औरंगज़ेब का राज्यारोहण Accession of Aurangzeb
औरंगज़ेब का राज्यारोहण Accession of Aurangzeb
अपने तीनों भाइयों को परास्त कर औरंगज़ेब ने शानदार जुलूस के साथ दिल्ली में प्रवेश किया और 15 मई, 1659 को वहां उसका राज्याभिषेक हुआ। अपदस्थ बादशाह शाहजहां आजीवन आगरा के लाल किले के मुसम्मन बुर्ज मे कैद रखा गया।
उत्तराधिकार के युद्ध में औरंगज़ेब की सफलता के कारण
- औरंगज़ेब ने प्रारम्भ में शुजा और मुराद को अपनी ओर मिलाकर दारा शिकोह के विरुद्ध एक सफल मोर्चा खोल लिया था।
- स्वयं को इस्लाम का संरक्षक घोषित कर उसने प्रभावशाली मुस्लिम अमीरों तथा उलेमा वर्ग का समर्थन प्राप्त कर लिया था।
- औरंगज़ेब ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह और जसवंत सिंह को भी अपनी ओर करने में सफलता प्राप्त की थी।
- औरंगज़ेब ने मौका पाकर अपने तीनों भाइयों को मरवा दिया और शाहजहां के विरुद्ध अपने विद्रोह तथा अपने राज्यारोहण को इस्लाम के संरक्षण हेतु अभियान के रूप प्रस्तुत करने में सफलता प्राप्त की। शाहजहां ने औरंगज़ेब की किसी भी चाल को नाकाम करने में सफलता प्राप्त नहीं की। बागी शहज़ादों के प्रति कठोर कार्यवाही करने में देर करना उसे बहुत भारी पड़ा। लम्बी बीमारी के बाद अशक्त शाहजहां के जीवन ही में हुए इस: उत्तराधिकार के युद्ध में सबसे योग्य प्रतिभागी होने के कारण औरंगज़ेब का सफल होना कोई आश्चर्य नहीं था।
- दारा शिकोह की उदारवादी विचारधारा, उसकी हीन सैन्य प्रतिभा और उसकी कूटनीतिक विफलता उसके पतन का मुख्य कारण बनीं। शुजा की विलासिता और मुराद की मानसिक अपरिपक्वता व अनियन्त्रित क्रोधी स्वभाव उनके लिए घातक सिद्ध हुए। कूटनीतिक एवं सैनिक प्रतिभा की दृष्टि से औरंगज़ेब अपने भाइयों में सबसे योग्य था अतः उसके द्वारा मुगलों के तख्त पर अधिकार कर लेना अपने पिता के साथ अन्याय करने व अपने भाइयों की निर्मम हत्या करने के कारण भले ही अनैतिक कहा जा सकता हो किन्तु उसे अस्वाभाविक एवं अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता।
Also Read...
Post a Comment