मस्जिद का मतलब | मस्जिद शब्द का अर्थ | Masjid Ka Arth
मस्जिद का मतलब | मस्जिद शब्द का अर्थ
मस्जिद शब्द का अर्थ
- यह एक अरबी शब्द है। जिसका शाब्दिक अर्थ है- ऐसा स्थान जहां मुसलमान अल्लाह की आराधना में सजदा (घुटने और माथा टेककर ) करते हैं।
- जामा मस्जिद या (मस्जिद-ए-जामी) वह मस्जिद होती है जहां अनेक मुसलमान एकत्र होकर साथ-साथ नमाज पढ़ते हैं।
- नमाज की रस्म के लिए सारे नमाजियों में से सबसे अधिक सम्माननीय और विद्वान पुरूष को इमाम (नेता) के रूप में चुना जाता है।
- इमाम शुक्रवार की नमाज के दौरान धर्मोपदेश(खुतबा) भी देता है।
- नमाज के दौरान मुसलमान मक्का की तरफ मुंह करके खड़े होते हैं।
- भारत में मक्का पश्चिम की ओर पड़ता है। मक्का की ओर की दिशा किबला कहलाती है।
- दिल्ली के सुल्तानों ने सारे उपमहाद्वीप के अनेक शहरों में मस्जिदें बनवाई। इससे उन मुसलमान और इस्लाम के रक्षक होने के दावे को बल मिलता था। सामान अचार संहिता और आस्था का पालन करने वाले श्रद्धालुओं को परस्पर एक समुदाय से जुड़े होने में भी मस्जिदें सहायक थीं। उस काल में एक समुदाय का अंग होने के बोध को प्रबल करना जरूरी था क्योंकि मुसलमान अनेक भिन्न-भिन्न प्रकार की पृष्ठभूमियों से आते थे।
- इस्लाम धर्म में मस्जिद ऐसे पवित्र स्थान को कहते हैं जहां पर दिन में पांच बार नमाज अदा की जाती है, दिन में पांच बार आजान देकर नमाजी इकत्र होते हैं और अल्लाह की इबादत होती है। मस्जिद में इमाम मेहराब के बाहर खड़ा होता है और उसके पीछे नमाजी एक कतार में सीधे एकत्र हो जाते हैं।
- मस्जिद में नमाज से पूर्व वजू करना अति आवश्यक होता है। इस लिए प्रत्येक मस्जिद में पानी का पर्याप्त प्रबन्ध होता है। कुछ मस्जिदों में बीच में हौज होता है।
- भारत में तुर्कों के आगमन के पश्चात प्रारम्भ में नमाज मैदान में हुआ करती थी। मोहम्मद गौरी ने जब भारत में 1191-1992 में आक्रमण किया, उसके पश्चात मस्जिद की रूपरेखा पर ध्यान दिया गया। जब कुतुबद्दीन एबक भारत आया उसने मस्जिद के निर्माण को आवश्यक समझा और प्रथम बार कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण दिल्ली में कुतुब मीनार के समीप हुआ। बाद में जमेर में अढ़ाई दिन के झोपडा का निर्माण हुआ।
- गुलाम वंश के सुल्तानों ने एवं मुगल सम्राटों ने अनेक प्रकार की मस्जिदों का निर्माण भारत में करवाया। मस्जिदों में महिलाओं को पुरूषों के साथ नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है। परन्तु अब कुछ मस्जिदों में महिलाएं मस्जिदों में जाकर नमाज पढ़ने लगी हैं। जैसे मद्रास, लखनऊ तथा अन्य कई जगहों पर । परन्तु तुर्कों के आगमन के समय भारत में मुस्लिम महिलाओं को नमाज अपने घरों में ही पढ़नी होती थी। एक साथ नमाज पढना अनुचित माना जाता है।
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