भारत में हरित अर्थव्यवस्था |भारत में हरित वित्त व्यवस्था | Green Economy in Hindi
भारत में हरित अर्थव्यवस्था | Green Economy in India
भारत में हरित वित्त व्यवस्था
भारत में हरित
अर्थव्यवस्था की आवश्यकता (Need of Green Economy in India)
भारत जैसे विकासशील देशों में हरित
अर्थव्यवस्था को निम्न कारणों से अपनाया जाना आवश्यक है-
1. एक हरित अर्थव्यवस्था में, स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों का प्रयोग, ऊर्जा सेवाओं तक बेहतर पहुँच उन्नत
संसाधन क्षमता आदि स्तरों पर आर्थिक एवं सामाजिक लाभ प्राप्त होता है।
2. इससे अर्थव्यवस्था में नए बाजार तंत्र
का विकास होता है। जैविक कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा , जैव अपशिष्टों आदि के पुनर्चक्रण से
विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसरों का सृजन होता है।
3. हरित अर्थव्यवस्था को अपनाने से
संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता
मिलेगी, परिणामस्वरूप, निर्धनता उन्मूलन व पर्यावरणीय
समस्याओं का समाधान सम्भव होगा।
भारत में हरित वित्त व्यवस्था (Green Finance
Ecosystem in India)
- हरित वित्त एक व्यापक शब्द है, जो सतत् विकास सम्बंधी परियोजनाओं, पहलों, पर्यावरणीय उत्पादों में वित्तीय निवेश तथा अधिक सतत् अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों को संदर्भित करता है ।
- UNEP के अनुसार, वर्ष 2030 तक विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन की लागत 140 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष से बढ़कर 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी। भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है। इसलिए भारत को अपने अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (Intended Nationally Determined Contributions : INDC) की प्राप्ति हेतु हरित वित्त की आवश्यकता है।
- वर्ष 2040 तक देश के अवसंरचना सम्बंधी वित्तपोषण के लिए 4.5 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी। वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन हेतु लगभग 200 बिलियन डॉलर, इलेक्ट्रिक वाहन कार्यक्रम के लिए 665 बिलियन डॉलर और वहनीय हरित आवासों (Affordable Green Houses) के लिए लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी।
हरित अर्थव्यवस्था के वैश्विक उदाहरण
(Some Global Examples of Green Economy) हरित अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण में अभी लम्बा समय लगेगा परन्तु कुछ देशों ने हरित वृद्धि (Green Growth) अथवा निम्न कार्बन (Low Carbon) जैसी आर्थिक रणनीतियाँ अपनाकर विश्व
के अन्य देशों के समक्ष नेतृत्व का प्रदर्शन किया है। ऐसे सफल एवं वृहद स्तरीय
कार्यक्रमों के अनेक उदाहरण हैं, जिनके माध्यम से संवृद्धि एवं
उत्पादकता में सतत रूप से वृद्धि दर्ज की गई है। ये उदाहरण निम्नवत्
हैं
कोरिया गणराज्य (Republic of Korea) :
- कोरिया गणराज्य ने वर्ष 2009 से 2013 की अवधि में हरित संवृद्धि हेतु एक पंचवर्षीय योजना अपनायी। इसके अंतर्गत उसने अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2% नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, स्वच्छ तकनीकी तथा जल आदि हरित क्षेत्रों में निवेश किया।
- वहाँ की सरकार ने एक वैश्विक हरित संवृद्धि संस्थान (Global Green Growth Institute) भी गठित किया जिसका उद्देश्य अन्य देशों (विशेषतः विकासशील देशों) को हरित संवृद्धि रणनीतियों के विकास में सहायता करना है।
मैक्सिको (Mexico) :
- मैक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी में यातायात की गम्भीर समस्या ने बस रैपिड ट्रांजिट (Bus Rapid Transit : BRT) व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रेरित किया है ।
- BRT एक परिष्कृत यातायात व्यवस्था है जिसमें बसों द्वारा सड़कों पर निर्धारित पथों (Dedicated Lanes) का प्रयोग किया जाता है । इस व्यवस्था में अत्यधिक निवेश ने परिवहन में लगने वाले समय तथा वायु प्रदूषण दोनों को कम किया। इसके साथ ही, जो लोग निजी कारों को खरीदने या किराये पर लेने में समर्थ नहीं थे उनकी पहुँच बेहतर सार्वजनिक परिवहन तक सुनिश्चित हो सकी।
- मैक्सिको सिटी में BRT की यह उल्लेखनीय सफलता मैक्सिको के विभिन्न शहरों में दोहराई जा रही है। इससे प्रभावित होकर वहाँ की संघीय सरकार ने पहली बार शहरी सार्वजनिक परिवहन के लिए निवेश किया है।
चीन (China) :
- चीन अन्य किसी देश की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा पर अधिक निवेश करता है। इसकी राष्ट्रीय नीति के अनुसार, वह स्वच्छ ऊर्जा को निकट भविष्य का एक बड़ा बाजार मानता है, जिसमें वह स्पर्धात्मक बढ़त प्राप्त करना चाहता है।
नामीबिया (Namibia) :
- नामीबिया आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरण हितों के लिए
अपने प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन कर रहा है। सम्पूर्ण देश में स्थानीय समुदायों
को सामुदायिक संरक्षण (Communal Conservancies) की सीमाओं के भीतर प्राकृतिक संसाधनों एवं वन्य जीवन के उपयोग एवं
उनसे लाभ प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है।
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