मुगल और मंगोल में अंतर |मुगल कौन थे ,मंगोल कौन थे | Difference between mogul and mongol
मुगल और मंगोल में अंतर
Difference between mogul and mongol
मुगल कौन थे
- मुगल दो महान शासक वंशों के वंशज थे। माता की ओर से वे चीन और मध्य एशिया के मंगोल शासक चंगेज खान (जिसकी मृत्यु 1227 में हुई) के उत्तराधिकारी थे। पिता की ओर से वे ईरान, इराक एवं वर्तमान तुर्की के शासक तैमूर (जिसकी मृत्यु 1404 में हुई ) के वंशज थे। परन्तु मुगल अपने को मुगल या मंगोल कहलवाना पसन्द नहीं करते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि चंगेज खान से जुड़ी स्मृतियां सैकड़ों व्यक्तियों के नरसंहार से सम्बन्धित थीं। यही स्मृतियां मुगलों के प्रतियोगियों उजबेगों से भी सम्बन्धित थीं। दूसरी तरफ मुगल तैमूर के वंशज होने पर गर्व का अनुभव करते थे, इसलिए क्योंकि उनके इस महान पूर्वज ने 1398 में दिल्ली पर कब्जा कर लिया था।
- मध्यकालीन भारत के इतिहास में मुगल शब्द उस जाति से सम्बन्धित है जिनका अपना एक नवीन इतिहास है |
- chingez khan ( चंगेज खान) प्रसिद्ध मंगोल (विश्व आक्रमण के द्वितीय पुत्र (चकताई) तुर्कों से जो शाखा आगे बढी उन्हें इतिहास में मुगल के नाम से जाना जाता है।
- भारत में 1526 से मुगलों का इतिहास प्रारम्भ होता है। बाबर के पिता चगताई थे और माता का चंगेज खान के परिवार से सम्बन्ध था।
- तुर्क लोग विशाल हूण जाति की एक शाखा थे जो मध्य एशिया के भारतीय उपनिवेशों के सम्पर्क में आने के कारण उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया था। नवीं सदी के उत्तरार्द्ध में अरबों के साम्राज्य पर तुर्कों के आक्रमण शुरू हो गये और कुछ समय में ही ईरान और मेसोपोटामिया के प्रदेशों को जीत लिया गया। तुर्कों ने ईरान और मैसोपोटामियां के मुसलमानों के सम्पर्क में आकर इस्लाम को स्वीकार कर लिया। अरब साम्राज्य का विनाश कर तुर्कों ने अपने तीन मुख्य राज्य कायम किये थे। इनमें से एक राज्य गजनी था।
- भारतीय इतिहास के साथ गजनी के तुर्क राज्य का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा। इसका संस्थापक सबुक्तगीन था। दसवीं सदी के मध्य भाग में उसने गजनी में अपने राज्य की नींव डाली और फिर पूर्व की ओर अपनी शक्ति का विस्तार शुरू किया।
मंगोल कौन थे
- मंगोल चीन के उत्तरी प्रदेशों के निवासी थे। चंगेज खां जाति से मंगोल था। उन्हीं के नाम से यह प्रदेश मंगोलिया कहलाता है। इनका मुख्य व्यवसाय शिकार और पशुपालन थे। उनकी कोई बस्तियां व नगर नहीं होती थीं। वे डेरों में निवास करते थे, और घोड़ों के दूध व मांस से अपना भरण पोषण करते थे।
- मंगोलो में संगठन का अभाव था। वे अनेक कबीलों में विभक्त थे। जो बहुधा आपस मे लडते रहते थे। बारहवीं सदी के अन्तिम काल में चंगेज खां का उदय नेता के रूप में हुआ।
- मंगोल लोगों में खान, खां, या का हान शब्द सम्मान सूचक था। बाद में अन्य अनेक जातियों ने इस शब्द को अपना लिया।
- चंगेज के साथ खां तथा खान लगा होने से उसे मुसलमान नहीं समझना चाहिए वह इस्लाम का अनुयायी नहीं था अपितु मंगोलों के पुराने धर्म का अनुयायी था, जिसमें विविध देवी-देवताओं की पूजा को प्रमुख स्थान प्राप्त था।
- मंगोलो का भारत में पहला आक्रमण 1296 में हुआ था। जफर खां ने विद्रोहियों को परास्त किया।
- 1297 में सलदी के नेतृत्व में मंगोलों ने दूसरा आक्रमण किया। पुनः जफर खां ने उन्हें परास्त किया।
- 1299 ई0 के अन्त में दवा खां ने अपने पुत्र कुतलुग ख्वाजा के नेतृत्व में सेना भेजी। अलाउद्दीन अपनी सेना लेकर कीली के मैदान में पहुंच गया। स्वयं सुल्तान और नुसरत खां सेना के मध्य में उलुग खां वामपक्ष पर और जफर खां दाहिने पक्ष पर था।
- जफर खां के आक्रमण से मंगोलो का वामपथ टूट गया और वे भाग खड़े हुए। मंगोलो का चौथा आक्रमण उस समय हुआ जबकि 1303 में अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ से वापस लौटकर दिल्ली पहुंचा ही था।
- 1305 ई0 में अलीबेग और तार्ताक के नेतृत्व में मंगोलो ने आक्रमण किया। मलिक काफूर और गाजी मलिक ने मंगोलों को परास्त किया।1306 में मंगोलों ने फिर आक्रमण किया। मलिक कपूर ने सबको परास्त किया । मंगोल भाग गये।
- अलाउद्दीन के समय मंगोलो ने सर्वाधिक आक्रमण किये। लेकिन अलाउद्दीन ने कठोर कदम उठाये और विशाल सेना का प्रबन्ध किया। उसके पश्चात मंगोल का भारत पर आक्रमण समाप्त हो गये।
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