ग्रीन अर्थव्यवस्था क्या होती है |हरित अर्थव्यवस्था Green Economy in Hindi

हरित अर्थव्यवस्था Green Economy in Hindi

ग्रीन अर्थव्यवस्था क्या होती है  |हरित अर्थव्यवस्था Green Economy  in Hindi


 ग्रीन अर्थव्यवस्था क्या होती है 

  • हरित अर्थव्यवस्था से तात्पर्य, एक निम्न कार्बन (Low Carbon ), संसाधन कुशल (Resource Efficient) एवं सामाजिक रूप से समावेशी (Socially Inclusive) अर्थव्यवस्था से है। यह वृद्धि एवं विकास का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण है, जो सतत विकास की अवधारणा के अनुरूप एवं अनुकूल है। 
  • हरित अर्थव्यवस्था आर्थिक, पर्यावरणीय तथा सामाजिक हितों को बनाए रखने तथा उन्हें आगे बढ़ाने पर बल देती है। एक हरित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक एवं निजी निवेश के द्वारा रोजगार एवं आय में वृद्धि इस प्रकार की आर्थिक गतिविधियों, आधारभूत संरचनाओं एवं परिसम्पत्तियों के द्वारा की जाती है, जो कार्बन उत्सर्जन एंव प्रदूषण में कमी, ऊर्जा व संसाधन कुशलता में वृद्धि तथा जैवविविधता व पारितंत्र के संरक्षण को प्रोत्साहित करें। 


हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में संयुक्त राष्ट्र के प्रयास 

(United Nation's Efforts Towards Green Economy) 

  • हरित अर्थव्यवस्था शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1989 में ब्रिटेन के कुछ पर्यावरणविदों द्वारा वहाँ की सरकार को सतत् विकास के सम्बंध में सौंपी गई एक रिपोर्ट में किया गया था। 
  • इस रिपोर्ट का शीर्षक था- हरित अर्थव्यवस्था के लिए मूल योजना (Blueprint for a Green Economy)
  • अक्टूबर, 2008 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने एक हरित अर्थव्यवस्था पहल (Green Economy Initiative)  प्रारम्भ की, जिसका उद्देश्य हरित क्षेत्रकों (Green Sectors ) में निवेश करने तथा पर्यावरण प्रतिकूल क्षेत्रकों को पर्यावरण अनुकूल बनाने हेतु विश्लेषण एवं नीतिगत सहयोग (Analysis and Policy Support) प्रदान करना था। 
  • जून, 2009 में कोपेनहेगन में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में एक घोषणा की गयी जिसमें अनेक संकटों के समाधान के रूप में हरित अर्थव्यवस्था का समर्थन किया गया था। 
  • फरवरी, 2010 में नुसा दुआ (बाली, इण्डोनेशिया) में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मंत्रिस्तरीय पर्यावरण मंच (Ministerial Environmental Forum) में यह स्वीकार किया गया कि, हरित अर्थव्यवस्था की अवधारणा वर्तमान चुनौतियों का समाधान कर सकती है तथा सभी राष्ट्रों को आर्थिक विकास व लाभ के अवसर प्रदान कर सकती है। 
  • वर्ष 2012 में रियो डि जेनेरियो (ब्राजील) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सतत दिस सम्पेलनन (Ric+20) के दो केन्द्रीय विषयों (Central Themes) में से एक विषय धा- सनन् विकास तथा निर्धनता उन्मूलन के संदर्भ में हरित अर्थव्यवस्था (A Green Economy in the Context of Sustainable Development and Poverty Erication) 
  • इस सम्मेलन में कहा गया कि. हरित अर्थव्यवस्था संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में सतत् विकास प्रतिबद्धताओं को लागू करने वाली नीतियों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का एक उपकरण है। आजील के दृष्टिकोण में हरित अर्थव्यवस्था को सतत विकास एवं निर्धनता उन्मूलन के संदर्भ में देखा जाना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण को सामाजिक सरोकारों (Social Concerns) से पृथक नहीं किया जा सकता है। 

हरित अर्थव्यवस्था की परिभाषाएँ  Definition of Green Economy

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP, 2011) 

  • हरित अर्थव्यवस्था बेहतर मानवहित (Improved Human Wellbeing) तथा सामाजिक समता (Social Equality) स्थापित करती है तथा पर्यावरणीय खतरों (Environmental Risks) व पारिस्थितिकीय अभावों (Ecological Scarcities) में कमी करती है। यह निम्न कार्बन, संसाधन कुशल तथा सामाजिक रूप से समावेशी है। 


हरित अर्थव्यवस्था गठबंधन (Green Economy Coalition) विभिन्न NGOs, व्यापार संघों व अन्य संगठनों का समूह 

  • हरित अर्थव्यवस्था एक लोचशील अर्थव्यवस्था है, जो ग्रह (पृथ्वी) की पारिस्थितिक सीमाओं (Ecological Limits) के भीतर सभी को बेहतर गुणवत्तायुक्त जीवन प्रदान करती है। 

हरित अर्थव्यवस्था के सिद्धांत (Principles of Green Economy) 

  • सतत विकास पर उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र मंच, न्यूयार्क में जुलाई, 2019 में एक प्रपत्र ( Paper) प्रस्तुत किया गया था, जिसका शीर्षक था- समावेशी हरित अर्थव्यवस्थाओं के लिए सिद्धांत, प्राथमिकताएँ एवं मार्ग (Principles, Priorities and Path easy for Inclusive Green Economics) 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दशकों में मानवता के समक्ष जलवायु परिवर्तन. जैव विविधता में हास, आर्थिक एवं सामाजिक, असमानता में वृद्धि जैसी अनेक अन्य गम्भीर चुनौतियाँ उत्पन्न होगी। ये वैश्विक संकट पृथक रूप में हल नहीं किए जा सकते हैं क्योंकि ये सभी परस्पर अंतसम्बंधित हैं। हमारा आर्थिक तंत्र अभी इतना सक्षम नहीं है कि वह सामाजिक लक्ष्यों तथा पर्यावरणीय लक्ष्यों के मध्य एक संतुलन स्थापित कर सके। 
  • उपर्युक्त समस्याओं के समाधान के लिए नए आर्थिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हरित अर्थव्यवस्था की अवधारणा पृथ्वी की पारिस्थितिक सीमाओं के भीतर सभी को समृद्धि प्रदान करती है। यह मुख्यतः पाँच सिद्धांतों का अनुसरण करती है 

हरित अर्थव्यवस्था के सिद्धांत 

  • ग्रहीय सीमाएं (Planetary Boundaries) 
  • जन कल्याण (Well-Being of People) 
  • सुशासन (Good Governance) 
  • कुशलता एवं प्रचुरता  (Efficiency and Suffciency)
  • न्याय (Justice)

 1. जन-कल्याण (Well-Being of People) 

  • हरित अर्थव्यवस्था  जन केन्द्रित (People Centric) होती है। इसका उद्देश्य. वास्तविक एवं साझी समृद्धि का निर्माण करना है यह ऐसी सम्पत्ति के निर्माण पर बल देती है जो न केवल वित्तीय हो बल्कि उसमें मानवीय, सामाजिक, भौतिक एवं प्राकृतिक पूँजी भी सम्मिलित हो । 
  • हरित अर्थव्यवस्था सतत् प्राकृतिक तंत्र (Sustainable Natural System), अवसरंचना (Infrastructure). ज्ञान एवं शिक्षा में निवेश एवं इन तक पहुँच को प्राथमिकता देती है। 
  •  हरित अर्थव्यवस्था हरित एवं उचित रोजगार (Green and Decent Livelihood) के अवसर प्रदान करती है। 


2. न्याय (Justice) : 

  • रित अर्थव्यवस्था समावेशी (Inclusive) तथा गैर-भेदभावपूर्ण होती है। यह लोगों के बीच की असमानताओं को कम करते हुए उन्हें समतापूर्ण अवसर प्रदान करने पर बल देती है। 
  • हरित अर्थव्यवस्था भविष्य के हितों को ध्यान में रखते हुए सम्पत्ति निर्माण का एक दीर्घ कालिक आर्थिक दृष्टिकोण है जो कि वर्तमान की बहु आयामी निर्धनता तथा अन्याय का भी समाधान करती है। 
  • यह व्यवस्था एकजुटता एवं सामाजिक न्याय. सामाजिक सम्बंधों, मानव अधिकारों, श्रमिकों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा सतत् विकास के अधिकार का समर्थन करती है।

 

3. ग्रहीय सीमाएँ (Planetary Boundaries) : 

एक मावशी हरित अर्थव्यवस्था प्रकृति के विभिन्न पारिस्थितिक मूल्यों की पहचान करती है तथा उन्हें पोषित करती है। प्रकृति के प्रमुख मूल्य निम्नवत् हैं

(i) कार्यात्मक मूल्य (Functional Values) : 

  • अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाली वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्रदान करना। 

(i) सांस्कृतिक मूल्य (Cultural Values) : विभिन्न समाजों को जोड़ना। 

(li) पारिस्थितिक मूल्य (Ecological Values) : 

  • जो कार्यात्मक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को जोड़ता है।

  •  हरित अर्थव्यवस्था प्राकृतिक पूँजी को अन्य पूँजियों के द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने पर बल देती है ताकि महत्वपूर्ण प्राकृतिक पूँजी की हानि तथा पारिस्थितिक सीमाओं के अतिक्रमण को रोका जा सके। हरित अर्थव्यवस्था जैवविविधता, मृदा जल, वायु तथा अन्य प्राकृतिक तंत्रों की सुरक्षा (Protection ), संवृद्धि (Growth) तथा उनके सुधार (Restoration) हेतु निवेश करती है। 

4. कुशलता एवं प्रचुरता (Efficiency and Sufficiency) : 

  • हरित अर्थव्यवस्था की अवधारणा सतत् उपभोग (Sustainable Consumption) के साथ-साथ सतत् उत्पादन (Sustainable Production) का भी समर्थन करती है। 
  • एक समावेशी हरित अर्थव्यवस्था संसाधनों का संरक्षण करने वाली (Resource Conserving), विविधतापूर्ण (Diverse) एवं चक्रीय (Circular) होती है। यह आर्थिक विकास के नए प्रतिमानों (Models) का स्वागत करती है। 
  • यह लोगों के कल्याण एवं गरिमापूर्ण जीवन के लिए आवश्यक आधारभूत वस्तुओं एवं सेवाओं के सामाजिक स्तर की पहचान करती है। 
  • यह मूल्यों (Prices), सहायकियों (Subsidies ) तथा प्रोत्साहन राशियों (Incentives) को समाज की वास्तविक लागतों के साथ इस प्रकार श्रेणीबद्ध करती है जहाँ प्रदूषणकर्ता उन लोगों को मूल्य चुकाते हैं जो समावेशी हरित परिणाम (Inclusive Green Outcomes) देते हैं। 

5. सुशासन (Good Governance) : 

  • हरित अर्थव्यवस्था एकीकृत (Integrated), उत्तरदायी (Accountable) एवं लोचशील (Resilient) संस्थाओं के द्वारा निर्देशित होती है। 

हरित अर्थव्यवस्था में जनभागीदारी के उपकरण 

  1. पूर्व सूचित सहमति (Prior Informed Consent) 
  2.  पारदर्शिता (Transparency) 
  3. सामाजिक संवाद ( Social Dialogue) 
  4. लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व (Democratic Accountability) 
  5.  निहित स्वार्थों से स्वंतत्रता (Freedom From Vested Interests) 


  • हरित अर्थव्यवस्था स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए हस्तांतरित निर्णयन (Devolved Decision Making) तथा प्राकृतिक तंत्र के प्रबंधन को प्रोत्साहित करती है। इसके साथ ही यह सशक्त, साझे, केन्द्रीकृत मानकों व प्रक्रियाओं के अनुपालन तंत्र (Compliance System) को बनाए रखती है। 
  • इस प्रकार, हरित अर्थव्यवस्था वैश्विक यथास्थिति में एक सार्वभौमिक (Universal) एवं परिवर्तनकारी परिवर्तन (Transformative Change) लाने के लिए सरकारी प्राथमिकताओं में एक मौलिक परिवर्तन (Fundamental Shift) की आवश्यकता होगी। यद्यपि यह परिवर्तन सरल नहीं है, परन्तु सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक है।

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