हरित अर्थव्यवस्था अवधारणाएँ (Various Concepts Related Green Economy)
हरित अर्थव्यवस्था अवधारणाएँ (Various
Concepts Related Green Economy)
- कार्बन क्रेडिट (Carbon Credit)
- कार्बन कर (Carbon Tax)
- कार्बन स्पेस (Carbon Space)
- कार्बन पद छाप (Carbon Foot Print)
- कार्बन बाजार . (Carbon Market)
- हरित कार्बन एवं नीला कार्बन (Green Carbon and Blue Carbon)
- हरित भवन (Green Building)
- कार्बन व्यापार (Carbon Trading)
- अर्थ आवर (Earth Hour)
कार्बन बाजार (Carbon Market)
- यह बाजार आधारित दृष्टिकोण है, जो परम्परागत विधि से जुर्माना लगाने के विपरीत अच्छा प्रदर्शन करने वालों के लिए प्रोत्साहन के रूप में व्यापार-योग्य प्रदूषण क्रेडिट निर्मित करके वायु प्रदूषण को नियंत्रित करता है। हाल ही में चीन ने औपचारिक रूप से अपने राष्ट्रीय कार्बन बाजार को प्रारम्भ किया है ।
- इस अवधारणा के रूप में उत्सर्जन व्यापार को क्योटो प्रोटोकाल (वर्ष 1997) के अंतर्गत क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म (CDM) के केन्द्रीय तत्व के रूप में प्रस्तुत किया गया था। इस तंत्र के अंतर्गत जिन देशों के पास अतिरिक्त क्रेडिट है वे उसे उन देशों को बेच सकते हैं, जिन्होंने अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है । यह रणनीति एक संतुलन (Equilibrium) का कार्य करेगी।
हरित कार्बन एवं नीला कार्बन (Green Carbon and Blue Carbon)
- वायुमंडल में उपस्थित वह कार्बन जो पौधों एवं मृदा में संग्रहीत हो जाता है, ग्रीन कार्बन कहलाता है। यह वैश्विक कार्बन चक्र (Global Carbon Cycle) का जीवंत भाग होता है। पौधों एवं फसलों में यह लघुकालिक किन्तु वनों के जैव भार (Biomass) में यह दीर्घकालिक होता है।
- वायुमंडलीय कार्बन जब तटीय एवं समुद्री पारितंत्रों के मैंग्रोव वन, समुद्री घास एवं अंतज्ज्वारीय दलदलों में जमा होता है तब वह कार्बन, नीला कार्बन (Blue Carbon) कहलाता है। ये वातावरणीय कार्बन डाइऑक्साइड को प्राथमिक उत्पादक के द्वारा अधिगृहीत कर फिर उन्हें अवसादों में जमा करते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, 55% वातावरणीय कार्बन को समुद्र के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है और इसका 50-70% समुद्री वनस्पतियों द्वारा कर लिया जाता है। इस प्रकार ये दोनों ग्रीन कार्बन एवं ब्लू कार्बन वातावरण से हरितगृह गैसों के अधिग्रहण (Sequestration) का कार्य करते हैं तथा कार्बन सिंक (Carbon Sink ) की भूमिका निभाते हैं।
कार्बन क्रेडिट (Carbon Credit)
- कार्बन क्रेडिट एक व्यापार योग्य प्रमाणपत्र या आज्ञा है जो धारक को 1 टन कार्बन डाईऑक्साइड की वैश्विक तापन क्षमता के बराबर अन्य हरितगृह गैसों (जिनकी मात्रा 1 टन CO, के बराबर हो) के उत्सर्जन का अधिकार देता है
- जब कोई भी संस्था, उसके कार्यों हेतु प्रदान किए गये कार्बन उत्सर्जन मानक स्तर से कम कार्बन का उत्सर्जन करती है तो वह कार्बन क्रेडिट अर्जित करती है। यह अर्जित कार्बन क्रेडिट उन कम्पनियों या संस्थाओं को बेचा जा सकता है, जिन्होंने मानक स्तर से अधिक कार्बन उत्सर्जन किया है।
- संस्थाओं द्वारा क्रेडिट प्राप्ति हेतु ऊर्जा कुशल एवं कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता है। साथ ही ऐसे नीतिगत सुधारों पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिनसे अधिक से अधिक क्रेडिट प्राप्त किया जा सके।
कार्बन व्यापार (Carbon Trading)
- कार्बन क्रेडिट की खरीद एवं बिक्री को कार्बन ट्रेडिंग कहते हैं। यह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार की हो सकती है। UNEP द्वारा प्रथमतः इसकी संकल्पना 1970 के दशक में की गई, जिसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करना तथा उद्योगों को इस हेतु प्रोत्साहित करना था। हालाँकि क्योटो प्रोटोकॉल के उपरांत इसे और कठोरता से लागू किया जाने लगा है।
कार्बन ट्रेडिंग के प्रकार
उत्सर्जन व्यापार (Emission Trading)
समायोजन व्यापार (Offset Trading)
उत्सर्जन व्यापार (Emission Trading) :
- किसी देश या संस्था द्वारा अपनी उत्सर्जन सीमा से कम कार्बन उत्सर्जन करने पर शेष अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन क्षमता को ऐसे देशों या संस्थाओं को बेचना, जिन्होंने अपनी निर्धारित सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जन कर लिया है, इसे उत्सर्जन व्यापार कहा जाता है।
समायोजन व्यापार (Offset Trading) :
- यह किसी अन्य स्थान पर हरितगृह गैसों (GHGs) के उत्सर्जन में कमी लाने हेतु एक प्रकार का वित्तीय प्रोत्साहन (Financial Incentives) है, जो किसी देश द्वारा ग्रीन प्रोजेक्ट (जो कम मात्रा में GHG उत्सर्जन करते हैं) में निवेश करके अर्जित किया जाता है।
- देशों की सरकारों द्वारा इसी तर्ज पर कैप एवं ट्रेड सिस्टम (Cap and Trade System) लाया गया, जिसमें सरकारें अपने उद्योगों एवं संस्थाओं हेतु कार्बन उत्सर्जन प्रदूषण की एक उच्चतम सीमा निर्धारित करती हैं, ताकि उत्सर्जन को कम किया जा सके। बची हुई कार्बन सीमा का व्यापार सरकारें नीलामी द्वारा करती हैं। यह उन फर्मों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन होता है, जिनसे सरकारें कार्बन क्रेडिट खरीदती हैं और उन पर दबाव होता है, जो फर्में इन्हें खरीदती हैं।
कार्बन कर (Carbon Tax )
- कार्बन टैक्ट एक शुल्क है जो कि, हरितगृह गैस प्रदूषण (विशेषकर जीवाश्म ईंधन) द्वारा उत्सर्जन पर लगाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन तंत्र (UNFCCC) में इसका उल्लेख किया गया है। वर्तमान में मुख्यतः दो प्रकार के कार्बन करारोपण (Carbon Taxation) प्रचलित हैं-
(i) जीवाश्म ईंधन के उपभोग पर कर।
(ii) उत्पादन प्रक्रिया के दौरान CO, उत्सर्जन पर कमर ( सीमेंट और स्टील
क्षेत्र)।
कार्बन पद छाप (Carbon Foot Print)
- ग्रीन हाउस गैसों (मुख्यत: CO,) की वह मात्रा जो किसी व्यक्ति, समुदाय, संस्था एवं संगठन द्वारा वायुमंडल में निर्मुक्त की जाती है। कार्बन पद छाप कहलाती है।
कार्बन स्पेस (Carbon Space)
- कार्बन को अवशोषित करने की पृथ्वी की एक सीमा होती है, जब यह सीमा पूरी हो जाती है तो कार्बन डाई ऑक्साइड का आधिक्य हो जाता है तथा पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। पृथ्वी द्वारा कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता ही कार्बन स्पेस कहलाती है ।
अर्थ ऑवर (Earth Hour)
- अर्थ ऑवर को सर्वप्रथम वर्ष 2007 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर से विश्व वन्य जीव कोष (World Wide Fund for Nature : WWF) द्वारा प्रारम्भ किया गया था।
- इसके अन्तर्गत, प्रत्येक वर्ष मार्च के अंतिम शनिवार को वैश्विक स्तर पर लगभग सभी अनावश्यक लाइटें एक घंटे के लिए बंद कर दी जाती हैं। यह इस बात का संकेत है कि, सभी लोग पृथ्वी के भविष्य की चिंता करते हैं ।
हरित भवन (Green Building)
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेन्सी का मानना है कि पराम्परागत विधियों से हो रहे भवन निर्माण में 40% अतिरिक्त विद्युत खपत एवं 24% अतिरिक्त co, का उत्सर्जन होता है। इसलिए अब हरित भवन अथवा हरित निर्माण अथवा सतत् बिल्डिंग (Sustainable Building) की अवधारणा पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है ।
- हरित भवन अपनी संरचना, निर्माण संचालन एवं रख-रखाव के सन्दर्भ में पर्यावरण हितैषी एवं संसाधन कुशल होते हैं। अर्थात्, ये अतिरिक्त ऊर्जा एवं जल खपत को कम करके जलवायु एवं प्राकृतिक वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं ।
- हरित भवन अवधारणा का मुख्य उद्देश्य, विश्व को ऊर्जा संकट से उबारना, पर्यावरण प्रदूषण (विशेषकर इनडोर प्रदूषण) को कम करना तथा जल संसाधन को पुनर्प्रयोज्य (Reusable) बनाने सहित एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण करना है।
विश्व हरित भवन परिषद के अनुसार हरित
भवन में सम्मिलित सुविधाएँ
- ऊर्जा, जल एवं अन्य संसाधनों का कुशल उपयोग ।
- नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे- सौर ऊर्जा) का उपयोग।
- प्रदूषण एवं अपशिष्ट को कम करने का उपाय तथा पुन: उपयोग व पुनर्चक्रण की व्यवस्था।
- अच्छी आंतरिक (Indoor) वायु गुणवत्ता।
- गैर-विषाक्त व सतत् पदार्थों का प्रयोग।
- डिजाइन (Design), निर्माण (Construction) (Operation) में पर्यावरण को ध्यान में रखना एवं
- संचालन परिवर्तनशील पर्यावरण में अनुकूलन योग्य भवन डिजाइन।
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