झील किसे कहते हैं | झीलों का वर्गीकरण | Classification of lakes
झील किसे कहते हैं | झीलों का वर्गीकरण
झील किसे कहते हैं
- झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है, सामान्यतः हम जल के छोटे गड्ढों को पोखर या तलैया, कुछ बड़े रूप को ताल या तालाब, विशेष बड़े रूप को झील या सरोवर और विशाल रूप को सागर कहने लगते हैं, परन्तु ये सब भेद अवास्तविक हैं वास्तव में, वे सभी जलराशियाँ जो स्थल पर बने किसी बेसिन न को घेरे रहती हैं. झीलें कहलाती हैं.
- दूसरे शब्दों में झीलें भूपटल के वे आन्तरिक जलाशय हैं जो विभिन्न आकार, विस्तार एवं गहराई के चट्टानी बेसिनों में बन जाते हैं.
- झीलें अपने आकार, प्रकार, विस्तार, एवं गहराई एवं स्थिति आदि की दृष्टि से काफी - भिन्न होती हैं.
विश्व की प्रमुख झील -
- बोलविया की टीटीकाका झील (3811 मीटर गहरी) है.
- सबसे नीची झील इजराइल का मृत सागर (समुद्र तल से 396-24 मीटर नीची) है.
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी झील यूरेशिया का कैस्पियन सागर ( 3,93,898 वर्ग किमी) है,
- साइबेरिया की बैकाल झील (1,940 मीटर) संसार की सर्वाधिक गहरी झील है.
- उत्तरी अमरीका की सुपीरियर झील (82,103 वर्ग किमी) सबसे बड़ी मीठे पानी की,
- जबकि मृत सागर सबसे अधिक खारी और कैस्पियन सागर सबसे बड़ी खारे पानी की झील है
झीलों का वर्गीकरण
(1) हिमानीकृत झील-
- हिमानी के हिमोढ़ के निक्षेप से कभी-कभी हिमानी तथा कभी-कभी नदियों के मार्ग में अवरोध उत्पन्न हो जाता है जिससे सामान्य झीलों का निर्माण होता है. उदाहरण के लिए उत्तरी अमरीका की वृहत् झीलें (सुपीरियर, मिशिगन, ह्यूरन, इरी तथा ओण्टोरियो) हिमानी द्वारा निर्मित हैं.
(2) नदीकृत झीलें
(अ) अपरदन द्वारा बनी झीलें
- (i) अवनमन कुण्ड झील-प्रायः जल प्रपातों की तलहटी में नदियाँ अपने क्षेदक यन्त्र द्वारा जलगर्तिका का निर्माण करती हैं जहाँ कहीं जल प्रपात तीव्रता से पीछे हटते है, तो अवनमन कुण्ड झील बन जाती है. वाशिंगटन में ग्राण्ड कूली झील इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।
(ii) संरचनात्मक झील-
- जब नदियाँ अपने मार्ग की घुलनशील चट्टानों को धीरे धीरे घुलाकर बहा देती हैं, तो नदी घाटी में अनेक लम्बे, चौड़े गड्ढे बन जाते हैं. जब इन गड्ढों में जल भर जाता है, तो ये झील का रूप धारण कर लेती हैं. उदाहरण लिए उत्तरी आयरलैण्ड में लीने और डर्ग झीलें इस प्रकार की हैं.
(iii) छाड़न या गोखुर झील-
- मैदानी म भाग में नदियाँ विसर्पण बनाती हुई बहती हैं जब कभी नदी विसर्प छोड़कर सीधा मार्ग ग्रहण कर लेती हैं, तो विसर्पण का छूटा हुआ भाग झील बन जाता है ऐसी झीलों को छाड़न या गोखुर झील कहते हैं.
(ब) निक्षेप द्वारा निर्मित झीलें
(i) जलोढ़ पंख झील-
- इस प्रकार की झील का निर्माण उस समय होता है जब कोई नदी पहाड़ी भाग से उतरकर मैदानी भाग में प्रवेश करती है. पूर्वी कैलिफोर्निया की ओवेन्स झील जलोढ़ पंख द्वारा निमि झील का अच्छा उदाहरण है.
(ii) डेल्टा झील
- डेल्टा प्रदेश में नदियों का मार्ग बड़ा अनियमित होता है. मिट्टी के निक्षेप से प्राय धारा का मुँह अवरुद्ध हो जाता है जिसके कारण इन्हें नया मार्ग अपनाना पड़ता है. इस प्रकार नदी की छूटी हुई पूर्व धारा झील बन जाती है. मिसीसिपी नदी के डेल्टा की पोंचास्ट्रियन झील डेल्टा झील का एक उत्तम उदाहरण है.
(iii) बाढ़ के मैदान की झील-
- बाढ़ के मैदान में मिट्टी के निक्षेप के कारण तश्तरी नुमा उथले गड्ढे बन जाते हैं जब इन गड्ढों में पानी भर जाता है, तो ये झील का रूप ले लेते हैं. आस्ट्रेलिया में मरे नदी द्वारा निर्मित बिलीबाँग झील इसका अच्छा उदा हरण है.
(iv) रैफ्ट झील-
- जब नदी की घाटी के आर-पार पेड़-पौधों के गिर जाने पर उनके सहारे बालू व मिट्टी आदि जमा हो जाती है. धीरे-धीरे अवरोध बाँध का रूप ले लेता है. जिसके पीछे झील बन जाती है. अफ्रीका की श्वेत नदी की घाटी में ऐसी झीलें पाई जाती हैं.
(3) पवन द्वारा बनी झीलें
(i) वायु अपरदन द्वारा बनी झील-
- जब शुष्क एवं अर्द्ध शुष्क प्रदेशों में हवा के अपरदन के फलस्वरूप यत्र-तत्र अनेक गड्ढे बन जाते हैं जिनमें जल भरने से अस्थाई झील बन जाती है.
(ii) बालू का स्तूप झील-
- मरुस्थलों में हवा के बने बालू के टीलों के बीच यत्र - तत्र गड्ढे बन जाते हैं जिनमें पानी भर जाने पर उथली झीलें बन जाती हैं. सूडान की चाड़ झील इसका सर्वोत्तम उदाहरण है.
(4) समुद्री लहरों और धाराओं द्वारा बनी झीलें-
- जब कभी रोधिकाएँ खाड़ियों के मुँह के विरुद्ध बन जाती हैं, तो वे झीलों में बदल जाती है. इस प्रकार की झीलें प्रायः समुद्र तटों पर पाई जाती हैं.
(5) ज्वालामुखी द्वारा बनी झीलें
(i) लावा बाँध झील-
- जब कभी ज्वाला मुखी से निकलने वाला लावा उसके समीपवर्ती किसी नदी घाटी में प्रवेश कर उस घाटी को अवरुद्ध कर देता है, तो वह नदी झील में बदल जाती है. मध्य अमरीका की निकारागुआ झील ऐसी ही झील है.
(ii) लावा प्रदेश की झील-
- ज्वालामुखी से निस्तृत लावा कहीं पर अधिक तथा कहीं पर कम लावा के जमने के उपरान्त प्रदेश का धरातल असमान हो जाता है. अतः इस लावा प्रदेश में निम्न स्थानों व गड्ढों में जल भर जाने झीलों का निर्माण हो जाता है. प्रायद्वीपीय भारत के लावा प्रदेश में इस तरह की अनेक छोटी-छोटी झीलें मिलती हैं.
(iii) क्रेटर झील-
ज्वालामुखी के शान्त होने पर उनके मुख में वर्षा का जल भर जाने पर जो झील बनती है उसे क्रेटर झील कहते हैं. संयुक्त राज्य अमरीका में ओरेगोन राज्य की क्रेटर झील इस तरह की झील का प्रमुख उदाहरण है.
(6) भू-स्खलन एवं विलयन द्वारा बनी झीलें
(i) भू-स्खलन द्वारा बनी झील
- भू-स्खलन द्वारा चट्टानों के बड़े-बड़े टुकड़े नदियों के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं. नदी धारा अवरुद्ध हो जाने पर वह झील में बदल जाती है. गंगा नदी की गोहाना झील इसी प्रकार बनी थी.
(ii) विलयन द्वारा बनी झील-
- चूने की चट्टानों वाले क्षेत्रों में जल सतह पर घोली करण के द्वारा घुलनशील पदार्थों को घुमाकर छोटी-छोटी ग्तिकाओं का निर्माण करता है. धीरे-धीरे इनका आकार बढ़ता जाता है तथा बड़े गड्ढों का निर्माण होता है जब इन गड्ढों में जल भर जाता है, तो ये झील का रूप धारण कर लेते हैं. इस तरह की झीलें फ्लोरिडा, यूक्टान एवं यूगोस्लाविया के कास्ट प्रदेश में मिलती हैं.
(7) जैविक साधनों द्वारा बनी झीलें
(i) जीव-जन्तुओं द्वारा बनी झील-
- कई प्रकार के जीव-जन्तु भूमि को खोदकर गड्ढे बना देते हैं. जब इन गड्ढों में जल भर जाता है, तो ये झील का रूप धारण कर लेते हैं.
(ii) वनस्पति द्वारा बनी झील
- -इस प्रकार की झील लिचन, काई, माँस व अन्य वनस्पति के निक्षेप के कारण बन गई हैं. उत्तरी अमरीका के दुण्ड्रा प्रदेश में आर्कटिक तट के सहारे ऐसी अनेक छिछली झीलें पाई जाती हैं.
(iii) मानव द्वारा निर्मित झील-
- मनुष्य ने स्थल पर बहने वाले जल का सिंचाई व जल विद्युत् आदि में उपयोग करने के लिए अनेक बाँधों का निर्माण किया है, जैसे भारत में गोविन्द सागर, कृष्ण राजा सागर एवं गांधी सागर बाँध मानव निर्मित झीलें हैं.
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