पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का गठन | पृथ्वी आयोग का गठन | Ministry of Earth Sciences
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय | पृथ्वी आयोग |
Ministry of Earth Sciences
फरवरी, 2006 में महासागर विकास विभाग को महासागर विकास मंत्रालय बनाया गया तथा 12 जुलाई, 2006 को इस मंत्रालय को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के रूप में पुनर्गठित किया गया। इसके साथ ही 2007 में पृथ्वी आयोग की स्थापना की गयी।
पृथ्वी आयोग Earth commission
- केन्द्र सरकार द्वारा 9 जनवरी, 2007 को पृथ्वी आयोग की स्थापना की गयी। इस आयोग में 12 सदस्य होंगे।
- पृथ्वी आयोग व्यापक रूप से पृथ्वी, पर्यावरण तथा महसागरों से संबंधित घटनाओं व परिवर्तनों से संबंधित विषयों पर कार्य करेगा।
- यह आयोग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की नीतियों के निर्धारण, उपयुक्त प्रशासनिक मशीनरी के गठन, नेटवर्किंग तथा विधायी तंत्र संबंधी नीतियां बनाएगा। साथ ही यह विभिन्न परियोजनाओं तथा बजट को मंजूरी देने के अलावा नियुक्ति प्रक्रिया तैयार करने, कर्मचारियों की आवश्यकता का मूल्यांकन, मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण का कार्य भी करेगा ।
महासागर विकास विभाग मिशन (Misson) :
- महासागर विकास विभाग द्वारा जो मिशन निर्धारित किया गया है उसे निम्न प्रकार से उद्घाटित किया जाता है-'समुद्री संसाधनों के सतत् विकास जीविका बढ़ाने तथा तटीय खतरों की सामयिक चेतावनी के लिए महासागर विशेषकर- हिंद महासागर के बारे में अधिकाधिक जानकारी प्राप्त करना, ताकि देश की जनता और महासागर का उल्लेखनीय प्रबन्धन किया जा सके।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
केन्द्र सरकार द्वारा फरवरी, 2006 में गठित महासागर विकास मंत्रालय को 12 जुलाई, 2006 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के रूप में पुनर्गठित किया गया।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences-MESCs) एक वैज्ञानिक मंत्रालय है जिसका जनता के क्रियाकलापों से कोई सीधा संबंध नहीं है ।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दो प्रमुख विभाग हैं-
- समुद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Dept. of Ocean Science and Technology). तथा
- भारत मौसम विज्ञान-विभाग (Dept. of India Meteorological ),
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बारे में जानकारी
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MEScs) का मुख्यालय नई दिल्ली है,
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्तर्गत
- NCMRWF (Na- tional Centre for Medium Range Weather Forecasting), Noida;
- "CMLRE' (Centre for Marine Living Resources and Ecology), Kochi (Kerala) एवं
- 'ICMAM' (Integrated Coastal and Marine Area Management) चेत्रई, प्रशासनिक सहायता हेतु आते हैं।
कुल मिलाकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
के अंतर्गत देश में 280 संबद्ध कार्यालय हैं।
महासागरीय विकास के मुख्य मांग क्षेत्र
- विगत् वर्षों में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित क्षेत्रों को विकास के मुख्य मांग क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है
- समुद्र संस्तर उत्खनन (Seabed Mining), एक्सट्रैक्टिव मैटलर्जी से सम्बंधित प्रौद्योगिकियों का विकास,
- ध्रुवीय विज्ञान (Polar Science) में अग्रणी अनुसंधान के लिए योगदान,
- सामाजिक कल्याण हेतु सीधे अनुप्रयोग के साथ समुद्री एकीकृत तटीय और समुद्री क्षेत्र प्रबंधन तटीय समुदाय विकास, समुद्री सूचना सेवा, आदि से संबंधित विकासात्मक गतिविधियां,
- समुद्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास में बुनियादी अनुसंधान, शैक्षिक संस्थाओं में उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) का सृजन और समुद्र के सम्भावित प्रयोगों के विषय में जन-जागरूकता आदि। विगत वर्षों में कुछ नए कार्य-कलाप शुरू किए गए हैं। जिनमें गैस हाइड्रेट अन्वेषण (Gas Hydrates Exploration) एवं दोहन के लिए भौतिक अध्ययन आदि सम्मिलित हैं।
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