गैर-सरकारी संगठन की विशेषताएं | Characteristics of NGO
गैर-सरकारी संगठन की विशेषताएं Characteristics of NGO
नॉर्मन जॉनसन के अनुसार गैर-सरकारी संगठन
गैर-सरकारी संगठन की परिभाषाओं की समीक्षा करते हुए नॉर्मन जॉनसन ने गैर-सरकारी संगठनों की चार प्रमुख विशेषताएं बतलाई हैं। नॉर्मन जॉनसन के शब्दों में वे निम्नलिखित हैं
1. संरचना विधि- जो व्यक्तियों के लिए स्वैच्छिक है
2. प्रशासन की विधि- इसके संविधान, इनकी सेवाओं इसकी नीति एवं इसके लाभार्थियों के बारे में स्वयं-प्रशासकीय संगठन निर्णय करते हैं ।
3. वित्त विधि- कम से कम इसका कुछ कोश स्वैच्छिक अभिकरणों से प्राप्त होता है ।
4. प्रेरक- जो लाभ प्राप्ति नहीं होते।
गैर-सरकारी संगठनों का विस्तृत अध्ययन एवं नॉर्मन जॉनसन द्वारा प्रस्तुत विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए गैर-सरकारी संगठन की सामान्य एवं सार्वभौमिक विशेषताएं निम्नवत हैं
स्वैच्छिक
- गैर-सरकारी संगठन का निर्माण स्वैच्छिक रूप से होता है। सम्पूर्ण विश्व में किसी भी देश के संविधान एवं कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है जिसके कारण गैर-सरकारी संगठन का निर्माण न किया जा सके और न ही इसके निर्माण में कोई अवरोध उत्पन्न न हो पाये। इस संगठन में सहभागिता भी स्वैच्छिक होती है, इसका आशय है कि इसमें प्रतिभाग करने वाले सदस्यों की इच्छा पर निर्भर होता है कि वे इसका सदस्य बनें या न बनें। चाहे संगठन के सदस्य हों या लाभान्वित व्यक्ति सभी स्वैच्छिक रूप से अपना सहयोग देते हैं।
वैधानिक प्रास्थिति (गैर-सरकारी संगठन का पंजीयन)
- गैर-सरकारी संगठन कार्यक्षेत्र एवं स्वरूप के अनुसार वैधानिक प्रास्थिति प्राप्ति हेतु सोसायटीज़ रजिस्ट्रेशन एक्ट- 1860, इण्डियन ट्रस्ट एक्ट- 1882 , पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950, इण्डियन कम्पनीज़ एक्ट-1956 (धारा-25), रिलीजियस एण्डोमेण्ट एक्ट-1863, चैरीटेबिल एण्ड रिलीजियस ट्रस्ट एक्ट-1959, सहकारी समिति कानून 1904, मुस्लिम वक्फ बोर्ड एक्ट-1923, वक्फ एक्ट-1954, पब्लिक वक्फ (एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन एक्ट) एक्ट 1959 आदि के अन्तर्गत पंजीकृत होना जरूरी होता है। विदेशों से फंडिंग प्राप्त करने के लिए गैर-सरकारी संगठन को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के साथ फॉरन कन्ट्रीब्यूशन रेगुलेशन सोसायटी एक्ट (FCRA)के अन्तर्गत पंजीकृत होते हैं।
स्वतंत्र
- गैर-सरकारी संगठन का संचालन बिना किसी बाह्य नियंत्रण के अपने सदस्यों द्वारा प्रजातांत्रिक नियमों के अनुसार होता है।
लाभ के लिए नहीं
- गैर-सरकारी संगठन निजी लाभ के लिए कार्य नहीं करते हैं, फिर भी गैर सरकारी संगठन में किसी भी अन्य उद्यम की तरह कर्मचारी हो सकते हैं, जिन्हें कार्य के बदले वेतन दिया जाता है, लेकिन गैर-सरकारी संगठन के प्रावधान दल के सदस्यों को संस्था के काम के बदले वेतन नहीं दिया जाता, केवल मानदेय दिया जाता है, जो धनराशि संस्था की जिम्मेदारी पूरी करते हुए उनके द्वारा खर्च की गई होती है।
- गैर-सरकारी संगठन राजस्व बढ़ाने वाले कार्यों को भी संचालित कर सकते हैं, शर्त यह होती है कि प्राप्त लाभ के रूप में राजस्व को आपस में न बाँटकर उसे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयोग करते हैं।
सुनिश्चित प्रशासकीय ढाँचा
- गैर-सरकारी संगठन एक औपचारिक संगठन होता है । इसका एक प्रशासकीय ढाँचा होता है। विधिवत् संचारित प्रबन्ध एवं कार्यसमितियों होती है, संगठन के अन्दर प्रत्येक सदस्य की सुनिश्चित प्रास्थिति होती है और वे अपनी प्रास्थिति के भूमिका निर्वहन करते हैं।
सुनिश्चित प्रजातांत्रिक नियम
- किसी भी गैर-सरकारी संगठन का निर्माण जिस उद्देश्य के लिए किया जाता है, उसे प्राप्त करने के लिए संगठन के अपने निश्चित एवं स्पष्ट नियम होते हैं। वह बिना किसी बाह्य नियंत्रण के अपने सदस्यों द्वारा उन्हीं नियमों के अनुसार प्रशासित होता
विचारपूर्वक स्थापना
- गैर-सरकारी संगठन का निर्माण निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से विचार पूर्वक किया जाता है। इसका आशय यह है कि गैर-सरकारी संगठन स्वतः नहीं बनते हैं, बल्कि कुछ लोग एक दूसरे से विचार- विमर्श कर के योजनाबद्ध रूप से इसका निर्माण करते हैं।
स्वार्थ से परे
- प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से इनका लक्ष्य गरीब अथवा वंचित समुदाय के लोग हैं जो अपने गुणों को पहचानने में अक्षम हैं, या उनको समाज में पूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं है, के दिशा व दशा को सुधारना है।
लचीलापन
- गैर-सरकारी संगठन परिस्थितियों के हिसाब से लचीले होते हैं। ये लालफीतासाही नौकरशाही जैसे बाधाओं से मुक्त होते हैं। सम्परीक्षा में आपत्ति से डरकर ये काम को रोकते नहीं हैं।
त्वरित निर्णय लेने की क्षमता
- गैर-सरकारी संगठन समुदाय की आवश्यकता की प्रतिक्रिया पर निर्णय जल्दी ले लेते हैं, जिससे जरूरतमन्दों को सहायता जल्दी प्राप्त हो जाती है । गैर- सरकारी संगठन सामुदायिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु जटिल प्रक्रियाओं को नज़रअंदाज करते हैं।
उच्च अभिप्रेरणा
- गैर-सरकारी संगठन के सदस्य एवं कार्यकर्ता उच्च अभिप्रेरक तथा प्रेरणादायी प्रतिभा के धनी होते हैं। वे अपने कार्य से लोगों के लिए प्रेरक का कार्य करते हैं । इनका कार्य घण्टों में बंधा नहीं होता है। वे बिना थके अपने लक्ष्य एवं उद्देश्य को पूरा करने में लगे रहते हैं।
कार्य में स्वतंत्रता
- गैर-सरकारी संगठन के कार्यकर्ता समुदायनिर्माण और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में कार्य करने की आजादी का भरपूर आनन्द लेते हैं। यह आजादी उन्हें कम पारिश्रमिक पर लक्ष्य को पूरा करने में प्रेरक का कार्य करती है। छोटी-मोटी त्रुटियों के लिए उनके उच्च अधिकारी टीका-टिप्पणी नहीं करते हैं।
नैतिकता
- गैर-सरकारी संगठन के सामाजिक मूल्य एवं मानवतावादी सिद्धान्त, मूल्यों पर आधारित समाज के निर्माण को बढ़ावा देते हैं।
उत्प्रेरक
- गैर-सरकारी संगठन सकारात्मक सामुदायिक क्रियाओं के लिए उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। साथ ही ये सामुदायिक मूल्यों के अनुसार होने वाली सकारात्मक सामाजिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देते हैं। सहयोग की प्रधानता- यह सामाजिक विकास प्रेरित संगठन होता है, जो समाज को समर्थ एवं शसक्त बनाने में सहयोग प्रदान करता है।
अनुदानित संगठन
- गैर-सरकारी संगठन अपने कार्यों के सम्पादन के लिए सरकारी कोश से अनुदानों के रूप में तथा आंशिक तौर पर स्थानीय समुदाय अथवा कार्यक्रमों से लाभान्वित व्यक्तियों से अंशदान अथवा शुल्क के रूप में अपनी निधियों को एकत्रित करता है। अधिकतर गैर-सरकारी संगठन अपने वित्त के लिए सरकारों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं।
जनकेन्द्रित
- गैर-सरकारी संगठन की जनता हृदय होती है। इनकी योजना की सोच जनता से प्रारम्भ हो कर जनता पर जाकर ही समाप्त होती है। अतः ये जनता से बहुत कुछ सीखते भी हैं और उन्हें उस सीख का लाभ अन्यत्र समूह में कार्यों के क्रियान्वयन में मिलता है।
निश्चित उद्देश्य
- कोई भी ऐसा गैर-सरकारी संगठन नहीं मिलेगा जिसकी स्थापना किसी उद्देश्य अथवा उद्देश्यों को लेकर न की गई हो वास्तव में गैर-सरकारी संगठन के उद्देश्य का निर्धारण पहले ही कर लिया जाता है तो उसके बाद उसको अपना लक्ष्य मानने वाले लोग इससे जुड़ जाते हैं।
निजी व्यक्तियों द्वारा बनाया गया संगठन
- गैर-सरकारी संगठन के सदस्य वे ही व्यक्ति बनते हैं जो कुछ मूलभूत उन सामाजिक सिद्धान्तों पर विश्वास करते हैं, जिन सिद्धान्तों के आधार पर संगठन का निर्माण होता है।
गैर-राजनैतिक संगठन
- गैर-सरकारी संगठन एक ऐसा संगठन होता है जो किसी भी राजनैतिक समूह से जुड़ा नहीं होता है। आमतौर पर वे जनसमुदाय को मदद देने, उनके विकास एवं कल्याण के कार्यों से जुड़े रहते
ये विशेषताएँ इस बात की अभिव्यकित है कि गैर-सरकारी संगठनों को इन विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करना चाहिए। इन संगठनों को योग्य बनाकर बढ़ावा देना चाहिए, प्रोत्साहित करना चाहिए। और कानून को इन्हें स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करने देना चाहिए।
कानूनी हस्तक्षेप केवल यह निश्चित करने के लिए होना चाहिए कि गैर-सरकारी संगठन व्यक्तिगत लाभ के लिए कार्य न कर पायें।
लोकतांत्रिक प्रणाली में अनेक प्रकार के संगठन, क्लब और संस्थायें पायी जाती हैं, जिनके कई प्रकार के सामाजिक उद्देश्य होते हैं। कई प्रकार के संगठन नॉर्मन जॉनसन' द्वारा प्रस्तुत विशेषताओं को पूरा करने में सक्षम होते हैं और अन्य विशेषताओं को भी पूरा करने वाले संगठन विशेष प्रकार के संगठन की ओर इशारा करते हैं। जो अपने सदस्यों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के पूरा करने के बजाय गरीब व वंचित लोगों के लिए कार्य कर रहे हैं और साथ ही ऐसे विश यों और मुद्दों को लेकर चिन्तित हैं, जिससे समाज, लोगों की परिस्थितियाँ, उनके काम करने की क्षमता और भविष्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
इसका अर्थ यह नहीं है कि बड़ी संख्या में विभिन्न प्रकार के संगठन जो सरकार के दायरे से बाहर समाज में कार्य कर रहे हैं और जिनके पास अन्य विशेषताएँ नहीं हैं, उनके नहीं हैं। वे भी गैर-सरकारी संगठन की श्रेणी में रखे जायेंगे।
Post a Comment