लोकतंत्र का महत्व Importance of Democracy
लोकतंत्र का महत्व Importance of Democracy
आधुनिक शासन प्रणालियों में लोकतंत्र का विशेष महत्व है। लोकतंत्र के महत्व को दर्शाने के लिए निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत किए जाते हैं -
सत्ता के दुरूपयोग पर नियंत्रण
- जहां सरकार होती है, वहां हमेशा सत्ता के दुरूपयोग का भय बना रहता है । इससे बचाव का एकमात्र तरीका यह है कि सत्ताधारी के हाथों में निस्सीम एवं निरंकुश सत्ता न सौंपी जाए, उस पर जनसाधारण का अंकुश और सार्थक नियंत्रण रहे । लोकतंत्र की स्थापना इसी ध्येय को ध्यान में रखकर की जाती है।
शासन कार्य में जनसाधारण का सहयोग
- लोकतंत्र में जनता की भागीदारी स्वीकार की जाती है क्योंकि इसमें प्रतिनिधि जनता की इच्छाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकता। लोकतंत्र में प्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी हैं, इसीलिए उन्हें जनजीवन के निकट आना होगा और जनमानस की भावनाओं को ध्यान में रखकर ही निर्णय करने होंगे। इस प्रकार शासन में जनसाधारण की सहभागिता सुनिश्चित होती है।
सार्वजनिक हित में कार्य
लोकतंत्र में शासन का संचालन जनता के प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है । प्रतिनिधि सार्वजनिक हित में कार्य करने के वादे के आधार पर चुनाव जीतते हैं | दूसरे यह कि उन्हें पुनः चुनाव में प्रत्याशी बनना होता है, परिणामस्वरूप उन्हें सार्वजनिक हित के कार्यों को करने के लिए बाध्य होना पड़ता है.
परस्पर सद्भावना और सम्मान का विस्तार
- लोकतंत्र में किसी व्यक्ति विशेष का पक्षपोषण नहीं किया जाता है। यह सभी के साथ समान व्यवहार करता है। इसमें व्यक्ति दूसरों के विचारों और भावनाओं का सम्मान करना सीखता है जिससे उसका नैतिक स्तर ऊंचा होता है अर्थात् व्यक्ति का चरित्र निर्माण होता है। चरित्र निर्माण से एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के प्रति सद्भावना और सम्मान बढता है, जिससे राष्ट्रीय चरित्र का विकास होता है।
देशभक्ति की भावना को बढावा
- यह देशभक्ति की भावना को बढावा देता है । व्यक्ति के मन में जब यह विश्वास पैदा होता है कि देश में उसका अपना शासन है, तो देश के प्रति उसका प्रेम बढ जाता है। देश प्रेम से देश सुदृढ और सक्षम बनता है।
आर्थिक सुरक्षा को बढावा
- लोकतंत्र में आर्थिक साधनों का प्रयोग गिने-चुने लोगों के लिए नहीं बल्कि सबके लिए किया जाता है ताकि जनसाधारण आर्थिक सुरक्षा महसूस करें। इसमें राजनीतिक अधिकारों की तरह आर्थिक अधिकारों की पहुंच भी जनसाधारण तक होता है। इससे व्यक्ति में आत्मनिर्भरता की सोच पैदा होती है।
जन शिक्षा को बढावा
- लोकतंत्र में किसी भी विषय पर स्वतंत्र चर्चा होती है। स्वतंत्र चर्चा के फलस्वरूप लोगों को रा की समस्याओं के बारे में अपनी राय बनाने का मौका मिलता है, लोगों के सोचने-समझने का ढंग सुधरता है, उनके दय में ज्ञान का संचार होता है ।
कार्य कुशल शासन को बढावा
- लोकतंत्र में जनमत जागृत होने पर सरकार उसकी मांग को ज्यादा दिन अनसुना नहीं कर सकती। अतः अन्य शासन प्रणालियों में जनकल्याण के जिन कार्यों को स्थगित करने की प्रवृत्ति रहती है, लोकतंत्र में उन पर तुरंत ध्यान दिया जाता है जिससे उसमें कार्य कुशलता आ जाती है अर्थात् कार्य कुशल शासन को बढावा मिलता है ।
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