इतिहास के अध्ययन से पूर्व भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन क्यों जरूरी है |भारत देश का नामकरण | Bharat Desh Ka Namkaran
समाज के इतिहास के अध्ययन से पूर्व उस देश की भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन क्यों जरूरी है
भौगोलिक परिवेश (Geographical Setting )
मनुष्य समाज तथा वातावरण
- किसी देश की प्राकृतिक स्थिति अर्थात् वहाँ की जलवायु, खनिज पदार्थ, नदियाँ, पर्वत श्रृंखलाएँ तथा विभिन्न प्रकार की भूमि उस देश के भूगोल की अध्ययन सामग्री होती है। जबकि उस देश में निवास करने वाले मानव समाज के राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक व आध्यात्मिक आदि पहलुओं का दार्शनिक व वैज्ञानिक वर्णन इतिहास में होता है।
- इस दृष्टि से दोनों विषय भिन्न-भिन्न प्रतीत होते हैं, जिनका परस्पर कोई सम्बन्ध नहीं है किन्तु ऐसा नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि किसी देश के इतिहास पर उस देश की भौगोलिक परिस्थितियों का पर्याप्त प्रभाव पड़ता है। मनुष्य तथा उसके वातावरण में बहुत गहरा सम्बन्ध है।
- मानव के वातावरण का उसकी शारीरिक आकृति पर उसके मानसिक विकास पर तथा उसके कार्यों पर विशेष प्रभाव दिखाई देता है। यह प्रभाव इतना सूक्ष्म होता है कि मनुष्य का ध्यान भी इस ओर नहीं जा पाता किन्तु कई बार मनुष्य अपनी इच्छा शक्ति के बल पर प्रकृति को अनुकूल भी बना लेता है। इतना होते हुए भी भौगोलिक परिस्थितियों का निर्माण कर पाना मनुष्य की शक्ति के बाहर है।
- इस प्रकार किसी निश्चित भू-खण्ड में बसने वाले मानव के जीवन को उस भू-खण्ड की भौगोलिक परिस्थितियाँ नियन्त्रित करती हैं और उसके राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक व आध्यात्मिक विकास की नींव में उस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है।
- मानव जीवन के इन विभिन्न पहलुओं का दार्शनिक व वैज्ञानिक वर्णन इतिहास की विषय सामग्री है।
- अतः किसी समाज के इतिहास के अध्ययन से पूर्व उस देश की भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन करना आवश्यक होता है।
भारतीय इतिहास के अध्ययन से पूर्व यह आवश्यक प्रतीत होता है कि हम वहाँ की उन भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन करें, जिन्होंने इस देश को संसार में एक विशेष स्थान दिया है।
भारतीय इतिहास के अध्ययन के पूर्व भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन
भारत देश का नामकरण (Nomenclature Of India )
- अति प्राचीन काल से इस देश को भारतवर्ष के नाम से पुकारा जाता रहा है। कहा जाता है कि राजा दुष्यन्त के पुत्र सम्राट भरत के नाम पर हमारे देश का नाम 'भारत' पड़ा।
- जब विदेशी आक्रमणकारी भारत में आये तो उन्होंने 'सिन्धु' नदी को पार किया और सिन्धु नदी के नाम पर इस देश को सिन्धुस्थान, हिन्दुस्थान या हिन्दुस्तान कहना प्रारम्भ किया।
- वास्तव में फारसी भाषा में 'स' का उच्चारण 'ह' होता है अतः विदेश आक्रमणकारी सिन्धु नदी पर बसने वाले लोगों को हिन्दु तथा सिन्धुस्थान के स्थान पर भारत को हिन्दुस्थान पुकारने लगे।
- हिन्दुस्थान शब्द भी भारत में बहुत प्रचलित हुआ और आज भी भारत हिन्दुस्थान नाम से संसार भर पहचाना जाता है।
- यूनानियों ने इस देश को इन्डिका या इण्डिया के नाम से पुकारा, क्योंकि वे सिन्धु नदी को 'इन्डस' कहते थे। बाद में यूरोप की विभिन्न जातियों ने भी इसी 'इण्डिया' नाम को अपनाया।
- किन्तु इण्डिया भारत के अंग्रेजी पढ़े-लिखे वर्ग तक ही सीमित रहा और दूर ग्रामों में आज भी इस देश को 'भारत' या 'हिन्दुस्थान' या 'हिन्दुस्तान' नाम से ही पुकारते हैं।
- स्वतन्त्र भारत के संविधान में 'भारत' नाम को मान्यता प्राप्त हुई है और अब साधारण व्यवहार में 'भारत' नाम ही प्रचलित है।
भारत की सीमा, स्थिति, क्षेत्रफल (Boundary, Location, Area )
- भारत विश्व के मध्य में स्थित अति महत्त्वपूर्ण विशाल देश है, जो दक्षिण एशिया में पर्वतीय श्रृंखलाओं से तथा अन्य तीन दिशाओं में समुद्र से अलग है। यह त्रिकोण के आकार का है।
- भारत 68° तथा 97° पूर्वी देशान्तर तथा 8° और 37° अक्षांश के मध्य स्थित है। कर्क रेखा इसके मध्य से होकर जाती है।
- उत्तरी भारत शीतोष्ण कटिबंध में स्थित होने के कारण यहाँ की जलवायु ठण्डी व गर्म है जबकि दक्षिणी भारत उष्ण कटिबंध में स्थित होने के कारण उस क्षेत्र की जलवायु गर्म है।
- भारत का क्षेत्रफल लगभग 32.68 लाख वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से संसार में इसका सातवाँ स्थान है और रूस के अतिरिक्त शेष यूरोप के बराबर है।
- भारत की लम्बाई उत्तर से दक्षिण तक लगभग 3200 किलोमीटर है जबकि उसकी चौड़ाई पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3000 किलोमीटर है।
- प्राचीन भारत को जिसमें विभाजन से पूर्व का भारत अर्थात् आज का भारत, पाकिस्तान व बंगला देश तथा वर्मा सम्मिलित हैं, उपमहाद्वीप के नाम से भी पुकारा जाता है।
- इस प्राचीन भारत की उत्तरी सीमा पर हिमालय पर्वत की श्रेणियाँ स्थित हैं जो इसे पश्चिमी एशिया के अन्य देशों से पृथक् करती हैं।
- खैबर व बोलन आदि अनेक दरें इन पर्वत श्रेणियों के मध्य स्थित हैं। इन दरों का भारतीय इतिहास पर विशेष प्रभाव पड़ा है क्योंकि इन्हीं दरों के माध्यम से भारतवासियों ने प्राचीन काल में अपनी सभ्यता व संस्कृति का प्रचार विदेशों में किया था तथा इन्हीं दरों में से होकर विदेशी आक्रमणकारियों का ताँता लगा रहा।
- हिमालय की पूर्वी पर्वत श्रृंखलाओं ने भारत को हिन्द चीन, मलाया व श्याम आदि देशों से पृथक् किया है।
- दक्षिण में भारत तीन और समुद्र से घिरा हुआ है।
- जनसंख्या की दृष्टि से भारत संसार का चीन के बाद सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है।
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