शासक के रूप में बाबर का मूल्यांकन Babur's assessment as ruler
शासक के रूप में बाबर का मूल्यांकन Babur's assessment as ruler
- 26 दिसम्बर, 1530 को बाबर की मृत्यु हो गई।
- भारत में अपने अल्प शासनकाल में बाबर ने एक नए राजत्व के सिद्धान्त का पोषण करने वाले एक साम्राज्य की स्थापना जिसका कि विस्तार अफ़गानिस्तान से लेकर बिहार तक था।
- उसने मध्यकालीन भारतीय सैन्य शक्ति के स्तर को अपने तोपखाने के बल पर एक नए शिखर तक पहुंचा दिया।
- राजपूतों के विरुद्ध युद्धों को बाबर ने जिहाद का नाम अवश्य दिया किन्तु उसने एक धर्मांध मुस्लिम शासक की भांति धार्मिक उत्पीड़न के लिए कोई अभियान नहीं किया।
- अपने नव-स्थापित साम्राज्य के प्रशासनिक ढांचे में उसने आमूल परिवर्तन न करके अपनी व्यावहारिक सद्बुद्धि का परिचय दिया।
- उसने अपने अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि वो अपने प्रशासनिक कार्यों के निर्वाहन में स्थानीय परम्पराओं को पर्याप्त सम्मान दें किन्तु उसके कामचलाऊ प्रशासन में प्रजा के हितों की नितान्त उपेक्षा की थी और उसके राज्य की आय मुख्यतः युद्धों के द्वारा लूटी गई राशि पर आधारित थी।
- वह अपने राज्य को आर्थिक तथा राजनीतिक स्थायित्व देने में असफल रहा।
- शेर शाह, मालदेव तथा हेमू विक्रमादित्य के परवर्ती काल में उत्थान से यह सिद्ध हो गया कि उसने अफ़गान तथा राजपूत शक्तियों के पूर्ण दमन में सफलता प्राप्त नहीं की थी।
- उसने हुमायूं के लिए चुनौतियों से भरा साम्राज्य छोड़ा था और ऊपर से उसने अपने पुत्रों में अपने साम्राज्य का विभाजन कर हुमायूं के लिए और भी अधिक कठिनाइयां खड़ी कर दी थीं।
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