हिन्दूधर्म और बौद्धधर्म | हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म की तुलना | Hindu and Baudh Dharma tulna
हिन्दूधर्म और बौद्धधर्महिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म की तुलना
हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म में समानताएं और विषमताएँ
Hindu and Buddhism Comparison in Hindi
हिन्दूधर्म शुरू से ही एक विशाल धर्म रहा है। इसमें अन्य धर्मों को अपने में समन्वित कर लेने की अद्भुत क्षमता रही है। इसी कारण कालान्तर में बौद्ध धर्म को भी अपनी शाखा मात्र बताने में हिन्दूधर्म सफल हो गया। बुद्ध ने जिन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया उनमें से अधिकांश वेदों और उपनिषदों में प्राप्त हो जाते हैं। बुद्ध ने हिन्दू धर्म के उन्मूलन के उद्देश्य से अपने धर्म को नहीं चलाया था। वे इसमें उत्पन्न हुए आडंबरों का अन्त करना चाहते थे। फिर भी हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म में कई समानताएं और विषमताएँ परिलक्षित होती हैं।
हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म का तुलनात्मक अध्ययन
यदि दोनों धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो उनमें निम्नलिखित समानताएँ और विषमताएँ दृष्टिगोचर होंगी
हिन्दूधर्म और बौद्धधर्म में समानताएँ
- दोनों धर्मों का अन्तिम लक्ष्य समान ही था अर्थात् संसार से मुक्ति तथा आवागमन के चक्कर से निवृत्ति कर्मवाद, पुनर्जन्मवाद तथा मोक्ष आदि सिद्धांतों पर दोनों ही धर्म विश्वास करते थे।
- बलपूर्वक धर्म प्रचार करने के दोनों ही विरोधी थे।
- यद्यपि बौद्ध धर्म का प्रचार विदेशों में भी हुआ किंतु वह अत्यन्त शन्तिपूर्ण ढंग से हुआ, तलवार के बल पर नहीं। दोनों धर्मों में सत्कर्म पर विशेष महत्त्व दिया जाता था तथा क्रियात्मक जीवन में महात्मा बुद्ध ने अधिकतर हिन्दू धर्म के आदर्शों को ही रखा।
- इतनी समानताओं के होते हुए भी बौद्धधर्म उस समय के हिन्दूधर्म से अत्यन्त भिन्न था।
हिन्दूधर्म और बौद्धधर्म में अंतर /विषमताएँ
- ब्राह्मण हिन्दूधर्म में वेद प्रामाणिक ग्रंथ हैं तथा उनके अतिरिक्त ज्ञान कहीं उपलब्ध नहीं हो सकता, किन्तु बौद्धधर्म तर्क पर आश्रित है और उसने वेदों की प्रमाणिकता का विरोध किया।
- हिन्दूधर्म में ब्राह्मणों का समाज में विशिष्ट स्थान था तथा कोई भी धार्मिक कृत्य उनके बिना पूर्ण नहीं हो सकता था, किन्तु बौद्ध धर्म में इस प्रकार कोई उच्च वर्ग नहीं था तथा सत्कर्मों द्वारा ही प्रत्येक व्यक्ति निर्वाण का अधिकारी माना गया था।
- हिन्दू समाज की आधारशिला वर्णव्यवस्था में बौद्धधर्म बिल्कुल भी विश्वास नहीं करता था तथा बौद्ध धर्म ने समानता के आधार पर समाज का निर्माण किया जहाँ ब्राह्मण और शूद्र में कोई भेदभाव नहीं था। बौद्ध धर्म में हिन्दुओं के यज्ञ, बलिदान तथा रीति-रिवाजों को कोई भी स्थान प्राप्त नहीं है। मंत्रों-तंत्रों में महात्मा बुद्ध का बिल्कुल भी विश्वास नहीं था।
- हिन्दू धर्म के अन्धविश्वासों, रूढ़ियों तथा जटिलताओं का बौद्ध धर्म ने घोर विरोध किया। महात्मा बुद्ध ने धर्म प्रचार के लिए संघों का निर्माण किया तथा भिक्षुकों को महत्त्व दिया, किन्तु हिन्दूधर्म में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं थी।
- हिन्दू धर्म परमात्मा पर विश्वास रखता था किन्तु बौद्ध धर्म नास्तिक धर्म था।
- हिन्दूधर्म के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए ज्ञान आवश्यक है किन्तु बौद्धधर्म के अनुसार सत्यकर्मों के द्वारा निर्वाण हो सकता है।
- हिन्दूधर्म के अनुसार शूद्रों एवं स्त्रियों को मोक्ष प्राप्ति का अधिकार नहीं है किन्तु बौद्धधर्म में प्रत्येक व्यक्ति निर्वाण प्राप्ति कर सकता है यदि वह सत्कार्य करे।
- हिन्दू धर्म कर्मकांड, विस्तृत समारोह, दैनिक प्रार्थनाओं तथा स्तुति में विश्वास करता है किन्तु बौद्धधर्म का इसमें कोई विश्वास नहीं है।
- हिन्दू धर्म में अनुकूलीकरण की क्षमता नहीं थीं किन्तु बौद्धधर्म में परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं को परिवर्तित कर सकने की क्षमता थी। इसलिए भारत के बाहर भी बौद्धधर्म का प्रचार सम्भव हो सका।
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