महमूद गजनवी के भारत में आक्रमण और भारत में इसका प्रभाव | 17 attacks on India by Mahmud Gajni

 

 महमूद गजनवी के भारत में आक्रमण और इसका प्रभाव

महमूद गजनवी के भारत में आक्रमण और भारत में इसका प्रभाव | 17 attacks on India by Mahmud Gajni



गजनवी सामान्य परिचय 

  • 10 वीं सदी से तुर्क काबुल के हिन्दूशाही राज्य के सम्पर्क में आये और गजनवी वंश की स्थापना के 50 वर्ष पश्चात उन्होंने भारत में प्रवेश पा लिया। 
  • भारत में अन्दर तक प्रवेश पाने का प्रथम श्रेय गजनवी वंश के सुल्तान महमूद को जाता है । इसने सन् 1000 से लेकर 1027 ई0 तक हेनरी इलियट के अनुसार 17 आक्रमण किये।

 

महमूद ने भारत पर 17 आक्रमण  

महमूद गजनवी के आक्रमण की पूर्व की स्थिति 

  • महमूद गजनवी के आक्रमण की पूर्व संध्या में उत्तरी भारत विभिन्न राज्यों में विभाजित था।
  • डॉ0 ईश्वरी प्रसाद के अनुसार, इस समय भारत 16 वीं सदी के जर्मनी की भांति ऐसे राज्यों का समूह बन गया था जो अपने प्रत्येक उद्देश्य एवं कार्य के लिए स्वतन्त्र थे। " इनमें से कुछ राज्य शक्तिशाली भी थे परन्तु उनकी पारस्परिक प्रतिस्पर्धा उनकी मुख्य दुर्बलता थी जिसके कारण वे विदेशी शत्रु का मुकाबला मिलकर न कर सके। 
  • मुल्तान और सिन्ध में दो मुसलमानी राज्य थे। ब्राहमण हिन्दूशाही राज्य चिनाब नदी से हिन्दुकुश तक फैला था, जयपाल उसका साहसी, बहादुर और दूरदर्शी शासक था। 
  • अपने पड़ोसी गजनी राज्य को समाप्त करने के लिए उसने आक्रमणकारी नीति का पालन किया यद्यपि वह उसमें सफल न हो सका। महमूद के आक्रमणों का प्रथम और द्रढ़तापूर्वक सामना इसी राजवंश ने किया।
  • इस समय काश्मीर में भी ब्राहमण वंश का शासन था, इसकी शासिका रानी दिद्दा थी। कन्नौज में प्रतिहार वंश का शासन था, इस समय यहाँ राज्यपाल का शासन था। 
  • 11 वीं सदी के आरंभ तक यह राज्य दुर्बल हो गया था, उसके सामन्त बुन्देलखण्ड के चन्देल, मालवा के परमार, और गुजरात के चालुक्त उसके आधिपत्य से मुक्त हो गये थे।

 

महमूद गजनी के आक्रमणों का प्रभाव

 

  • महमूद के आक्रमणों का भारत पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि उसके भारत पर आक्रमणों का मुख्य लक्ष्य,अपने गजनी के साम्राज्य विस्तार के लिए भारत की अतुल सम्पत्ति लूटना था। 
  • साथ ही साथ वह अपनी कट्टर सुन्नी प्रजा को इन अभियानों द्वारा यह भी दिखाना चाहता था कि उसने काफिरों के देश में आक्रमण कर जिहाद किया है । 


महमूद के आक्रमणों का उद्देश्य 

  • उसका लक्ष्य भारत पर राज्य स्थापित करना नहीं था। उसने उत्तरी भारत के पश्चिमी प्रदेशों के अनेक राजाओं को युद्ध में परास्त किया, अनेक भव्य तथा समृद्धिशाली नगरों तथा मन्दिरों का विध्वंश कर दिया और इस समस्त प्रदेश को आतंकित कर दिया,एवं विशाल मात्रा में धन की लूटपाट की। 

  • उसने पंजाब के अतिरिक्त किसी अन्य प्रदेश को अपने साम्राज्य का भाग नहीं बनाया और न उसकी उचित शासन व्यवस्था की ओर ही ध्यान दिया। इस सम्बन्ध में डाक्टर ईश्वरी प्रसाद का कहना है कि, धन के लोभ तथा लालच ने महमूद को अत्यन्त महत्वपूर्ण लाभों की ओर से अन्धा बना दिया था जो भारतीय विजय द्वारा विजेता को प्राप्त होते।
  • वह भारत में इस्लाम धर्म का भी प्रचार नहीं कर सका, क्योकि उसकी विध्वंसात्मक नीति ने हिन्दुओं में इस्लाम धर्म के प्रति अरूचि की भावना पैदा कर दी, जो भारत के हिन्दुओं में दीर्घ काल तक विद्यमान रहीं और प्रारंभ में जिसके कारण दोनों धर्मों का सामजंस्य असम्भव हो गया। 
  • राजनीतिक दृष्टि से पंजाब का उसके गजनी राज्य में सम्मिलित होने के अतिरिक्त उसके आक्रमणों का कोई स्थायी परिणाम नहीं हुआ, किन्तु कुछ दूरगामी परिणाम हुये जिसके कारण भारत के इतिहास में आगे चलकर मुस्लिम राज्य स्थापित हो सका। 
  • भारत के अन्य स्थानों पर उसके आक्रमणों का प्रभाव शीघ्र ही समाप्त हो गया। आगे की लगभग दो सदियों तक राजपूत शासक उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों में शासक बने रहे। महमूद गजनवी के आक्रमणों को उन्होंने एक आंधी या तूफान समान समझा, जो आई और चली गई। 


महमूद गजनवी के आक्रमणों के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं -

 

1. राजाओं की शक्ति पर प्रभाव

  • महमूद ने कुल मिलाकर 17 आक्रमण किये थे। उसके निरन्तर आक्रमणों के कारण भारतीय नरेशों की सैनिक शक्ति को बहुत आधात पहुँचा था,और भारी जन-धन की हानि उठानी पड़ी थी।

 

2. सैन्य दुर्बलता

  • भारतीयों की राजनीतिक तथा सैन्य दुर्बलता का ज्ञान विदेशी आक्रमणकारियों को लग गया जिन्होंने बाद में उसका पूर्णरूप से लाभ उठाया। महमूद के साथ आये अलबरूनी ने भारतीयों की इस काल में उत्पन्न कमजोरी का कारण उनका विदेशों से संपर्क न होना बताया है।

 

3- अतुल सम्पत्ति का पलायन

  • महमूद गजनवी के आक्रमणों के द्वारा भारत की अतुल धन सम्पत्ति विदेश चली गई जिसके कारण भारत की आर्थिक स्थिति को विशेष धक्का पहुंचा। उसने हिन्दुओं के उन मन्दिरों को विशेष रूप से लूटा जिनमें शताब्दियों से एकत्रित किया हुआ अतुल धन संचित था।महमूद का समकालीन इतिहासकार उत्बी उसके अभियानों में लूटी गयी सम्पति का विवरण देता है। महमूद ने इस सम्पत्ति का प्रयोग अपनी पश्चिमी विजयों में किया।

 

4. स्थापत्य कला

  • महमूद ने अपने अभियानों के दौरान अनेक मन्दिरों महलों तथा भव्य भवनों को तोड़ डाला था जिसके कारण उत्तरी भारत की राजपूत शैली में विकसित स्थापत्य कला को बड़ी हानि पहुंची और स्थापत्य कला की अनेक अमूल्य धरोहरें सदैव के लिए समाप्त हो गयीं।


5. पंजाब का गजनी साम्राज्य में विलय

  • भारत के प्रवेश द्वार पंजाब को महमूद ने अपने विशाल गजनी साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया। इससे पंजाब का भारत से कुछ समय के लिए सम्बन्ध विच्छेद हो गया।

 

6. आक्रमण के लिये नये मार्ग का खुलना

  • उत्तर- पश्चिम से भारत में आक्रमण के लिये महमूद गजनवी ने एक नया मार्ग खोल दिया और उत्तर-पश्चिम से आक्रांताओं को भारत के कुछ प्रदेशों में प्रवेश करने का अवसर प्राप्त हुआ। महमूद के आक्रमणों के उपरान्त भारत पर अन्य समस्त आक्रमण इसी मार्ग से हुये और आक्रमणकारियों को विशेष सफलता भी प्राप्त हुई। महमूद के आक्रमणों ने मुहम्मद गौरी के आक्रमणों के लिये मार्ग प्रशस्त करने का कार्य किया। कुछ विद्वानों की ऐसी धारणा है कि यदि महम्मद गौरी को महमूद गजनवी का निर्देशित मार्ग न मिला होता तो वह अपना कार्य इतनी आसानी से सम्पन्न नहीं कर सकता था।

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