मुगल काल को स्वर्ण युग कहना कितना सार्थक है |How meaningful it is to call the Mughal era a Golden Age

मुगल काल को स्वर्ण युग कहना कितना सार्थक है 

मुगल काल का स्वर्ण युग कहलाए जाने का औचित्य

मुगल काल को स्वर्ण युग कहना कितना सार्थक है |How meaningful it is to call the Mughal era a Golden Age


 

मुगल काल को स्वर्ण युग कहलाए जाने के पक्ष में तर्क

 

  • शाहजहां ने अपने दरबार को अनुपम वैभव प्रदान किया। दिल्ली के लाल किले के दीवान-ए खास में रत्नजटित तख्त-ए-ताऊस पर आसीन शाहजहां की शान-ओ-शौकत देखकर विदेशों से आने वाले राजदूत और यात्री आदि सभी अभिभूत हो जाते थे। ट्रेवर्नियरबर्नियर तथा मनूची जैसे विदेशी यात्रियों ने अपने वृतान्तों में इस वैभव का उल्लेख किया है। नहर-ए-बहिश्त से सज्जित उद्यान से घिरेसफ़ेद संगमरमर से बनेसोने-चाँदी व रत्नों और कीमती पत्थरों से जड़ित तथा चित्रों से शोभितदीवान-ए-खास का दरबार पृथ्वी पर जन्नत का नज़ारा माना जाता था। 


दीवान ए खास में अमीर खुसरो का काश्मीर के लिए कहा गया यह फ़ारसी शेर अंकित था -

 

अगर फ़िरदौस बर रूए ज़मींनस्ता 

हमीनस्तोहमींनस्तोहमींनस्त ॥

 

(पृथ्वी पर यदि कहीं स्वर्ग हैतो यहीं हैयहीं हैयहीं है।)

 

  • बादशाह के अतिरिक्त शाही परिवार के अन्य सदस्यों तथा अमीरों का जीवन भी ऐश्वर्य से भरपूर था। शहज़ादा दाराशिकोह के विवाहोत्सव पर आतिशबाज़ी पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। जहांनारा के जन्मदिन पर भी जश्न और खैरात में करोड़ों का व्यय किया गया था।

 

  • दिल्ली का लाल किलादिल्ली और आगरा की जामा मस्जिदआगरा के लाल किले का दीवान-ए-खास और आगरा में स्थित मुमताज महल का मक़बरा ताजमहलस्थापत्य कला के चरमोत्कर्ष के जीवन्त प्रमाण हैं। ताजमहल में कलाकारों ने स्थापत्य कला के सभी श्रेष्ठ तत्वों का समावेश किया है।
  • शाहजहां के शासनकाल के अन्तिम वर्षों को छोड़कर साम्राज्य में शान्ति एवं व्यवस्था स्थापित रही और कोई भी बड़ा विद्रोह नहीं हुआ। उद्योग एवं व्यापार की उन्नति के लिए भी परिस्थितियां अनुकूल रहीं। सत्रहवीं शताब्दी के चौथे दशक में अकाल की स्थिति में राज्य की ओर से व्यापक स्तर पर राहत का कार्यक्रम चलाया गया था।

 

  • शाहजहां के काल में दक्षिण भारत में अहमदनगर को जीत कर मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया था और गोलकुण्डा व बीजापुर को मुगलों की आधीनता स्वीकार करने के लिए बाध्य होना पड़ा था।

 
मुगल काल को स्वर्ण युग कहलाए जाने के विरोध में तर्क

 

  • 1. प्रजा के अनवरत शोषण के बल पर ही शाहजहां ने ऐश्वर्य तथा वैभव के नए मापदण्ड स्थापित किए थे। अकेले ताजमहल के निर्माण पर उस समय 3.2 करोड़ रुपये का खर्च आया था। राज्य के बढ़े हुए खर्ची की भरपाई के लिए उसने न केवल भूमि कर कुल उत्पाद के तीसरे भाग से बढ़ाकर कुल उत्पाद का आधा कर दिया था अपितु अनेक अबवाब भी लगाए थे।

 

  • 2. शाहजहां ने यद्यपि जज़िया का स्थगन कायम रखा था किन्तु उसकी धार्मिक नीति गैर-मुस्लिमों व मुसलमानों में शियाओं के प्रति असहिष्णुतापूर्ण थी। उसने नए मन्दिरों के निर्माण व पुराने मन्दिरों की मरम्मत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। ईसाई धर्म प्रचारकों के साथ उसका व्यवहार निर्ममतापूर्ण था।

 

  • 3. दक्षिण भारत में शिवाजी के नेतृत्व में नवोदित मराठा शक्ति के दमन में शाहजहां असफल रहा। उसकी इस गल्ती की सज़ा औरंगज़ेब तथा उसके परवर्ती बादशाहों को भुगतनी पड़ी। मध्य एशिया पर अधिकार करने की उसकी असफल योजना ने राज्य पर भारी आर्थिक बोझ तो डाला हीसाथ ही साथ अजेय कहलाने वाली मुगल सेना इन अभियानों में बार-बार पराजित होकर अपनी प्रतिष्ठा भी खो बैठी। इस काल में मुगलों के हाथ से कान्धार निकल गया था।

 

  • 4. शाहजहां के काल में जागीरदारी प्रथा के विस्तार से मनसबदारी व्यवस्था चरमरा गई थी और राजपूतों की साम्राज्य के प्रति निष्ठा में कमी आ गई थी। रिश्वतखोरी एक आम बात हो गई थी। दलगत और गुटबन्दी की राजनीति ने निष्ठा और स्वामिभक्ति जैसे शब्दों को बेमानी कर दिया था। साम्राज्य को एकसूत्र में बांधने वाली कड़ियां कमज़ोर हो गई थी।

 

  • 5. साहित्य सृजन तथा इतिहास लेखन की दृष्टि पूर्व की तुलना में अवनति दृष्टिगोचर हो रही थी। अब रामचरितमानस और अकबरनामा जैसे महान ग्रंथों की रचना का युग समाप्त हो गया था। चित्रकला के क्षेत्र में भी प्राकृतिक रंगों में अभिव्यक्त जहांगीर के युग की मौलिक कल्पनाशीलता का स्थान तैलीय चित्रकला ने ले लिया था जिसमें ऊपरी तड़क-भड़क पर अधिक ध्यान दिया जाता था।

 

  • 6. बादशाह शाहजहां के जीवित रहते हुए भी उत्तराधिकार के युद्ध की घटना और इससे भी अधिक इसमें बादशाह का अपदस्थ होने के बाद कैद किया जानाऔर उसके द्वारा घोषित उत्तराधिकारी दारा शिकोह की पराजय के बाद गिरफ़्तारीफिर उसको प्राणदण्ड दिया जाना उसके शासनकाल को स्वर्ण युग न कहे जाने के लिए पर्याप्त कारण हैं।


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