भील जनजाति के बारे में जानकारी | Details of Bhil Tribe in Hindi

 भील जनजाति के बारे में जानकारी 
Details of Bhil Tribe in Hindi

 

भील जनजाति के बारे में जानकारी  Details of Bhil Tribe in Hindi

राजस्थान की द्वितीय प्रमुख जनजाति भील है भील जनजाति बासवाडा, डुगरपुर, उदयपुर सिरोही, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिलों में मुख्य रूप से निवास करती है राजस्थान में भीलवाडा जिले का नाम इसी जनजाति पर रखा गया है इसके अतिरिक्त यह जनजाति राजस्थान के पर्वतों और जंगलों में निवास करती है

 

भील जनजाति की उत्पत्ति Origin of Bhil Tribe

  • भील शब्द का प्रयोग तमिल भाषा में बिल्लुवर के रूप में हुआ है जिसका अर्थ धनुषधारी होता है भील जनजाति के लोग शताब्दियों पूर्व से पशुओं का आखेट कर जीवन निर्वाह करते आए हैं भील जनजाति अपने को महादेव की सन्तान मानते हैं एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महादेवजी जगल विचरण कर रहे थे वहाँ उनकी भेंट एक स्त्री से हुई महादेवजी उस पर मोहित हो गए और उससे विवाह कर लिया. उस स्त्री से अनेक सन्तानें हुई उनमें से एक सन्तान अत्यन्त कुरूप और भ्रष्ट थी, उसने अपने पिता के बैल का वध कर डाला. इस अपराध के दण्डस्वरूप उसे घर से निकाल दिया और वह जंगलों और पर्वतों पर भटकता रहा. उसी के वंशज भील कहलाते हैं

 

भील की उपजातियाँ Sub Cast of Bhil Tribe

  • भील जनजाति में राजपूतों के रक्त मिश्रण की पूर्ण सम्भाव नाएँ हैं अतः डावी, जारगट, लेखिया गेटार आदि भील गोत्रों में राजपूती तत्वों का सम्मिश्रण नहीं है, परन्तु दूबल, बूंदी, गोयल, राण्ड, परमार, चौहान, देया, लोटिया, कडवा, अलिया. लिडिया, येडेडा चुर, कलेदा, करवा, नोचिया, सोलखी और भाटी गोत्रों वाली जनजाति में राजपूत तत्वों का अविरल रक्त मिश्रण होता रहा है

 

भील जनजाति की शारीरिक बनावट Body composition of Bhil Tribe

  • भील जनजाति प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड प्रजाति की है, इनका कद छोटा, मध्यम, बाल रूखे, आँखें लाल, जबड़ा कुछ बाहर निकला हुआ होता है पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों सुन्दर होती है. 

 

भील जनजाति का सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन-

Social and Family Life of Bhil Tribe

  • भील स्वभाव से भोले परन्तु वीर, साहसी एवं निडर होते हैं ये स्वामीभक्त भी होते हैं, भील पहाड़ियों पर छोटे-छोटे गाँव बसाकर रहते हैं एक गाँव में बीस-तीस परिवार होते हैं छोटे गाँव को फला और बड़े गाँव को पाल कहते हैं पाल का नेता ग्रामपति या मुखिया कहलाता है जो सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत झगड़ों को निपटाता है भील जनजाति में पंचायत प्रधान होती है. एक गाँव में वैद्य पण्डित, पुरोहित, चरवाहे, कोतवाल और ढोल बजाने वाले रहते हैं. भीलों में सामु दायिक उत्तरदायित्व की भावना बहुत प्रबल होती है और अगर किसी समूह के लोग किसी भील पर आक्रमण करते या चोट पहुँचाते हैं, तो लोग उसे पूरे गाँव का आक्र मण मानते हैं और सामूहिक रूप से उसका बदला लेते हैं.

 

  • भीलों में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है, पिता ही घर का स्वामी होता है तथा घर की समस्त जिम्मेदारी उसकी होती है. उसका निर्णय अन्तिम होता है और परिवार के सभी सदस्यों को मान्य होता है. भील जनजाति में स्त्रियों को बहुत कम अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन वे पुरुषों के साथ कृषि एवं अन्य कार्यों में हाथ बँटाती हैं. शादी के उपरान्त लड़का परिवार से अलग रहता है और पिता से प्राप्त जायदाद से अपनी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करता है.

 

  • भील जनजाति में बहिर्विवाह होते हैं, ये अपनी जाति के पृथक् गोत्रों में शादी करते हैं. भील जाति में चचेरे-ममेरे भाई -बहिनों विवाह हो जाता है. पत्नी की मृत्यु के बाद उसकी छोटी बहिन से विवाह कर लिया जाता है. देवर-भौजाई के विवाह का भी चलन है. भील जनजाति में भील युवक को विवाह योग्य तभी समझा जाता है, जबकि वे आज्ञाकारी, कठोर परिश्रमी, मितव्ययी तथा ऋणहीन हो. लड़की के लिए सुन्दरता तथा माता-पिता की आज्ञानुसार चलना श्रेष्ठ गुण समझे जाते हैं.

 

  • भील जनजाति का भोजन मक्का, चावल, सावाँ आदि की रोटियाँ, दूध व माँस या मछली है. भील लोग शराब पीने के बहुत शौकीन होते हैं और प्रायः दिन भर की आय का आधा भाग शराब में व्यय कर देते हैं.

 

  • भीलों का पहनावा अति साधारण है. ये लोग मोटा सूती कपड़ा पहनते हैं. उष्ण प्रदेशों में रहने के कारण कम वस्त्रों का प्रयोग करते हैं. पुरुष घुटनों तक बस्वतरी, धोती तथा सिर पर फैंटा ( पगड़ी) बाँधते हैं. स्त्रियाँ लहंगा तथा चोली पहनती हैं, सिर पर ओढ़नी व काचली पहनती हैं. पोतियावाल भील धोती पहनते हैं और लंगोटिया भील लंगोटी बाँधते हैं. स्त्रियाँ मारवाड़ी नारियों की भाँति बड़ा घाघरा पहनती हैं और लम्बा घूँघट काढ़ती हैं.

 

भील जनजाति की अर्थव्यवस्था

  • आर्थिक दृष्टि से भील जनजाति अत्यन्त निर्धन है. जीविका के साधनों के अभाव में भुखमरी और उनकी आवश्यकताओं के प्रति शासन की घोर उदासीनता ने उन्हें अपराधी जीवन व्यतीत करने को बाध्य किया है. सामान्यतया भील कृषक हैं, कुछ लकड़हारे और कुछ श्रमिक हैं. मैदानी भागों में भील ज्वार, बाजरा, चना, मटर, तम्बाकू, मक्का तथा कपास की कृषि करते हैं. जहाँ कृषि भूमि का अभाव है, वहाँ भील पशुपालन से अपनी जीविकोपार्जन करते हैं. कुछ भील जंगलों से छाल, गोंद, बेर, कन्दमूल आदि एकत्रित करते हैं.

 

  • भारत और राजस्थान सरकार उनके आर्थिक व सामाजिक जीवन को विकसित करने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ देकर उनका जीवन सुखमय बना रही है.

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