भारत में हरित भवन मूल्यांकन प्रणाली (Green Building Rating System in India)

 भारत में हरित भवन मूल्यांकन प्रणाली 
(Green Building Rating System in India)

 

भारत में हरित भवन मूल्यांकन प्रणाली  (Green Building Rating System in India)

हरित भवन मूल्यांकन प्रणाली वह उपकरण अथवा तंत्र है, जो भवनों के प्रदर्शन तथा पर्यावरण पर उनके प्रभाव का मूल्यांकन करती है। यह प्रणाली हरित भवन की संरचना (Design), निर्माण (Construction ) तथा संचालन (Operation ) से सम्बंधित कुछ पूर्व-परिभाषित मापदंडों (Predifined Criteria) के आधार पर भवनों का मूल्यांकन करती है ।


भारत में मुख्यतः तीन मूल्यांकन प्रणालियाँ हैं जो निम्नवत् हैं

 

भारत में हरित भवन मूल्यांकन प्रणाली

 

  • लीड (LEED) (Leadership in Energy and Environmental Design) 
  • TET (GRIHA) (Green Rating for Integrated Habitat Assessment) 
  • आई. जी. बी. सी. (IGBC) (Indian Green Building Council)

 

लीड (LEED)

 

  • यह संयुक्त राज्य हरित भवन परिषद (United States Green Building Council - USGBC) की एक पहल है। यह वैश्विक स्तर पर प्रशंसित (Globally Acclaimed) हरित गृह मूल्यांकन प्रणाली है। 
  • लीड किसी भवन अथवा आवासीय परिसर के तृतीय पक्ष का सत्यापन (Third Party Verification) करती है, उस भवन की संरचना, ऊर्जा बचत, जल कुशलता, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी, बेहतर आंतरिक पर्यावरणीय गुणवत्ता तथा संसाधनों के प्रबंधन आदि के मानकों के अनुरूप है।

 

लीड प्रमाणन (LEED Certification) 

  • प्रमाणित (Certified) 40-49 अंक 
  • रजत (Silver) 50-59 अंक 
  • स्वर्ण (Gold) 60-79 अंक 
  • प्लेटिनम (Platinum) 80 से अधिक अंक

 

भारतीय हरित भवन परिषद ( IGBC)

 

  • यह भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry :CI) का एक भाग है, जिसकी स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। IGBC का लक्ष्य है, सभी के लिए संधारणीय निर्माण परिवेश का सृजन करना तथा वर्ष 2025 तक भारत को धारणीय निर्माण के परिवेश (Sustainable Built Environment) में ग्लोबल लीडर्स की श्रेणी में लाना है। 
  • यह परिषद रेटिंग प्रोग्राम सर्टिफिकेशन सेवाएँ एवं ग्रीन बिल्डिंग ट्रेनिंग प्रोग्राम संचालित करती है तथा प्रतिवर्ष ग्रीन बिल्डिंग कांग्रेस का आयोजन भी करती है। 
  • निर्माण उद्योग के सभी हितधारक जैसे- आर्किटेक्ट, डेवलपर्स, उत्पाद निर्माता, कार्पोरेट, सरकार, शैक्षणिक समुदाय और नोडल एजेन्सियाँ आदि परिषद के कार्यक्रमों में स्थानीय शाखाओं के माध्यम से भाग लेते हैं।

 

IGBC द्वारा प्रमाणन श्रेणियाँ

 

1. प्रमाणित सबसे बेहतर (Best Practices) 

2. रजत- उत्कृष्ट प्रदर्शन (Outstanding Performance) 

3. स्वर्ण- राष्ट्रीय उत्कृष्टता की पहचान हेतु (National Excellence) 

4. प्लैटिनम- विश्व स्तरीय नेतृत्व की पहचान हेतु ( Global Leadership)

 

समन्वित आवास मूल्यांकन हेतु हरित रेटिंग गृहा

(Green Rating for Integrated Habitat Assessment : GRIHA)

 

  • यह द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (TERI) तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा विकसित राष्ट्रीय रेटिंग तंत्र है, जो कुछ बाध्यकारी मापदंडों सहित 34 मापदंडों का प्रयोग कर भवनों की हरित रेटिंग करता है।

 

  • यह भवन के सम्पूर्ण जीवन चक्र के पर्यावरणीय निष्पादन का मूल्यांकन करता है और इन्हें हरित भवन हेतु निश्चित मापदण्ड प्रदान करता है। साथ ही प्रत्येक तीसरे वर्ष नवीनतम् वैज्ञानिक आधारों पर इनके मानदण्ड संशोधित भी होते रहते हैं ।

 

कुछ अन्य बाध्यकारी मूल्यांकन मानदण्ड इस प्रकार हैं

 

(i) कार्यस्थल चुनाव एवं कार्यस्थल योजना निर्माण। 

(ii) संसाधनों का संरक्षण एवं सक्षम उपयोग। 

(iii) भवन संचालन एवं रख रखाव।

 

ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र (Energy Saving Certificate)

 

  • अर्जित किये गये प्वांइट्स के आधार पर प्रमाणन विभिन्न स्तरों (1 Star to 5 Star) को प्रदान किया जाता है, जिससे पर्यावरण सुधार सहित हरित गृह गैस उत्सर्जन में कमी, ऊर्जा खपत में कमी एवं प्राकृतिक संसाधनों में कमी लाई जा सके।

 

  • इस योजना को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा नेशनल मिशन फॉर एन्हेन्सड् एनर्जी एफिशिएंसी (NMEEE) के अन्तर्गत वर्ष 2012 में शुरू किया गया था जो एक बाजार आधारित तंत्र के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के लिए ऊर्जा दक्षता लक्ष्य निर्धारित करता है।

 

  • जिन उद्योगों द्वारा, निर्धारित दक्षता लक्ष्य से अधिक प्राप्त कर ली जाती है उन्हें ऊर्जा बचत प्रमाण पत्र (Energy Saving Certificate) के रूप में प्रोत्साहन मिलता है।

 

  • ये प्रमाण पत्र इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और पॉवर एक्सचेंज इंडिया में विपणन योग्य होंगें, जहाँ इन्हें उन उद्योगों द्वारा खरीदा जा सकता है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में असमर्थ रहे हैं ।

 

हरित अर्थव्यवस्था की अवधारणा से सम्बंधित चिंताएँ 
(
Concerns with the Concept of a Green Economy)

 

  • हरित अर्थव्यवस्था के विषय में सबसे बड़ी चिंता इसकी लागत के विषय में है। क्या हरित अर्थव्यवस्था वहनीय ( Allowable) है? 
  • हम अभी भी वैश्विक वित्तीय संकट (Global Economic Crisis) की चपेट में हैं। विकासशील देशों की चिंता है कि, हरित अर्थव्यवस्था को अपनाने से उनकी आर्थिक वृद्धि तथा निर्धनता कम करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न होगी। 
  • अधिकांश देशों के पास हरित तकनीकी (Green Technology) की कमी है। इसलिए वे भविष्य के बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मक रूप से पिछड़ जाएँगे। कुछ अन्य देशों को यह लगता है कि, हरित अर्थव्यवस्था विकसित देशों का एक दिखावा मात्र है जो विकासशील देशों के निर्यात पर हरित व्यापार बाधाएँ (Green Trade Barriers) लगाने के लिए है ।



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