शून्य भेदभाव दिवस |Zero Discrimination Day
शून्य भेदभाव दिवस
Zero Discrimination Day
FAQ
शून्य भेदभाव दिवस कब मनाया जाता है
प्रतिवर्ष 1 मार्च को
प्रथम बार शून्य भेदभाव दिवस कब मनाया गया था ?
संयुक्त राष्ट्र ने 1 मार्च 2014 को पहला शून्य भेदभाव दिवस मनाया।
शून्य भेदभाव दिवस मनाने के उद्देश्य:
- लिंग, लैंगिक, जाति, आयु, आय वर्ग, जातीयता और धर्म से संबंधित मानसिक सीमाओं को समाप्त करना।
- सामाजिक मानदंडों से संबंधित सभी असमानताओं से मुकाबला करने को सुनिश्चित करना।
- कानून के समक्ष और आम लोगों के व्यवहार में समानता को बढ़ावा देना ।
- यह दिवस आय, आयु, लिंग, स्वास्थ्य स्थिति, रंग, नस्ल, व्यवसाय, यौन अभिविन्यास, धर्म और जातीयता आदि आधारों पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को जल्द-से-जल्द खत्म करने के लिये तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
शून्य भेदभाव दिवस का इतिहास
- UNAIDS ने 2014 से शुरू होने वाले हर साल के 1 मार्च को शून्य भेदभाव दिवस ’के रूप में घोषित किया।
- UNAIDS के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के साथ विश्व की कुल आबादी के 70 प्रतिशत से अधिक हिस्से को किसी-न-किसी रूप में असमानता और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। शून्य भेदभाव दिवस का लक्ष्य बेहतर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक नीतियों के माध्यम से लोगों के अधिकारों की रक्षा कर उनके सम्मान को बनाए रखना है।
शून्य भेदभाव दिवस का प्रतीक
- “एक तितली” जिसे परिवर्तन के संकेत के रूप में पहचाना जाता है, शून्य भेदभाव का प्रतीक है।
शून्य भेदभाव दिवस का महत्व
- भेदभाव का असमानताओं से गहरा संबंध है, जो कलंक और भेदभाव का कारण बन सकता है।
- सामाजिक या संरचनात्मक भेदभाव से आय, शैक्षिक परिणामों, स्वास्थ्य और रोजगार में असमानताएं पैदा होती हैं।
- UNAIDS बताता है कि 70% से अधिक वैश्विक आबादी के लिए असमानता बढ़ रही है, जो विभाजन के जोखिम को बढ़ा रहा है और अर्थशास्त्र और सामाजिक विकास में बाधा डाल रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र HIV / AIDS कार्यक्रम (UNAIDS) का मुख्यालय- जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है ।
शून्य भेदभाव दिवस पर निबंध
प्रतिवर्ष एक मार्च को शून्य भेदभाव दिवस मनाया
जाता है, इसका उद्देश्य कानून के समक्ष समानता
सुनिश्चित करना है तथा इसे संयुक्त राष्ट्र के सभी देशों में फैलाना है। इस दिवस
के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के साथ आयु, लिंग,नस्ल, भाषा,रंग और स्वास्थ्य इत्यादि के आधार
भेदभाव न करने का सन्देश दिया जाता है। इस वर्ष शून्य भेदभाव दिवस की थीम ‘ZERO DISCRIMINATION AGAINST WOMEN
AND GIRLS’ है।
शून्य भेदभाव दिवस क्यों मनाया जाता है
- आज विश्व के प्रत्येक भाग में लिंग, नस्ल, जातीयता, भौगोलिक स्थिति और कई अन्य मुद्दों पर आधारित भेदभाव बढ़ रहा है। लिंग, नस्ल, जातीयता इत्यादि में समानता सुनिश्चित करने की दिशा में कई सरकारें और साथ ही गैर-सरकारी संगठन कार्य कर रहे है। शून्य भेदभाव दिवस का ध्येय कानून के समक्ष असमानता को समाप्त करना है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने सदस्य राज्यों के भीतर विभिन्न लोगों के बीच समानता को बढ़ाने के लिए इस मंच की स्थापना की है।
- एचआईवी और एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (यूएनएड्स) ने एड्स से पीड़ित लोगों के खिलाफ भेदभाव को कम करने के सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
शून्य भेदभाव दिवस को मनाने का उद्देश्य
- शून्य भेदभाव दिवस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति की कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित करना है। आपको बता दे धर्म, नस्ल, लिंग, शैक्षिक पृष्ठभूमि, मूल्य और स्वास्थ्य के आधार पर लोगों से व्यापक भेदभाव किया जाता है। शून्य भेदभाव दिवस के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों में लोगों को एकजुट करने और उन्हें कानून के समक्ष समान रूप से व्यवहार करने को बढावा देता है। मिथकों और गलत धारणाओं के कारण हाल के वर्षों में एचआईवी और एड्स पीड़ित लोगों के खिलाफ भेदभाव बढ़ रहा है। घृणा हिंसा, नस्लीय भेदभाव, लैंगिक भेदभाव और संप्रदायवाद के मामले लगातार बढ़ रहे है। शून्य भेदभाव दिवस को मनाने का उद्देश्य इन सब भेदभाव के स्वरूपों को समाप्त करना है।
Also Read...
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस
Post a Comment