िले में फूलों के पौधों का एक व्यापक और विशिष्ट समूह मौजूद है, जो कि विश्व भर के वनस्पतिविदों को आकर्षित करता है।
ग्रेटर टिपरालैंड
- पूर्वोत्तर भारत के त्रिपुरा राज्य में ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के गठन को लेकर मांग तेज़ हो गई है। ग्रेटर टिपरालैंड दरअसल, इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) द्वारा की जा रही ‘टिपरालैंड’ की मांग का ही विस्तार है, जिसका उद्देश्य त्रिपुरा के आदिवासियों के लिये एक अलग राज्य का गठन करना है। ‘टिपरालैंड’ के विपरीत ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के प्रस्तावित मॉडल के तहत ‘त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद’ (TTAADC) के बाहर स्वदेशी क्षेत्र या गाँव में रहने वाले प्रत्येक आदिवासी को भी शामिल किया गया है। यह नया मॉडल केवल त्रिपुरा के आदिवासी परिषद क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके तहत भारत के विभिन्न राज्यों जैसे- असम और मिज़ोरम आदि में रहने वाले त्रिपुरा के विभिन्न आदिवासी समूहों को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा प्रस्तावित ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ में पड़ोसी देश बांग्लादेश के सीमावर्ती क्षेत्रों- बंदरबन, चटगाँव और खगराचारी आदि में रहने वाले लोगों को भी शामिल किया गया है।
यूनाइटेड स्टेट इंटरनेशनल एंटी-करप्शन चैंपियंस अवार्ड
- पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों पर काम करने वाली भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता अंजलि भारद्वाज ‘यूनाइटेड स्टेट इंटरनेशनल एंटी-करप्शन चैंपियंस अवार्ड’ से सम्मानित होने वाले 12 लोगों की सूची में शामिल हैं। इस पुरस्कार का उद्देश्य ऐसे लोगों की पहचान करना है, जिन्होंने अपने देश में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार के मुकाबले के लिये अथक परिश्रम किया है। सामाजिक कार्यकर्त्ता अंजलि भारद्वाज राष्ट्रीय स्तर पर वर्षों से सूचना के अधिकार, लोकपाल, व्हिसलब्लोअर संरक्षण एवं शिकायत निवारण और भोजन के अधिकार आदि से संबंधित आंदोलनों का हिस्सा रही हैं। वे ‘सतर्क नागरिक संगठन’ नामक एक गैर-सरकारी संगठन की भी संस्थापक है, जो कि आरटीआई अधिनियम का उपयोग करते हुए दिल्ली के आम नागरिकों को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
- 25 फरवरी, 2021 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की दूसरी वर्षगाँठ मनाई गई। दो वर्ष पूर्व 25 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 1947, वर्ष 1965 और वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्धों, वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध और श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था। स्वतंत्र भारत में सीमा संघर्ष के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले 25,942 सशस्त्र बल के जवानों के नाम स्वर्णाक्षरों में स्मारक की दीवारों पर अंकित किये गए हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का प्रस्ताव सर्वप्रथम वर्ष 1960 में रखा गया था। वर्ष 2015 में कैबिनेट ने इंडिया गेट कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में युद्ध स्मारक के निर्माण के लिये सैद्धांतिक मंज़ूरी दी और वर्ष 2016 में स्मारक का डिज़ाइन तैयार करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के बाद वर्ष 2017 में स्मारक निर्माण का कार्य शुरू हो गया।
कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम
- घाना, कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम के तहत कोरोना वायरस टीके का शिपमेंट प्राप्त करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। कार्यक्रम के तहत पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की लगभग 600,000 खुराक घाना भेजी गई है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन (जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है) को इसी माह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सीमित उपयोग हेतु आपातकालीन मंज़ूरी दी गई थी। कोवैक्स कार्यक्रम के तहत वर्ष 2021 के अंत तक कोरोना वायरस टीकों की 2 बिलियन से अधिक खुराक वितरित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कोवैक्स, ‘एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स (Access to COVID-19 Tools- ACT) एक्सेलरेटर’ के तीन स्तंभों में से एक है। इसकी शुरुआत कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये अप्रैल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूरोपीय आयोग और फ्राँस के सहयोग से की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महामारी से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर टीकों का समान वितरण सुनिश्चित करना है।
सरस आजीविका मेला-2021
- हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण द्वारा नोएडा (उत्तर प्रदेश) में सरस आजीविका मेला-2021 का उद्घाटन किया गया। सरस आजीविका मेला-2021 का आयोजन 26 फरवरी से 14 मार्च 2021 के बीच ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस मेले में 27 राज्यों से 300 से अधिक स्वयं सहायता समूह और हस्तशिल्पी भाग ले रहे हैं। इस मेले में लगभग 150 स्टॉल और 15 खानपान के स्टॉल लगाए गए हैं तथा 60 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस मेले के दौरान उत्पादों की पैकेजिंग, डिज़ाइन, संचार संबंधी कौशल, सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार और ‘बिज़नेस-टू-बिज़नेस’ (B2B) विपणन संबंधी प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा। इसमें ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों और हस्तशिल्पियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस मेले का उद्देश्य इसमें शामिल विक्रेताओं को बड़ी संख्या में लोगों के समक्ष अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करना है।
Quick Revision
- सुपर डीवोरा एमके-2 श्रेणी के भारतीय नौसेना के फास्ट अटैक क्राफ्ट (IN FAC) ‘T-81’ को 20 वर्षों से अधिक समय तक सफलतापूर्वक राष्ट्र की सेवा करने के बाद 28 जनवरी, 2021 को मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में सेवामुक्त कर दिया गया।
- एयरो इंडिया शो का 13वाँ संस्करण बंगलूरू के ‘येलहंका एयरफोर्स स्टेशन’ (कर्नाटक) में शुरू हुआ।
- बायोगैस योजनाओं/पहलों के सुचारु कार्यान्वयन और रियल टाइम निगरानी के लिये गोबर-धन का एकीकृत पोर्टल (Unified Portal of Gobar-dhan) शुरू किया गया है।
- गोबर-धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan - GOBAR-DHAN) योजना की शुरुआत जल शक्ति मंत्रालय द्वारा की गई है।
- भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Horticultural Research- IIHR) द्वारा ‘अर्क शुभ’ (Arka Shubha) नामक गेंदे या मैरीगोल्ड की एक नई किस्म का विकास किया गया है।
- पाकिस्तान द्वारा आयोजित एक बहुराष्ट्रीय नौसेना अभ्यास ‘अमन -2021’ भी अरब सागर में प्रारंभ हो गया है। इस अभ्यास में अमेरिका, रूस, चीन और तुर्की सहित 45 देश हिस्सा लेंगे।
- हाल ही में ओडिशा के कालाहांडी ज़िले में स्थित करलापट वन्यजीव अभयारण्य में हेमरिज सेप्टीसीमिया (HS) के कारण छह हाथियों की मौत हो गई।
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने ‘व्हाट्सएप’ की तर्ज पर ‘संदेश’ (Sandes) नामक एक इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है।
- हाल ही में असम के तिनसुकिया ज़िले में मगुरी-मोटापुंग बील में एक सदी के बाद मंदारिन बतख (Mandarin Duck) देखी गई है।
- आर्बर डे फाउंडेशन’ और संयुक्त राष्ट्र के ‘खाद्य और कृषि संगठन’ (Food and Agriculture Organisation- FAO) द्वारा हैदराबाद शहर (तेलंगाना की राजधानी) को ‘2020 ट्री सिटी ऑफ द वर्ल्ड’ के रूप में मान्यता दी गई है।
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