लोकतंत्र की समस्याएं Problems of Democracy
लोकतंत्र की समस्याएं Problems of Democracy
लोकतंत्र के समर्थक इस शासन प्रणाली से जो आशाएं जगाते रहे हैं, वे कुछ लोकतंत्र व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण पूरी नहीं हो पाती। यही कारण है कि लोकतंत्र की आलोचना की जाती है और उसके अनेक कमियों की ओर ध्यान खींचा जाता है।
लोकतंत्र के प्रमुख दोष Major Drawbacks of democracy
भीड़तंत्र को बढावा
- जन साधारण प्राय: अनपढ, गैर जिम्मेदार होते हैं। लोकतंत्र में उनके मत को अहमियत देने से भीड़तंत्र को बढावा मिलता है। इस प्रकार लोकतंत्र में गुणवत्ता की जगह परिमाण को महत्व दिया जाता है। इससे विवेक और प्रतिभा की उपेक्षा होती है।
भ्रष्टाचार को बढावा
- जनसाधारण का राजनीतिक विवेक चूंकि बहुत निम्न स्तर का होता है, इसलिए लोकतंत्र में लोकप्रिय नेता को खुलकर खेलने का अवसर मिलता है । भ्रष्ट नेता जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करके वोट बटोर लेते हैं और नारे बाजी की आड़ में अपने स्वार्थों को बढावा देते हैं।
स्वतंत्रता और समानता का अभाव
- लोकतंत्र में स्वतंत्रता और समानता की बात की जाती है। लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं होता। लोकतंत्र में चुनावों में खड़े होने वाले प्रतिनिधि प्राय: धनी वर्ग से होते हैं और अपने धन की शक्ति और प्रभाव से चुनाव जीत भी जाते हैं । प्रतिनिधि बन जाने के बाद वे ऐसे कानूनों और नीतियों का समर्थन करते हैं जिसमें धनी वर्ग का हित जुड़ा होता है। यही कारण है कि लोकतंत्र में आर्थिक स्वतंत्रता और समानता के अभाव में व्यक्ति की राजनीतिक स्वतंत्रता और समानता अर्थहीन हो जाती है ।
धन और समय की बर्बादी
- लोकतंत्र में समय और धन की बर्बादी होती है लोकतंत्र में नीतियों के निर्धारण और कानून निर्माण में धन और समय की अत्यधिक बर्बादी होती है। सभी कार्य लम्बी-चौड़ी बहस के बाद तय होते हैं और उसमें खर्च भी बहुत आता है । यही नहीं चुनाव आदि में करोड़ों का खर्च होता है। यदि वही पैसा अन्य रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए तो राष्ट्र की प्रगति में अपूर्व योगदान दिया जा सकता है।
अकुशलता को बढावा
- लोकतंत्र में सरकार को जनमत का रूख देखकर काम करना पड़ता है। जनमत का लिहाज करते हुए बहुत बार शासन के विशेषज्ञों को अपनी सूझ-बूझ को ताक पर रख देना पड़ता है। इससे शासन में अकुशलता को बढावा मिलता है।
बहुमत की तानाशाही
- लोकतंत्र को बहुमत का शासन माना जाता है क्योंकि इसमें बहुमत का अल्पतम पर शासन का अधिकार होता है। इसमें 51 व्यक्ति 49 व्यक्तियों पर शासन करते हैं। कोई नीतिगत या कानूनी निर्णय भी इसी तरह से लिया जाता है। बहुमत प्राप्त दल अल्पमत वाले दलों की उचित बातों को भी दरकिनार कर देता है और सत्ता का मनमाने ढंग से प्रयोग करता है।
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