प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारकों में कौटिल्य का स्थान | Kautilya's place in ancient Indian political thinkers
प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारकों में कौटिल्य का स्थानKautilya's Place in ancient Indian Political Thinkers
- प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारकों में कौटिल्य का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। साधारण ब्राहमण परिवार में जन्म के बावजूद अपनी योग्यता,मेधा,क्षमता तथा साहस से न केवल अपना मुकाम स्थापित किया वरन अपनी संगठन क्षमता, कूटनीति, शौर्य से नंदवंश का नाश किया।
- उन्होंने अपनी दूरदृष्टि से नंदवंश के अत्याचार से भारतीय जनमानस को मुक्त कराया साथ ही चन्द्रगुप्त मौर्य को स्थापित करते हुए भारतीय राजनीतिक एकीकरण के द्वारा एक सशक्त राजनीतिक सत्ता की स्थापना की।
कौटिल्य के बारे में जानकारी
- विद्वानों का मत था कि कौटिल्य का जन्म 400 ई0 पूर्व तक्षशिला के एक गरीब परिवार में हुआ था।
- उनको कई नामों से पुकारा जाता था जिसमें विष्णुगुप्त, चाणक्य, कौटिल्य प्रमुख थें कौटिल्य ने नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। शिक्षा समाप्त होने के साथ वह वहीं प्राध्यापक हो गये।
- सम्राट महानंद द्वारा सभा में किये गये अपमान ने उसे न केवल झकझोर दिया वरन उसे सक्रिय राजनीति में धकेल दिया। नन्द बंश के नाश होने के बाद मौर्य वंश की स्थापना हुई।
- सिकन्दर के जाने के बाद कौटिल्य ने पंजाब के राजाओं से मैत्री कर यूनानियों को देश से निकाल दिया।
- भारतीय राजनीतिक दर्शन में कौटिल्य का महत्वपूर्ण स्थान है । कौटिल्य ने अपनी कृति अर्थशास्त्र के द्वारा शासन संचालन , राजा के अधिकार, कर्तव्य का व्यापक चित्रण किया है ।
- उसने प्रजा हित के लिये राजा को कठोर परिश्रम एवं कड़े नियम बनाने की वकालत की। वह प्राचीन भारत का संभवतः पहला विद्वान था जिसने राजनीतिक सिद्धान्तों का वर्णन किया।
- कौटिल्य के द्वारा प्रस्तुत साप्तांग सिद्धान्त ,मण्डल सिद्धान्त तथा षाडगुण्य सिद्धान्त राजनीतिशास्त्र को उसकी अमूल्य देन है। उन्होंने अपने ग्रन्थ अर्थ शास्त्र में इन सिद्धान्तों का वर्णन किया है ।
कौटिल्य का ग्रंथ
- कौटिल्य के ग्रन्थ में प्रन्द्रह अधिकरण एक सौ अस्सी प्रकरण, एक सौ पचास अध्याय तथा छः हजार श्लोक है।
- इसमें राजनीति के अतिरिक्त , दर्शन,शिक्षाशास्त्रों, नीति शास्त्र, सैन्य शास्त्र, रसायन शास्त्र इंजीनियरिंग आदि का वर्णन किया गया है।
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