गुप्तकालीन स्थानीय प्रशासन | Gupt Kalin Local Government
गुप्तकालीन स्थानीय प्रशासन | Gupt Kalin Local Government
- गुप्तकालीन अभिलेख हमें नगर एवं ग्राम प्रशासन का भी ज्ञान कराते हैं। नगर का पदाधिकारी द्वांगिक कहलाता था। स्कन्दगुप्त के समय में सौराष्ट्र के राज्यपाल का पुत्र चक्रपालित सौराष्ट्र (गिरनार) में नगरपति था। इसका प्रमुख कार्य नगर को स्वच्छ बनाए रखना, नगरवासियों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना तथा नगर से करों की वसूली करवाना था। इसकी मदद के लिए नगर सभा होती थी। पुरपाल नामक कर्मचारी का भी उल्लेख शहरों में मिलता है। ये निगम सभाओं की मद्द से शासन करते थे।
- विषय के अन्तर्गत कई ग्राम हुआ करते थे। इनका प्रधान ग्रामपति या महत्तर कहलाता था. यह ग्राम प्रशासन का अध्यक्ष होता था। इसकी सहायता के लिए पंचायत होती थी।
- पंचायत के सदस्यों का उल्लेख दामोदरपुर ताम्रपत्र में हुआ है। ये सदस्य थे महत्तर, आटकुलाधिकारी, ग्रामिक तथा कुटम्बिन ग्राम शासन का भार इसी पंचायत के ऊपर था। प्रशासनिक मामलों में इन्हें काफी स्वतंत्रता थी। ग्रामों के आय-व्यय का हिसाब रखने वाला कर्मचारी तलवारक था। ग्राम सभा का प्रमुख कार्य ग्रामों में शान्ति सुव्यवस्था बनाये रखना, कर की वसूली करवाना एवं जमीन के क्रय-विक्रय का लेखा-जोखा रखना था।
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