आर्य जाति एवं आर्य शब्द - सामान्य परिचय | Aarya Jati Evam Aary shabd Ka Arth
आर्य जाति एवं आर्य शब्द - सामान्य परिचय
प्रस्तावना
- प्राचीनतम आर्य भाषाभाषी पूर्वी अफगानिस्तान, उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रदेश, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती स्थानों तक फैले हुए थे।
- अफगानिस्तान की कुछ नदियां जैसे कुभा नदी और सिंधु नदी तथा उसकी पांच शाखाएं ऋग्वेद में उल्लिखित हैं।
- सिंधु नदी, जिसकी पहचान अंग्रेजी के 'इंडस' से की जाती हैं, आर्यों की विशिष्ट नदी हैं, और इसका बारंबार उल्लेख होता है ।
- दूसरी नदी 'सरस्वती' ऋग्वेद में सबसे अच्छी नदी (नवीतम) कही गई है। इसकी पहचान हरियाणा और राजस्थान में स्थित घग्गर-हकरा की धार से की जाती है।
- लेकिन इसके ऋग्वैदिक वर्णन से पता चलता है कि यह अवेस्ता में अंकित हरख्वती नदी है जो आजकल दक्षिण अफगानिस्तान की हेलमंद नदी है। यहां से सरस्वती नाम भारत में स्थानांतरित किया गया।
- भारतीय उपमहाद्वीप के अंतर्गत जहाँ आर्य भाषाभाषी पहले पहल बसे वह संपूर्ण क्षेत्र सात नदियों का देश कहलाता है।
- ऋग्वेद से हम भारतीय आर्यों के बारे में जानते है। ऋग्वेद में आर्य शब्द का 363 बार उल्लेख है, और इससे सामान्यतः हिंद-आर्य भाषा बोलने वाले सांस्कृतिक समाज का संकेत मिलता है।
- ऋग्वेद, हिंद-आर्य भाषाओं का प्राचीनतम ग्रंथ है। यह वैदिक संस्कृत में लिखा गया है लेकिन इसमें अनेक मुंडा और द्रविड़ शब्द भी मिलते हैं। शायद ये शब्द हड़प्पा लोगों की भाषाओं से ऋग्वेद में चले आए।
- ऋग्वेद में अग्नि, इंद्र, मित्र, वरूण आदि देवताओं की स्तुतियाँ संगृहित हैं जिनकी रचना विभिन्न गोत्रों के ऋषियों और मंत्र सृष्टाओं ने की है। इसमें दस मंडल या भाग हैं, जिनमें मंडल 2 से 7 तक प्राचीनतम अंश हैं।
- प्रथम और दशम मंडल सबसे बाद में जोड़े गए मालूम होते हैं।
- ऋग्वेद की अनेक बातें अवेस्ता से मिलती हैं। अवेस्ता ईरानी भाषा का प्राचीनतम गंथ हैं। दोनों में बहुत से देवताओं और सामाजिक वर्गों के नाम भी समान हैं। पर हिंद-यूरोपीय भाषा का सबसे पुराना नमूना इराक में पाए गए लगभग 2200 ई० पू० के एक अभिलेख में मिला है। बाद में इस तरह के नमूने अनातोलिया (तुर्की) में उन्नीसवीं से सत्रहवीं सदी ईसा पूर्व के हत्ती) अभिलेखों में मिलते है।
- इराक में मिले लगभग 1600 ई0 पू0 के कस्सी अभिलेखों में तथा सीरिया में मितानी अभिलेखों में आर्य नामों का उल्लेख मिलता है। उनसे पश्चिम एशिया में आर्य भाषाभाषियों की उपस्थिति का पता चलता है। लेकिन भारत में अभी तक इस तरह का कोई अभिलेख नहीं मिला है।
आर्य जातिआर्य जाति का इतिहास
द्वितीय सहस्राब्दी ईसा पूर्व के मध्य में भारत में एक नवीन जाति या कबीले का मिलता है। कुछ विद्वान इन्हें आक्रमणकारी मानते हैं और बाहर से आया बताते हैं। ए. एल. बाशम तथा कुछ अन्य विद्वानों का विचार है कि ये आक्रामक थे और अपने को आर्य कहते थे ।
अंग्रेजी भाषा में आर्य शब्द का सामान्य अर्थ
- अंग्रेजी भाषा में आर्य शब्द का सामान्य अर्थ आर्यन्स है, बाशम के अनुसार फारस के प्राचीन निवासी भी इस नाम का प्रयोग करते थे और वर्तमान ईरान शब्द में तो यह शब्द अब भी विद्यमान है।
आर्य शब्द अर्थ
'आर्य' शब्द संस्कृत भाषा का है जिसका अर्थ है 'उच्च’, ‘उत्तम' अथवा 'श्रेष्ठ.
- सम्भवतः अपनी उच्च जातीयता, उच्चतम कर्म और श्रेष्ठता प्रदर्षित करने हेतु इस जाति ने अपने को ‘आर्य’ नाम से विभूषित किया।
- अपनी विरोधी जाति को उन्होंने 'अनार्य’, ‘दस्यु' अथवा ‘दास’ कहकर सम्बोधित किया जिसकी पुष्टि ऋग्वेद में दिए गए 'अकर्मन’, ‘अब्रह्मन्’, ‘अव्रत’, ‘अदेवयु’ जैसे शब्दों से होती है।
- अपनी शारीरिक रचना तथा मानसिक एवं बौद्धिक गुणों से वशीभूत होकर ही वे अनार्यो से अपने को श्रेष्ठ समझते थे।
- उनके आचार-विचार विकसित और उन्नत थे। ऐसा लगता है कि उनके भारत आगमन से पूर्व उन्हें उत्तर भारत में द्रविड़ों से संघर्ष करना पड़ा।
- प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप के अनेक ऋग्वैदिक वर्णन संघर्षों की पुष्टि भी करते हैं।
- द्रविड़ पराजित होने के पश्चात दक्षिण की ओर चले गए। इस तरह द्रविड़ सभ्यता तथा सिन्धु घाटी के ध्वासावशेषों पर आर्य सभ्यता ने पनपना शुरू कर दिया।
- बाद में इन आर्यों का भारतीयकरण हो गया और उन्हें भारतीय आर्य की संज्ञा प्राप्त हुई।
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