शाहजहां के काल में स्थापत्य कला का चरमोत्कर्ष |मुगल स्थापत्य कला का पतनThe climax of architecture during the reign of Shah Jahan
शाहजहां के काल में स्थापत्य कला का चरमोत्कर्षThe climax of architecture during the reign of Shah Jahan
- शाहजहां के शासनकाल में मुगल स्थापत्य कला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई थी।
- शाहजहां की महानगरीय स्थापत्य कला की तुलना रोमन सम्राट ऑगस्टस के शासनकाल की स्थापत्य कला से की जाती है।
- इन दोनों ही शासकों ने सफ़ेद संगमरमर को अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया था।
- शाहजहां के काल की इमारतों पर ईरानी स्थापत्य कला का व्यापक प्रभाव पड़ा था किन्तु उसने अपनी इमारतों में सभी प्रतिष्ठित स्थापत्य कलाओं के श्रेष्ठ तत्वों का समावेश करने में कभी संकोच नहीं किया।
दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास
- आगरा के लाल किले में लाल पत्थर पर चूने के प्लास्टर जड़े दीवान-ए-आम तथा संगमरमर बने दीवान-ए-खास, खासमहल, झरोखा-ए-दर्शन, मुसम्मन बुर्ज, नगीना मस्जिद के अतिरिक्त संगमरमर के मण्डप वाला मच्छी भवन शाहजहां की बनवाई हुई इमारतें हैं। परन्तु अपने सादगी भरे सौन्दर्य से अभिभूत करने वाली संगमरमर से बनी मोती मस्जिद आगरा के लाल किले की सुन्दर इमारत है।
दिल्ली का लाल किला
- दिल्ली के लाल किले का निर्माण सन् 1648 में पूरा हुआ था। कृत्रिम रूप से बरसात का आनन्द देने वाली छतरियों सावन-भादों, नहर-ए-बहिश्त से सज्जित उद्यान से घिरे, सफ़ेद संगमरमर से बने, सोने-चाँदी व रत्नों और कीमती पत्थरों से जड़ित तथा चित्रों से शोभित, दीवान-ए-खास का दरबार पृथ्वी पर जन्नत का नज़ारा माना जाता था। इस किले में रंग महल तथा ख्वाबगाह भी संगमरमर से बनाए गए हैं ।
दिल्ली की भव्य जामा मस्जिद
- ऊँचे टीले पर स्थित, लाल पत्थर से बनी तथा लाल पत्थर पर संगमरमर की सुन्दर पच्चीकारी से शोभित दिल्ली की भव्य जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है। इस तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों की कतार इसकी शोभा को द्विगुणित कर देती हैं।
ताजमहल के बारे में जानकारी
- आगरा में यमुना नदी के किनारे पर बेगम मुमताज़ महल की स्मृति में मकराना के सफ़ेद सगमरमर से बनवाया गया नारी-सुलभ सौन्दर्य से परिपूर्ण, पवित्र प्रेम का प्रतीक ताजमहल मुगल स्थापत्य कला के चरमोत्कर्ष को दर्शाता है।
- इसकी रूपरेखा तैयार करने का श्रेय अहमद लाहौरी को दिया जाता है। उस्ताद ईसा खाँ के निर्देशन में इसका निर्माण किया गया था।
- ताजमहल की निर्माण शैली पर शेरशाह के मकबरे तथा हुमायूं के मकबरे तथा खानखाना के मकबरे का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है।
- उद्यान योजना, मुख्य भवन के सामने फव्वारों युक्त नहर से शोभित, 187 फ़ुट लम्बे, 187 फ़ुट चौड़े तथा 22 फ़ुट ऊँचे चबूतरे पर स्थित ताजमहल का कलशाकार गुम्बद चबूतरे से 187 फ़ुट ऊँचा है तथा उस पर 29 फ़ुट ऊँचा धातु का त्रिशूल है।
- इस प्रकार इसकी ऊँचाई कुतुबमीनार के बराबर अर्थात् 238 फ़ुट है। इसकी चारो मीनारे 137 फ़ुट ऊँची हैं।
- ताजमहल में इतालवी अलंकरण शैली पीत्रा दुरा का भरपूर उपयोग किया गया है। अलंकरण के लिए जाली के काम और चित्रकला का भी उपयोग किया गया है।
- ताजमहल का मुख्य भवन अष्टकोणिक है। भवन के अन्दर कुरान आयतों के सुलेख से इसको सुन्दर बनाने के साथ इसे पवित्रता का वातावरण दिया गया है।
- ताजमहल में मौलिकता के नाम पर किसी भी प्रकार का प्रयोग नहीं किया गया है, इसमें तो सभी विद्यमान स्थापत्य कला शैलियों के सर्वश्रेष्ठ तत्वों का कल्पनाशील समन्वय किया गया है और एक दोषरहित पूर्ण सौन्दर्ययुक्त कलाकृति बनाने का सफल प्रयास किया गया है।
मुगल स्थापत्य कला का पतन
- शाहजहां के शासनकाल में स्थापत्य कला का चरमोत्कर्ष साम्राज्य की अर्थव्यवस्था को खोखला करके ही प्राप्त किया जा सका था।
- औरंगज़ेब तथा उसके परवर्ती मुगल बादशाहों के पास स्थापत्य कला के विकास के लिए न तो शाहजहां के समान संसाधन थे और न ही उनकी इसमें इतनी रुचि थी।
- औरंगज़ेब के शासनकाल में दिल्ली के लाल किले में शाही परिवार के उपयोग के लिए संगमरमर की छोटे आकार की साधारण सी मोती मस्जिद बनवाई गई।
- औरंगज़ेब के काल की सबसे प्रसिद्ध इमारत बीबी का मकबरा है जो ताजमहल की भद्दी नकल कही जाती है।
- परवर्ती मुगल काल की सबसे प्रसिद्ध इमारत दिल्ली में सफ़दरजंग का मकबरा है।
- मुगल शासकों की दुर्बलता, राजनीतिक पतन, आर्थिक संकट, सांस्कृतिक अवनति, कलाकारों का मुगल साम्राज्य छोड़कर अन्य राज्यों में चले जाना आदि कारण थे जिनसे स्थापत्य कला का पतन हुआ।
- किन्तु मुगल स्थापत्य कला ने राजपूत, मराठा, सिक्ख तथा अन्य भारतीय शासकों की स्थापत्य कला को प्रभावित करने के साथ ही ब्रिटिश भारतीय शासकों की स्थापत्य कला को भी प्रभावित किया।
- मुगल स्थापत्य कला मध्यकालीन भारतीय इतिहास में सांस्कृतिक समन्वय तथा कलात्मक विकास का सर्वश्रेष्ठ जीवन्त उदाहरण है।
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