इतिहास का शाब्दिक अर्थ | इतिहास की परिभाषा | Definition of history in Hindi

 

इतिहास की परिभाषा Definition of history in Hindi

इतिहास  का  शाब्दिक  अर्थ  | इतिहास की परिभाषा | Definition of history in Hindi


इतिहास  का  शाब्दिक  अर्थ 
  • इतिहास अतीत का अध्ययन हैं, जिसका केन्द्र बिन्दु मनुष्य होता है। मनुष्य और उससे संबंधित समस्त घटनाएँ इतिहास अध्ययन का विषय होती है। 
  • इतिहास का ज्ञान की शाखा के रूप में उद्भव यूनान में हुआ था। 
  • इतिहास अंग्रेजी भाषा के 'हिस्ट्री' शब्द का हिन्दी अनुवाद हैं। वैसे, इतिहास, 'इति -ह- आस' शब्दों के सम्मिलन से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ, 'निश्चित रूप से ऐसा ही हुआ है।
  • 'हिस्ट्री' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग यूनान के 'हिरोडोटस' (480 430 ई० पू०) ने किया था और इसीलिए 'हिरोडोटस' को 'इतिहास का जनक' कहा जाता है. 
  • इतिहास की परिभाषा, इतिहास के मूल स्वरूपों, या मूल तत्वों को सरल और सुगम रूप में प्रगट करती है। इससे इतिहास को जानने और पहचाने में सहायता मिलती हैं। 
इतिहास को अनेक विद्वानों ने परिभाषित करने का प्रयास किया हैं, जो निम्नांनुसार हैं 

इतिहास की परिभाषा क्या है  Itihas Ki Paribhasha Kya Hai


इतिहास कहानी है

 क्या इतिहास कहानी है सिद्ध कीजिये 

  • विद्वानों का एक वर्ग, इतिहास को कहानी मानता है, इनमें जी. एम. ट्रेविलियन, हेनरी पिरेन, रेनियर, हुइजिंगा, एफ. एस. ओलिवर आदि प्रमुख हैं। विद्वानों के सम्मिलित विचारों को सारांशतः कहा जा सकता है कि, विद्वानों ने सभ्य समाज का नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों की उपलब्धियों और कार्यों को कहानी का इतिहास माना हैं। 
  • विद्वानों की स्पष्ट धारणा की सभ्य समाज के नेतृत्वकारी पुरूष के जीवन और उससे संबंधित घटनाओं को बिना किसी लाग लपेट के कहानी स्वरूप प्रस्तुत करना चाहिए। नेतृत्वकारी मनुष्य (मनुष्यों) का जीवन वृतांत नैतिक रूप से उच्च हो, जो समाज और देश के लिए अनुकरणीय भी हो, की कहानी इतिहास हैं तथा यह कहानी स्मरण करने लायक भी हो।

 

इतिहास ज्ञान है

 क्या इतिहास ज्ञान है 

  • विद्वानों का एक वर्ग, इतिहास को 'ज्ञान' का एक विषय मानता हैं। इनमें चार्ल्स फर्थ, डिल्थे, क्रोचे, कॉलिंगवुड आदि प्रमुख हैं। इन विद्वानों के मतों के आधार पर कहा जा सकता है कि, इतिहास ज्ञान है, जो मनुष्य को सद्मार्ग दिखाता है और गलत रास्ते पर चलने से रोकता है। एक प्रकार से सही और गलत की शिक्षा का ज्ञान इतिहास प्रदान करता है। इतिहास अपने मूलरूप में यह बताता है कि, अमुक वस्तु सही है और अमुक सही नहीं है। 
  • ज्ञान की शाखा के रूप में इतिहास उचित और अनुचित की पहचान का रास्ता बताकर मनुष्य के दैनिक जीवन को उपयोगी ज्ञान प्रदान करता है। इतिहास अतीत की घटनाओं का ज्ञानप्रद उदाहरण प्रस्तुत करके मनुष्य को उसके कारणों और परिणामों के बारे में बताता हैं, जिससे मनुष्य उस प्रकार की घटनाओं से सीख लेकर गलतियों को दोहराने का दुस्साहस नहीं करता है। जैसे, द्वितीय विश्वयुद्ध में परमाणु युद्ध विभीषिका की जानकारी देकर, इतिहास भविष्य में परमाणु अस्त्रों के प्रयोग के परिणामों से अवगत कराता हैं। 
  • इसी प्रकार इतिहास रावण, कंश, दुर्योधन, सद्दाम हुसैन, गद्दाफी, हिटलर के जीवन का ज्ञान देकर यह बताता है कि, जो इनके रास्ते पर चलेगा उसका अंजाम भी वैसा ही होगा, इनका हुआ। इस प्रकार, इतिहास का ज्ञान मनुष्य से संबंधित ज्ञान का आधार है।

 

इतिहास सामाजिक विज्ञान है

 क्या इतिहास सामाजिक विज्ञान है 

  • इतिहास सामाजिक विज्ञान है, इसके पक्ष में विद्वानों का एक वर्ग सक्षम तर्क प्रस्तुत करते हुए कहता हैं कि, इतिहास समाज की जननी है और यह समाज का संपूर्ण खाका प्रस्तुत करता है। समाज के आदि से लेकर अंत तक की संपूर्ण घटनाओं के विवरण की जानकारी इतिहास देता हैं। इसीलिए हेनरी पिरेन ने कहा है कि, इतिहास प्राचीनकालीन मनुष्य के समाज के विकास का विवरण देता है। 
  • ऑक्सफोर्ड इंग्लिश शब्दकोश में इतिहास को सामाजिक विज्ञान मानते हुए कहा है कि, 'इतिहास मानव समाज और राष्ट्र की समस्त घटनाओं का विवरण देता है। इसी संदर्भ में प्रसिद्ध विद्वान ए. एल. राउज कहते हैं कि, 'भौगोलिक परिस्थिति और भौगोलिक वातावरण मनुष्य और उसके समाज को प्रत्यक्षतः प्रभावित करते हैं। 
  • अतः इतिहास भौगोलिक परिवेश में समाज में रह रहे लोगों का वृतांत है। इस प्रकार, इतिहास को समाज विज्ञान के रूप में परिभाषित करने वाले विद्वानों का मानना है कि, ‘इतिहास समाज विज्ञान है, जिसमें मानव के संपूर्ण एवं सर्वांगीण क्रियाकलापों तथा साँस्कृतिक जनजीवन का उल्लेख होता है।

 

इतिहास विचारधारा का इतिहास है

 क्या इतिहास विचारधारा का इतिहास है

  • इतिहास को विचारधारा का इतिहास मानने वाले विद्वानों का मानना है कि, मनुष्य के समस्त क्रियाकलापों एवं कार्य व्यवहार का मूल उत्स एवं उद्गम उसके विचार होते हैं और विचारधारा ही मनुष्य के कार्यों की रूपरेखा बनाती है, जिससे प्रेरित होकर मनुष्य विभिन्न क्रियाओं को साकार रूप प्रदान करते है। 
  • इस विषय में प्रसिद्ध विद्वान आर. जी. कॉलिंगवुड का स्पष्ट मत है कि, 'सम्पूर्ण इतिहास विचारधारा का इतिहास होता है।' कॉलिंगवुड की यह परिभाषा स्पष्टतः कार्य (क्रिया) को 'साध्य' और 'विचारधारा' को साधन मानती हैं।
  • इतिहास को विचारधारा का इतिहास मानने वाले विद्वान कहते हैं कि, मनुष्य के कार्य करने से पहले उसके मस्तिष्क में एक स्पष्ट विचार आता है और मनुष्य उस विचार के अनुरूप कार्य करता है। इस मत के विरूद्ध प्रो. वाल्श ने कहा कि, इतिहास विचारधारा प्रधान नहीं होता। क्योंकि अलौकिक अदृश्य दैवीय शक्तियाँ और प्राकृतिक विनाशकारी घटनाएँ मनुष्य के विचार के अनुरूप नहीं होती हैं।

 

इतिहास समसामयिक इतिहास है

 क्या इतिहास समसामयिक इतिहास है

  • इतिहास को समसामयिक इतिहास मानने वाले विद्वानों का मत है कि, इतिहास को समसामयिक आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए लिखा जाता है | इतिहास को समसामयिक इतिहास मानने वाले सर्वश्रेष्ठ पक्षकार क्रोचे का मत है कि, 'सम्पूर्ण इतिहास समसामयिक इतिहास होता है ।
  • इतिहासकार वर्तमान में रहकर अपनी वैचारिक धारणा के आधार पर अतीत का विश्लेषण करता है और जब अतीत की घटनाओं का वर्तमान की आवश्यकता के अनुसार इतिहास को पुनः व्याख्या या पुनः विवरण देता है, तो समसामयिक चेतना के गतिशील तत्वों का उसमें समावेश करता हैं। 
  • इसीलिए गोविन्द चन्द्र पाण्डे ने ठीक ही कहा है कि, अतीत उस क्षण वर्तमान हो जाता है, जब हम वर्तमान की आवश्यकताओं के अनुरूप उसका पुनर्विस्तरण करते हैं।' अतः वर्तमान में सामाजिक आवश्यकताओं और रूचियों को प्रधानता देने के कारण इतिहास, समसामयिक इतिहास' बन जाता है।

 

भूत और वर्तमान की कड़ी है इतिहास 

 क्या  इतिहास भूत और वर्तमान की कड़ी है

  • इतिहास को भूत और वर्तमान के बीच की कड़ी मानने वाले विद्वानों का मत है कि, इतिहासकार वर्तमान में रहकर अतीत की व्याख्या करता हैं, इस प्रकार इतिहास अतीत और वर्तमान के बीच एक कड़ी और पुल के रूप में कार्य करता है। 
  • प्रसिद्ध विद्वान ई. एच. कार ने इतिहास को अतीत और वर्तमान के मध्य अनवरत परिसंवाद की संज्ञा दी हैं।' वस्तु स्थिति तो यह है कि, ‘इतिहास काल के तीनों खण्डों भूत, वर्तमान एवं भविष्य तीनों के लिए उपादेय होता है, क्योंकि अतीत का इतिहास, वर्तमान में सुरक्षित भविष्य के लिए रचित किया जाता है। 
  • जिस प्रकार हमारे ऋषियों, मुनियों और विद्वानों ने चार वेदों, अनेक अरण्यों, उपनिषदों, रामायण, महाभारत का लेखन अतीत में करके भविष्य के लोगों के मार्गदर्शन के लिए किया। उसी प्रकार इतिहास भी वर्तमान में भविष्य को दिशा निर्देश देने के लिए लिखा जाता है, अतः इतिहास भूत (अतीत) और वर्तमान के बीच एक कड़ी और पुल (सेतु) के समान है।

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