पीआईएल दाखिल करने संबंधी दिशा निर्देश |Guidelines for filing PIL
पीआईएल दाखिल करने संबंधी दिशा निर्देश
Guidelines for filing PIL
पीआईएल आज कानूनी प्रशासन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इसे-
- 'पब्लिसिटी इनटरेस्ट लिटिगेशन', अर्थात प्रचारहित याचिका के रूप में या
- 'पोलिटिक्स इन्टरेस्ट लिटिगेशन' (राजनीति हित याचिका), अथवा
- 'प्राइवेट इन्टररेस्ट लिटिगेशन' (निजी हित याचिका), अथवा
- 'पैसा इन्टरेस्ट लिटिगेशन' (पैसा हित याचिका), या
- 'मिडल क्लास इंटरेस्ट लिटिगेशन' (मध्यवर्ग हित याचिका)
के रूप में कदापि परिणत होने देना नहीं चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में टिप्पणी की
"जनहित याचिका कोई गोली नहीं है, न ही हरेक मर्ज की दवा। इसका अनिवार्य आशय कमजोरों एवं साधनहीनों के मूल मानवीय अधिकारों की रक्षा से था जिसका नवप्रवर्तन एक जनपक्षी व्यक्ति की इन लोगों की ओर से दायर की गई याचिका से हुआ जो स्वयं गरीबी, लाचारी अथवा सामाजिक-आर्थिक नि:शक्तताओं के कारण न्यायालय राहत पाने नहीं जा सकते। हाल के दिनों में पीआईएल के दुरुपयोग के दृष्टांतों में वृद्धि होती गई है । इसलिए उस प्राचलिक (पैरामीटर) पर पुन: जोर देने की जरूरत है जिसकी सीमा में किसी याचिकाकर्ता द्वारा पीआईएल का उपयोग किया जा सके तथा उसे न्यायालय द्वारा सुनवाई योग्य माना जा सके। "
पीआईएल का दुरुपयोग रोकने के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देश
इस प्रकार सर्वोच्च न्यायालय ने पीआईएल का दुरुपयोग रोकने के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं:
1. न्यायालय सचमुच जरुरी और वैध पीआईएल को अवश्य प्रोत्साहित करे तथा विषयेतर कारणों वाले पीआईएल को हतोत्साहित करे और रोके।
2. प्रत्येक वैयक्तिक न्यायाधीश पीआईएल से निपटने के लिए स्वयं अपनी प्रक्रिया विकसित करे, इसके स्थान पर अधिक उपर्युक्त यह होगा कि प्रत्येक उच्च न्यायालय वास्तविक एवं सदाशयी पीआईएल को प्रोत्साहित करने तथा गलत नियत से दायर पीआईएल को हतोत्साहित करने के लिए नियमों का उपर्युक्त ढंग से सूत्रण करे।
3. न्यायालय को किसी पीआईएल को स्वीकार करने के पहले याचिकाकर्ता की विश्वसनीयता को प्रथम द्रष्टया सत्यापन कर लेना चाहिए।
4. न्यायालय पीआईएल की सुनवाई के पहले याचिका के अंतर्वस्तु की परिशुद्धता के बारे में प्रथम दृष्टया आश्वस्त हो ले।
5. न्यायालय याचिका की सुनवाई से पहले पूरी तरह आश्वस्त होगा कि इस याचिका से जनहित यथेष्ठ रूप में जुड़ा है।
6. न्यायालय को यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जो याचिका वृहत रूप में जनहित और गंभीरता तथा अत्यावश्यकता से जुड़ी है उसे अन्य याचिकाओं के ऊपर प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
7. पीआईएल की सुनवाई के पहले न्यायालय यह अवश्य सुनिश्चित कर ले कि पीआईएल वास्तविक जन हानि अथवा जन आघात के समाधान को लक्षित है। न्यायालय को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पीआईएल दायर करने के पीछे कोई निजी लाभ, व्यक्तिगत प्रेरणा या गलत इरादा नहीं है।
8. न्यायालय को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि व्यवसाय निकायों द्वारा गलत इरादों से दायर की गई याचिकाओं भारी जुर्माना लगाकर अथवा सारहीन याचिकाओं तथा ऐसी याचिकाएं जो असंगत कारणों से दायर की गई हो, को भी ऐसे ही तरीके अपनाकर हतोत्साहित करना चाहिए।
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