अशोक के उत्तराधिकारी | अशोक के बाद मौर्य वंश | Maurya Vansh After Ashok
अशोक के उत्तराधिकारी
अशोक के बाद मौर्य वंश
एक लम्बे और महत्त्वपूर्ण शासन के उपरान्त 232 ई.पू. में अशोक की मृत्यु हो गयी। इसके बाद का मौर्य इतिहास बहुत कुछ अन्धकारमय है। परन्तु इतना तो निश्चित है कि मौर्य साम्राज्य धीरे-धीरे पतनोन्मुख होने लगा। अशोक के उत्तराधिकारियों में एक भी ऐसा नहीं हुआ जो इतने बड़े साम्राज्य के भार को सम्भालता। इसका परिणाम यह हुआ कि साम्राज्य के टुकड़े होते गये और अशोक की मृत्यु के पचास वर्षों के भीतर ही मगध का साम्राज्य मौयों के हाथ से निकल गया।
कुणाल
- समकालीन स्रोतों से मालूम पड़ता है कि अशोक के पाँच पुत्र थे। उनका नाम था तीवर, कुणाल, महेन्द्र, कुस्तन और जालौक। इनमें से अशोक के बाद कुणाल राजसिंहासन पर बैठा। पुराणों से इस बात की पुष्टि होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि उसी के समय में मगध साम्राज्य का पश्चिमोत्तर भाग साम्राज्य से अलग होने लगा। अशोक का दूसरा पुत्र जालौक कश्मीर का स्वतंत्र राजा बन बैठा। आठ वर्ष बाद कुणाल की मृत्यु हो गयी।
दशरथ
- कुणाल के बाद गद्दी पर दशरथ बैठा। यह धार्मिक प्रवृत्ति का था और आजीविकों के लिए नागार्जुन की पहाड़ियों में इसने गुफा विहार बनवाया। इसके समय में कलिंग मगध सम्राज्य से अलग हो गया। आठ वर्ष के शासन के बाद इसका देहावसान 216 ई.पू. में हुआ।
सम्प्रति
- दशरथ को कोई पुत्र नहीं था। इसीलिये उसका भाई सम्प्रति सिंहासन पर बैठा। इस समय तक इसको शासन का काफी अनुभव हो चुका था। वास्तव में अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य में यही एक शक्तिमान शासक हुआ जो मगध साम्राज्य के अधिकांश क्षेत्र पर सफल अधिकार रख सका। पाटलिपुत्र और उज्जयिनी इसकी दो प्रमुख राजध नियाँ थीं। सम्प्रति जैन धर्म का अनुयायी था और जैन धर्म के इतिहास में उसका वही स्थान था जो बौद्ध धर्म के इतिहास में अशोक का था। कई इतिहासकार इसे मौर्यवंश का द्वितीय चन्द्रगुप्त मानते हैं। इसका देहान्त 207 ई.पू. में हुआ।
शालिशुक
- यह अपने बड़े भाई को मार कर गद्दी पर बैठा। गार्गी संहिता के अनुसार यह 'दुष्टात्मा', प्रियविग्रह, अपने राष्ट्र का घोर मर्दन करने वाला, धर्मवादी किन्तु अधार्मिक था। इसी के समय में कश्मीर के मौर्य राजा जालौक ने मगध आक्रमण किया और सिंधु के पश्चिमोत्तर प्रदेश पर सम्प्रति के लड़के वृषसेन ने अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया। इस समय तृतीय अन्तियोकस (यूनानी राजा) ने भारत पर आक्रमण किया, परन्तु सीमा पर ही सुभगासेन से सन्धि करके लौट गया। अभी मगध साम्राज्य बिल्कुल निर्जीव नहीं था, इसलिए अन्तियोकस को आगे बढ़ने का साहस न हुआ।
देववर्मा, शतधनुष और बृहद्रथ
- शालिशुक के बाद देववर्मा और शतधनुष नाम के राजा हुए। मौर्यवंश का अन्तिम राजा बृहद्रथ था। यह बहुत विलासी और असावधान था और इसका सम्पर्क सेना और शासन से छँट गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने बृहद्रथ को सेना दिखाने के बहाने से मार डाला और मगध का बचा हुआ साम्राज्य आपने हाथ में कर लिया। इस घटना का उल्लेख पुराणों और बाण के हर्षचरित्र में मिलता है। इस कर्म के लिये बाण ने पुष्यमित्र को अनार्य कहा है। वास्तव में इस घटना ने सैनिक और मंत्री अधिकृत षड्यंत्र और सत्तापहरण की एक परम्परा चलायी जो शुंगवंश से प्रारम्भ होकर आन्ध्रवंश के अन्त तक चलती रही।
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