इक्ता या अक्ता का क्या अर्थ | Ikta Kya Hai मध्य कालीन इतिहास की संकल्पना, विचार तथा शब्दावली |
मध्य कालीन इतिहास की संकल्पना, विचार तथा शब्दावलीConcepts, ideas and terminology of Medival History
Ikta Pranali
इक्ता या अक्ता का क्या अर्थ है
- इक्ता या अक्ता अरबी भाषा का शब्द है। प्रारम्भ में इस प्रथा के अन्तर्गत भूमि के विशेष खण्डों के राजस्व का अधिकार सैनिकों में उनके वेतन के रूप में बांटा जाता था।
- इस प्रथा का आरम्भ इस्लाम धर्म के साथ ही सेवा करने के बदले पुरस्कार प्रदान करने के साथ हो चुका था।
- तेरहवीं शताब्दी में दिल्ली सल्तन्त के सुल्तानों में इल्तुतमिश ही पहला सुल्तान था जिसने भारत में सांमती प्रथा को समाप्त करने, सामाज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों को केन्द्र से जोड़ने के लिए ‘इक्ता प्रणाली 'की शुरूवात की।
- इस प्रणाली के प्रारम्भ होने से तुर्की शासक वर्ग की धन से सम्बन्धित लिप्सा की समाप्ति हुई। साथ ही नये विजित प्रदेशों में कानून व्यवस्था की बहाली के साथ ही राजस्व वसूली की समस्या का समाधान हुआ।
- मोहम्मद गोरी की विजयों के पश्चात् शीघ्र ही उत्तर भारत में इक्ता प्रथा शुरू हुई।
- सन् 1210 में इल्तुतमिश के साथ इक्ता प्रणाली स्थापित हुई उसके शासनकाल के 26 वर्षो में (1211-1236) मुल्तान से लखनौती के मध्य सम्पूर्ण सल्तनत बड़े तथा छोटे भू भागों में विभक्त हो गये, जिन्हें इक्ता कहा जाता था और जो मुक्ता नामक अधिकारियों को दी गयीं थीं।
- इल्तुतमिश के समय में इक्ता की दो श्रेणियां प्रचलन में थी खालसा भूमि से बाहर प्रान्तीय स्तर की इक्ता जो उच्च वर्ग के अमीरों को प्रदान की जाती थी जिनके पास राजस्व से सम्बन्धित एवं प्रशासकीय दोनों तरह के अधिकार होते थे।
- इस तरह की इक्ता प्राप्त करने वालों को 'मुक्ता' कहा जाता था।
- गांवों को जोड़कर बनी छोटी इक्ताओं को सुल्तान अपने सैनिकों को वेतन के रूप में देता था जो खालसा का हिस्सा माना जाता था। इन इक्ताओं के पास प्रशासकीय एवं आर्थिक अधिकार नहीं होते थे। सल्तनत काल में इक्ता प्राप्त करने वालों को मुक्ता, अमीर तथा मलिक कहा जाता था।
- बलवन ने इक्ता को जीवन भर के लिए प्रदान करने तथा अपने उत्तराधिकारों को हस्तांतरित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। उसने मुक्ता के साथ ख्वाजा की नियुक्ति की। अलाउद्दीन के समय में इक्ता के असीमित विस्तार को रोक दिया। सैनिकों को नकद वेतन दिया गया।
- सेनापतियों को अलाउद्दीन खिलजी के समय में इक्तायें प्रदान की गई। तुगलक वंश के शासकों में गयासुद्दीन तुगलक ने इक्ता प्राप्त अधिकारियों की स्थिति में कुछ परिवर्तन किया। मुक्ता की व्यक्तिगत आय तथा उसके अधीन सैनिक रखे गये। सैनिकों के वेतन में प्रत्यक्ष रूप से विभाजन किया गया।
- मुहम्मद तुगलक ने इक्ता व्यवस्था में सुधार करते हुए मुक्ता तथा राजस्व से जुड़े अधिकार लेकर नये अधिकारी वली उल-खराज को दे दिया।
- फिरोज तुगलक के शासनकाल में इक्ता पर से केन्द्रीय नियंत्रण समाप्त हो गया। इक्ता पर उत्तराधिकार को मान्यता, नियुक्तियों के हस्तांतरण पर रोक, भूमि अनुदान के रूप में सैनिकों को वेतन प्रदान करने की प्रथा को पुनः प्रारम्भ करने आदि इक्ता व्यवस्था में आये परिवर्तन का श्रेय फिरोज तुगलक को दिया जाता है।
- लोदियों के शासनकाल में भूमि हस्तांतरण प्रथा अपने चरमोत्कर्ष पर थी। सर्वाधिक भूमि अनुदान फिरोज तुगलक ने बांटा था।
इक्ता का क्षेत्रीय वितरण Regional distribution of iqta
- छोटी इक्ता के अधिकारियों को इक्तादार तथा बड़ी इक्ता के पदाधिकारियों को मुक्ता या वली कहा जाता था। इनका हिसाब, दिवाने विजारत में तय होता था।
- जनसाधारण में यह पदाधिकारी मुक्ता, हाकिम और अमीर के नाम से प्रसिद्व हुए। इस्लाम शाह के सिंहासनरूढ़ होने पर बड़े पैमाने पर अमीरों को उनकी इक्ता से स्थानांतरित किया गया।
- इस्लाम धर्म के प्रारम्भ से ही राज्य की सेवा करने के बदले पुरस्कार स्वरूप इक्ता प्रदान करने का प्रचलन हो चुका था।
- अक्ता या इक्ता प्राप्त व्यक्ति उक्त भू-खण्डों के मालिक नहीं थे। वरन् केवल उसके लगान का ही उपयोग कर सकते थे।
- सैनिकों को विशेष अनुदान देने की यह प्रथा अक्ता(इक्ता) नाम से विख्यात हुई ।
- राज्य द्वारा, व्यक्ति विशेष को प्रदत्त भू-संपत्तियों को अक्ता कहा जाता था। सामान्यतः इसे अधिन्यास सूचक माना जाने लगा।
इक्ता लागू करने का उद्देश्य Purpose of implementing iqta
- ऐबक तथा इल्तुतमिश ने इक्ता प्रथा से पूरा लाभ उठाया था। इन प्रशासकों ने भारतीय समाज से सामंती प्रथा को समाप्त करने तथा साम्राज्य के दूर दराज के हिस्सों को केन्द्र से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण साधन के रूप में इस प्रणाली का उपयोग किया।
- सल्तनत काल में अधिकारियों को वेतन अदा करने का एक मात्र साधन भू-राजस्व का अनुदान था। इस कारण राजस्व अनुदान व्यवस्था को एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में स्थापित किया गया।
- भारत में इक्ता लागू करने का एक महत्वपूर्ण कारण में भी था, इससे सुल्तान उपज अधिशेष का एक बड़ा भाग प्राप्त कर सकता था।
- इक्ता पदाधिकारी (जिन्हें मुक्ता या वली कहा जाता था) खराज तथा अन्य कर वसूल करके अपना तथा अपने सैनिकों का भरण-पोषण करते थे और बची हुई राशि सुल्तान के कोष के लिए भेज देते थे।
- सुल्तानों ने अमीर वर्ग को नगद वेतन के बदले भरण-पोषण के लिए अक्ता प्रदान किया।
- पहली खालसा के बाहर प्रान्तीय स्तर की अक्ता तथा दूसरी कुछ गांवों के रूप में छोटी अक्ता।
- प्रान्तीय स्तर की अक्ताऐं उच्च वर्ग के अमीरों को दी जाती थीं। यदि मुक्ता अन्त तक सक्रिय रूप से सेवारत रहता है तो राजस्व पर उसका अधिकार बना रहना स्वाभाविक था। उसकी मुत्यु के बाद उससे सम्बन्धित अधिकार पुनः राज्य में विलीन हो जाता था
- अक्ता (इक्ता) को सम्पूर्ण जीवनकाल के लिए पेंशन के रूप में नहीं दिया जा सकता थी न इक्तादार उसे अपने अधिकार का समर्पण करके अपनी वित्तीय प्रभुसत्ता को खोना चाहता था। बलवन ने अक्तादार के क्रियाकलापों पर चौकसी रखने तथा उन पर नियंत्रण के लिए ख्वाजा की नियुक्ति की।
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