लॉर्ड कर्जन के सुधार कार्य |Lord Curzon's reform work in Hindi

 लॉर्ड कर्जन के सुधार कार्य

Lord Curzon's reform work in Hindi

लॉर्ड कर्जन के सुधार कार्य Lord Curzon's reform work in Hindi



लॉर्ड कर्जन (1899 1905)

  • लॉर्ड एलगिन द्वितीय के पश्चात् 1899 ई. में लॉर्ड कर्जन भारत का वायसराय नियुक्त किया गया । इससे पहले भी वह चार बार भारत आ चुका था। एशिया समस्या पर उसकी तीन पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी थीं। 
  • कर्जन के संबंध में पी.ई.राबर्ट्स ने लिखा है कि भारत से किसी अन्य वायसराय को अपना पद संभालने से पूर्व भारत की समस्याओं का इतना ठीक ज्ञान नहीं था जितना कि लॉर्ड कर्जन को । 
  • कर्जन के भारत आने के समय सरकार आर्थिक संकट से ग्रस्त थी। अकाल और प्लेग तो उसे उत्तराधिकार में ही प्राप्त हुए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हो चुकी थी। कर्जन भारत में ऐसे प्रशासनिक कार्य करना चाहता था. जिससे भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ें और अधिक मजबूत हो सकें उसके प्रशासन की मुख्य विशेषता थी कार्यकुशलता। 
  • उसके द्वारा सम्पादित किए गए प्रशासनिक कार्य पूर्णतः प्रतिक्रियावादी थे। अपने अच्छे व बुरे कार्यों के कारण कर्जन ने बहुत प्रसिद्धि हासिल की उसने अनेक कार्य किए।


लार्ड कर्ज़न के सुधार कार्य

 

कृषि संबंधी कार्य

 

  • कर्जन के भारत आने से पूर्व यहाँ भयंकर अकाल पड़ा था, जिससे यहाँ की किसान जनता त्रस्त थी। अतः कृषि के क्षेत्र में कर्जन ने अनेक सुधार किए जैसे 1900 में पंजाब भूमि हस्तांतरण अधिनियम पारित कराकर किसानों को साहूकारों द्वारा दी जाने वाली बेदखली से बचाया किसानों को कम सूद पर ऋण की सुविधा देने के लिए कृषि बैंक और सहकारी समितियों की स्थापना की । सिंचाई की व्यवस्था को सुधारने के लिए कर्जन ने 1901 ई. में एक आयोग नियुक्त किया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर विस्टन योजना का निर्माण हुआ, जिसमें 20 वर्षों में 44 करोड़ रुपये खर्च होने थे। इसी योजना द्वारा नदियों से नहरें निकालने का कार्य प्रारंभ किया गया। 

 

आर्थिक सुधार

 

  • कर्जन ने सरकारी लगान में कमी करके किसानों को राहत प्रदान की नमक पर लगाए जाने वाले कर की दर में कमी कर दी। व्यापार एवं व्यवसाय की देखभाल के लिए नया विभाग खोला। चाँदी के सिक्कों से प्राप्त होने वाले लाभ से सोने का एक रक्षित कोष स्थापित किया ताकि विनिमय दर में स्थायित्व बना रहे। भारत से निर्यात की जाने वाली चाय पर भी उसने आवश्यक कर लगाया, किन्तु कर्जन ने भारत में औद्योगिक विकास की ओर अधिक ध्यान नहीं दिया।

 

पुलिस व्यवस्था में सुधार

 

  • उस समय पुलिस विभाग में अनेक कर्मचारी भारतीय थे। इस विभाग के प्रति जनता में असंतोष था । अतः पुलिस व्यवस्था में सुधार करने के उद्देश्य से लॉर्ड कर्जन ने 1902 ई. में सर एन्ड्रयू फेजर की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग का गठन किया तथा आयोग की सिफारिशों को लागू कर पुलिस अधिकारियों की संख्या में वृद्धि कर पुलिस विभाग का पुनर्गठन किया अँग्रेज पुलिस अधिकारियों की संख्या में वृद्धि की तथा उच्च पदों पर सीधी अंग्रेजों की भर्ती की। सिपाहियों के वेतन में वृद्धि की। प्रत्येक प्रांत में एक खुफिया विभाग की स्थापना की कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न संस्थाओं की स्थापना की। अपराधों की रोकथाम के लिए प्रांतीय पुलिस की संख्या में वृद्धि की।

 

सेना संबंधी सुधार

 

  • देशी सैनिकों को पुन: अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित किया। देशी नरेशों के राजकुमारों के सैनिकों के लिए उसने एक इम्पीरियल कैडेट कोर की स्थापना की।

 

शिक्षा संबंधी सुधार

 

  • हण्टर आयोग की सिफारिशें लागू कर रिपन के शासनकाल में उच्च शिक्षा के स्थान पर प्राइमरी शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया और उच्च शिक्षा की उपेक्षा की, किन्तु कर्जन उच्च शिक्षा पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करना चाहता था। उसका विचार था कि ऐसा करने से काँग्रेस का प्रभाव  कम किया जा सकता है। 
  • उसने प्रचलित शिक्षा में व्याप्त दोषों को दूर करने के लिए 1902 ई. में सर थामस रैले की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया जिसमें दो सदस्य भारतीय भी थे। 
  • आयोग की सिफारिशों को लागू कर उसने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सुधार किए। भारत में तीनों पुराने विश्वविद्यालयों में सीनेट के सदस्यों की संख्या कम-से-कम 50 तथा अधिक-से-अधिक 100 एवं नए विश्वविद्यालयों के लिए सदस्यों की संख्या कम-से-कम 75 निर्धारित कर दी। विश्वविद्यालयों द्वारा कॉलेजों को मान्यता देने का अधिकार सरकार को दे दिया प्रोफेसरों एवं प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए भी सरकार की स्वीकृति अनिवार्य कर दी। स्नातकोत्तर शिक्षा का प्रबंध विश्वविद्यालयों को दे दिया तथा कॉलेजों के निरीक्षण का अधिकार विश्वविद्यालयों को सौंप दिया गया।

 

रेलवे विभाग में सुधार

 

  • रेलवे में लोक सेवा विभाग में अनेक दोष विद्यमान थे। अत: कर्जन ने इसे समाप्त कर दिया तथा अब रेलवे विभाग के समस्त कार्य को एक रेलवे बोर्ड को सौंप दिया, जिसमें 3 सदस्य थे। कर्जन ने रेलवे विभाग में सुधार हेतु नवीन रेल लाइनों का निर्माण भी कराया। जिस समय लॉर्ड कर्जन भारत से स्वदेश वापस गया, उस समय भारत में लगभग 28,150 मील रेल लाइनों का निर्माण हो चुका था।

 

श्रमिक दशा

 

  • श्रमिकों की दशा सुधारने तथा उन्हें सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से लॉर्ड कर्जन ने माइन्स एक्ट और असम लेबर एक्ट पारित किया। इस एक्ट से श्रमिकों की सुरक्षा तो हुई ही साथ ही उन्हें अनेक सुविधाएँ भी मिलीं।

 

ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा का प्रबंध

 

  • लॉर्ड कर्जन ने 1904 ई. में प्राचीन स्मारक सुरक्षा कानून पारित कराया। इसके द्वारा भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा व मरम्मत की ओर ध्यान दिया गया। इस कार्य के लिए कर्जन ने पुरातत्व विभाग की स्थापना की। महारानी विक्टोरिया के 1901 ई. में देहान्त के बाद कर्जन ने कलकत्ता में विक्टोरिया मेमोरियल हाल का निर्माण कराया। उसने अनेक स्थानों पर उत्खनन कार्य कराया, जिससे अनेक नए ऐतिहासिक तथ्य प्रकाश में आए।

 

लॉर्ड कर्जन के भारत विरोधी कार्य

 

  • यद्यपि लॉर्ड कर्जन एक कुशल वायसराय था, परंतु उसमें दूरदर्शिता का सर्वथा अभाव था। साम्राज्यवादी एवं महत्वाकांक्षी होने के कारण वह भारतीयों को घृणा की दृष्टि से देखता था। अतः उसने भारतीयों के मध्य फूट के बीच बोए तथा उन्हें उच्च पदों से अलग रखने की नीति का पालन किया। उसने भारतीय राष्ट्रीयता का दमन करने के लिए अनेक भारत विरोधी कार्य किए।

 

कलकत्ता कॉर्पोरेशन एक्ट

 

  • कर्जन ने भारत आते ही केन्द्रीयकरण की नीति को अपनाया और सबसे पहले कलकत्ता कॉर्पोरेशन पर प्रहार किया। उसने 1900 ई में कलकत्ता कॉर्पोरेशन एक्ट पारित कराया। स्थानीय स्वशासन, जिसकी नींव वायसराय रिपन ने डाली थी, कर्जन ने उसका विकास रोकने के लिए उक्त अधिनियम.द्वारा निर्वाचित सदस्यों की संख्या कम कर दी, नगर के कार्यों पर नियंत्रण रखने के लिए एक कार्यकारिणी समिति बनाई, जिसके अधिकांश सदस्य अँग्रेज थे।

 

भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम 

  • 1904 ई. में पारित भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम के द्वारा लॉर्ड कर्जन ने विश्वविद्यालयों का सरकारीकरण कर दिया। विश्वविद्यालय की सीनेट एवं सिण्डीकेट में निर्वाचित सदस्यों की संख्या कम कर दी और नामजद सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर दी।

 

बंगाल का विभाजन

  • राष्ट्रीय आंदोलन को दबाने व कमजोर करने के उद्देश्य से उसने यह कहकर कि बंगाल प्रांत बड़ा होने के कारण उसमें अनेक प्रशासनिक असुविधाएँ आती हैं, 1905 ई. में जनमत की उपेक्षा कर बंगाल का विभाजन कर दिया। उसका यह कार्य सर्वाधिक अलोकप्रिय था बंगाल विभाजन के पीछे उसका उद्देश्य फूट डालो और शासन करो था। वह हिन्दू और मुसलमानों में वैमनस्य पैदा करना चाहता था इसलिए पूर्वी बंगाल का निर्माण मुसलमानों को प्रसन्न करने के लिए किया गया कि वे स्वयं इस प्रांत में करें। पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं का बहुमत रहा। कर्जन के इस कार्य का सर्वत्र घोर विरोध हुआ। अंत में अंग्रेजों ने 1911 ई. में बंगाल विभाजन के आदेश को रद्द कर दिया।

 

लॉर्ड कर्जन के भारत विरोधी अन्य कार्य 

1. 1904 ई. में सरकारी गोपनीयता अधिनियम के द्वारा कर्जन ने सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध कुछ भी कहना अपराध घोषित कर दिया।

2. 1903 ई. में सम्राट सप्तम एडवर्ड को भारत का सम्राट घोषित करने के लिए इस समय जबकि बंगाल की जनता अकाल से त्रस्त थी किन्तु कर्जन ने उनकी तरफ कोई ध्यान न देकर दरबार भरने में पानी की तरह पैसा बहाया। कर्जन ने अनेक अन्य कार्य करके भारतीयों को अपमानित किया ।

3. कर्जन के उपर्युक्त भारत विरोधी कार्यों के परिणामस्वरूप भारतीय जनता आंदोलित हो उठी और भारत में उग्रवादी आंदोलन का प्रारंभ हुआ।


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