प्राचीन जातीय भाषायी समूह (Ancient Ethnos - Linguistic Groups )
प्राचीन जातीय भाषायी समूह (Ancient Ethnos - Linguistic Groups )
जाति तथा भाषाओं के आधार पर भारत की जातियों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है
(1) उत्तरी भारत
(2) दक्षिण का पठार
(3) सुदूर दक्षिण तथा
(4) अन्य क्षेत्र नीचे इन्हीं का संक्षिप्त वर्णन किया गया है
( 1 ) उत्तरी भारत जातीय भाषायी समूह
- हिमालय व विन्ध्याचल के मध्य भाग को उत्तरी भारत कहा जाता है, प्राचीन काल में इसी को आर्यावर्त कहते थे।
- इस भूखण्ड के एक ओर पश्चिम में सिन्धु नदी तथा उसकी सहायक नदियाँ हैं तो दूसरी ओर पूर्व में गंगा और उसकी सहायक नदियाँ हैं। इस प्रकार एक ओर कश्मीर, पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त पंजाब तथा सिन्ध हैं तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश, बिहार व बंगाल प्रान्त हैं
- भारत की पूर्वी सीमा बनाने वाला असम प्रदेश तथा भारत का मरुस्थल राजस्थान भी इसी क्षेत्र का भाग है।
- 1947 के पश्चात से सिन्ध व पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त भारत से पृथक् हो गए हैं और पंजाब तथा बंगाल का विभाजन होकर नए प्रभुत्वसम्पन्न राज्यों का निर्माण हो गया है।
- उत्तर भारत जो आर्यावर्त के नाम से प्रख्यात था, आर्यों की भूमि माना जाता है। यहाँ अब भी आर्य जो अभिजात वर्ग के थे उनकी सभ्यता का साम्राज्य है।
- यद्यपि प्राचीन काल में सबसे पहले द्रविड़ लोगों का ही उत्तर भारत में प्रभुत्व था किन्तु आर्यों के प्रसार ने द्रविड़ लोगों के प्रभाव को यहाँ से समाप्त कर दिया।
- आर्यों के बाद भी उत्तर भारत में अनेक विदेशी जातियों ने आक्रमण किए और यहाँ आकर बस गईं। शक, हूण, यवन व कुषाण आदि जातियाँ यहाँ आईं किन्तु वे यहाँ की संस्कृति में विलीन हो गईं और उनका कोई उल्लेखनीय प्रभाव दिखाई नहीं देता।
- किन्तु इसके विपरीत मुसलमान आक्रमणकारियों ने भारत को अत्यधिक प्रभावित किया और बड़ी संख्या में भारतवासियों को मुसलमान बनाया। इससे नई सभ्यता का विकास हुआ।
- आज भी पंजाब, कश्मीर तथा राजस्थान के लोगों में आर्यों का रंग-रूप मिलता है। कद लम्बा, रंग गोरा, बाल काले व घने, आँखें काली पतली व उठी हुई नाक तथा लम्बा सर आर्यों के वंशजों के प्रतीक हैं। जितना पूर्व में जाते हैं उतना ही आर्यों के रंग-रूप में कमी होती जाती है।
- उत्तर प्रदेश तथा बिहार में मिश्रित जातियाँ विद्यमान हैं। बंगाल, असम व उड़ीसा में द्रविड़ व मंगोल जातियों का मिश्रण है। यद्यपि यहाँ भी उच्च जातियाँ उत्तर प्रदेश व बिहार के समान साधारणत: आर्यों से सम्बन्धित दिखाई देती हैं।
- उत्तर भारत में भाषाएँ भी आर्य भाषाएँ हैं जिनमें मुख्यतः हिन्दी, बंगाली, गुजराती, असमिया, पंजाबी व कश्मीरी हैं। ये संस्कृत से सम्बन्धित हैं और कुछ तो उस पर आश्रित हैं।
- हिन्दी उत्तर भारत के एक विशाल प्रदेश की भाषा है जिसमें अनेक बोलियाँ हैं जैसे ब्रज, अवधी, मारवाड़ी व भोजपुरी आदि। हिन्दी का ही एक दूसरा रूप उर्दू है। उर्दू का विकास मुसलमानों, कायस्थों व कश्मीरियों के द्वारा हुआ है।
(2) दक्षिण का पठार जातीय भाषायी समूह
- कृष्णा नदी तथा उसकी सहायक तुंगभद्रा नदी दक्षिणी भारत को दो भागों में बाँटती है।
- उत्तर भारत के दक्षिण का वह सम्पूर्ण प्रदेश जो दक्षिण में कृष्णा तथा तुंगभद्रा नदी तक फैला हुआ है, दक्षिण का पठार कहलाता है।
- प्राचीनकाल में यह द्रविड़ों का प्रदेश था किन्तु आर्यों के आर्यावर्त से नीचे की ओर फैलने पर यहाँ भी उनका प्रभाव स्थापित हो गया। यहाँ के लोग भी मिश्रित प्रकार हैं और यहाँ की भाषाएँ जैसे गुजराती, मराठी उड़िया आदि भी आर्य परिवार की भाषाएँ हैं।
- इस क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी भाग में आर्यों व सीथियनों के रक्त का सम्मिश्रण दिखाई देता है। यद्यपि उच्च जातियाँ आर्यों की ही सन्तान हैं।
( 3 ) सुदूर दक्षिण जातीय भाषायी समूह
- भारत का सुदूर दक्षिण क्षेत्र जो कृष्णा नदी के दक्षिण में स्थित है, आज भी द्रविड़ सभ्यता के प्रभाव का क्षेत्र है। इस प्रदेश में जो चार भाषाएँ तमिल, तेलुगू, कन्नड़ व मलयालम प्रचलित हैं, वे द्रविड़ परिवार की हैं। यद्यपि ये सभी उन्नत भाषाएँ हैं किन्तु तमिल भाषा अपने साहित्य के उत्कर्ष के लिए विशेष प्रसिद्ध है।
- प्राचीन काल में यहाँ चोल वाष्ड्य तथा केरल नामक सबल साम्राज्य स्थापित हुए थे। यद्यपि इस प्रदेश की भाषाएँ, सभ्यता व संस्कृति मूलतः द्रविड़ है किन्तु आर्य ब्राह्मणों के विस्तार से यहाँ की सभ्यता व संस्कृति पर आर्यों का पर्याप्त प्रभाव दिखाई देता है और संस्कृत भाषा का भी प्रभाव यहाँ की भाषाओं पर पड़ा है।
- इस प्रदेश के लोग मूलतः द्रविड़ हैं जो छोटे कद के श्याम वर्ण वाले हैं। इनकी नाक चपटी बाल घने व घुंघराले और सिर लम्बा है। इतना होते हुए भी यहाँ आर्यों के वंश के लोगों की भी संख्या पर्याप्त मात्रा में विद्यमान है।
( 4 ) अन्य क्षेत्र जातीय भाषायी समूह
- उपरोक्त प्रमुख क्षेत्रों के अतिरिक्त कुछ ऐसे गिरिवासी तथा वनवासी भी हैं जिनकी बोली देश की प्रमुख भाषाओं से भिन्न है। ये मझोले कद के श्याम वर्ण लोग हैं और मुख्यतः पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश व राजस्थान आदि क्षेत्रों के वनों में या पहाड़ियों में निवास करते हैं। इनमें मुख्य कोल, भील व सन्थाल आदि प्रमुख हैं।
- इसके अतिरिक्त हिमालय की तराई के क्षेत्र में जिनमें गढ़वाल, भूटान, सिक्किम व असम प्रमुख रूप से आते हैं, विशिष्ट जाति के लोग रहते हैं। इनका रंग पीला, छोटी आँखें तथा चेहरा चपटा होता है। इनकी अनेक बोलियाँ भी देश की प्रमुख भाषाओं से भिन्न हैं।
भारतीय इतिहास के गौरव सारांश में
- भारत संसार का एकमात्र ऐसा प्राचीन देश है जिसने मानव को सबसे पहले सभ्य व सुसंस्कृत बनाया।
- कवि मोहम्मद इकबाल ने कहा भी है कि 'यूनान, मिस्र, रोमां सब मिट गए जहां से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।' भारत एक प्राचीन देश है।
- अनेक भारतीय विद्वानों के अनुसार भारत की सभ्यता संसार की प्राचीनतम सभ्यता है। भारतवासियों ने जीवन के प्रत्येक पहलू पर विचार किया और लेखन कला में पारंगत होने के कारण उन्होंने काव्य, दर्शन, कला, विज्ञान व अन्य विषयों पर श्रेष्ठ ग्रंथों की रचना की।
- विदेशी विद्वानों के मतानुसार भी भारतीय मिस्र, मेसोपोटामिया व चीन आदि प्राचीन सभ्यताओं के इतिहास से अधिक प्राचीन है।
- सांची (भोपाल के पास ) की खुदाई से बुद्ध की अनेक प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं
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