रज़िया सुल्ताना के बारे में जानकारी | रज़िया का राज्यारोहण | Razia Sultan GK
रज़िया सुल्ताना के बारे में जानकारी |रज़िया का राज्यारोहण
दिल्ली सल्तनत वन लाइनर आउटलाइन
रज़िया का राज्यारोहण Enthronement of Razia
- अपने पुत्र नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद अपने शेष पुत्रों में से किसी को भी इल्तुतमिश ने अपना उत्तराधिकारी बनाना उचित नहीं समझा।
- सामाजिक व राजनीतिक परम्पराओं को तोड़ते हुए उसने रज़िया को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया परन्तु उसकी मृत्यु के बाद उसके प्रभावशाली अमीरों ने उसके पुत्र रुकनुद्दीन फ़िरोज़ शाह को सुल्तान बनाया।
- फ़िरोज शाह की माँ शाह तुर्कन ने रज़िया को बन्दी गृह में डलवा दिया परन्तु शीघ्र ही नए सुल्तान तथा उसकी माँ के अनाचार से प्रजा तथा अमीर उनके विरुद्ध हो गए।
- रज़िया ने दिल्ली की जनता के समर्थन से का पद प्राप्त किया परन्तु उसे प्रान्तीय सूबेदारों का समर्थन प्राप्त नहीं हो सका।
रज़िया द्वारा विरोधियों का दमन Oppression of opponents by Razia
- सुल्तान का चयन करना, तुर्क अमीर अपना विशेषाधिकार मानते थे। मात्र जनसमर्थन के बल पर रज़िया का सुल्तान बनाया जाना उन्हें स्वीकार्य नहीं था। प्रान्तीय सूबेदारों के साथ-साथ वज़ीर निज़ामुलमुल्क जुनैदी भी उसके राज्यारोहण के विरुद्ध था।
- रज़िया ने अमीरों में फूट डालकर मलिक सालारी तथा मलिक सालारी को अपने पक्ष में कर लिया तथा अपने विरोधियों निज़ामुलमुल्क जुनैदी, मलिक कूची और मलिक जानी आदि का सुगमता से दमन कर दिया। अब केन्द्रीय शासन में व प्रान्तों में रज़िया के समर्थकों की ही नियुक्ति की गई।
- उच्च पदों पर तुर्क अमीरों के एकाधिकार को तोड़ते हुए एक अबीसीनियन, मलिक याकूत को अमीर- ए- अखुर नियुक्त किया गया। रणथम्भौर पर राजपूतों द्वारा पुनराधिकार के प्रयास को रज़िया ने विफल कर दिया तथा ग्वालियर के किलेदार के विद्रोह को भी उसने सुगमता से कुचल दिया।
- रज़िया ने अपने शासनकाल में अपने साहस, चातुर्य व योग्यता का परिचय देते हुए विद्रोहियों की हर साज़िश को नाकाम कर दिया।
रज़िया का पतन Fall of razia
- रज़िया ने एक स्वतन्त्र और शक्तिशाली सुल्तान के रूप में प्रतिष्ठित किया और तुर्काने चहलगानी के प्रभाव को सीमित रखा।
- उसको तुर्काने चहलगानी का समर्थन कभी भी प्राप्त नहीं हुआ, वह केवल उनमें फूट डालकर अपना सिंहासन बचाए रखने में सफल रही परन्तु अबीसीनियन मलिक याकूत से उसकी निकटता व उसको अत्यधिक महत्व दिए जाने से तुर्क अमीर उसके विरुद्ध संगठित हो गए।
- रज़िया ने लाहौर के सूबेदार कबीर खाँ के विद्रोह का दमन करने में सफलता प्राप्त की किन्तु अमीर-ए-हाजिब मलिक एतगीन, भटिण्डा के सूबेदार अल्तूनिया आदि का वह दमन नहीं कर सकी।
- मलिक याकूत मारा गया, रज़िया को बन्दी बना लिया गया और रज़िया के भाई बहराम शाह को सुल्तान बनाया गया।
- रज़िया ने असन्तुष्ट अल्तूनिया को अपने पक्ष में कर उसके साथ विवाह कर लिया और फिर से सत्ता प्राप्त करने का अभियान प्रारम्भ किया किन्तु असफलता ही उसके हाथ लगी।
- पराजित होने के बाद भागते हुए रज़िया तथा अल्तूनिया कैथल में डाकुओं द्वारा मारे गए।
- रज़िया के पतन का कारण मुख्यतः मलिक याकूत के प्रति उसका प्रेम माना जाता है परन्तु वास्तव में पुरुष प्रधान समाज में एक स्त्री का इतना शक्तिशाली होना तथा उसके द्वारा तुर्काने चहलगानी के प्रभाव को क्षीण करने के लिए सतत प्रयत्नशील होना उसके लिए घातक सिद्ध हुआ। इतिहासकार मिनहाज-उद-दीन सिराज़ ने एक सुल्तान के रूप में उसकी योग्यता की प्रशंसा करते हुए उसके पतन का मुख्य कारण उसका स्त्री होना माना है।
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