नजर या नजराना का अर्थ |मध्य काल में कारखाना |मज्म-उल-बाहरीन |पीर कौन होते हैं | Najar Ya Najrana Ka Arth

नजर या नजराना का अर्थ |मध्य काल में कारखाना |मज्म-उल-बाहरीन | पीर कौन होते हैं 

नजर या नजराना का अर्थ |मध्य काल में कारखाना |मज्म-उल-बाहरीन |पीर कौन होते हैं | Najar Ya Najrana Ka Arth


नजर या नजराना का अर्थ 

 

  • जब लोग सम्राट से भेंट करने जाते थे या शाही दरबार में उपस्थित होते थे तो अपने पद तथा स्थान के अनुरूप सम्राट को पेशकश के अतिरिक्त विशेष अवसरों पर उमरा तथा अन्य लोगों से सम्राट को नजर प्राप्त होती थी। पेशकश तथा नजर में प्रमुख अन्तर यह समझा जाता था कि पेशकश नजर से अधिक मूल्यवान होती थी। पेशकश में हीरेजवाहरात तथा अन्य मूल्यवान वस्तुएं दी जाती थीं नजर साधारणतया बधाई तथा खुशी के अवसरों पर नकद के रूप में दी जाती थी।

 

मध्य काल में कारखाना

 

  • इसके अन्तर्गत राजदरबार तथा राजपरिवार की शान व शौकत को पूरा करने के लिए जिन विलास सम्बन्धी वस्तुओं की जरूरत पड़ती थी उनका निर्माण यहां होता था और ये वस्तुएं बाजार में के फिरोज तुगलक के नहीं जा सकती थीं। 
  • मुहम्मद तुगलक ने अपने राज्य काल में एक वस्त्र निर्माण शाला की स्थापना की थी जहां रेशमी कपड़े वाले 400 जुलाहे काम में लगे रहते थे। इसी शासन काल में 36 कारखाने थे। 
  • कुछ कारखाने ऐसे थेजिनमें काम करने वालों को निश्चित वेतन मिलता था। इनके अन्तर्गत पीलखानापायगाहशराबखानाशैमाखानासुतुरखानासमखानाअवदारखाना आदि थे। 
  • कुछ कारखाने ऐसे भी थे जिनमें अनिश्चित वेतन पाने वाले कर्मचारी होते थे । इसमें जमारदारखानाअलमखानाफराशखानारिकाबखाना आदि प्रमुख थे। 
  • मुतशर्रिफ के अधीन एक विशेष प्रकार का कारखाना होता था। जिसमें उच्च श्रेणी के मालिक होते थेसम्राट के व्यक्तिगत प्रयोग तथा सेना के लिए जो विभाग हथियार बनाता था उसे कारखाना कहा जाता था। अं
  • ग्रेजों ने दक्षिण भारत में पहला कारखाना मछलीपट्टम 1611 में खोला। गुजरातथट्टाबुरहानपुरजौनपुरबनारसपटना तथा ढाका की मलमल बहुत प्रसिद्ध थी। कश्मीर और कनार्टक लकड़ी की कलात्मक वस्तुएं बनाने के लिए प्रख्यात थे। 
  • गुड़ और शक्कर बनाने के उद्योग बंगालगुजरात और पंजाब में मुख्य रूप से थे। लोहे के अस्त्र-शस्त्र बनाने के लिए गुजरात और पंजाब प्रख्यात थे। 
  • तांबाकांसा और पीतल का प्रयोग मुख्यतः बर्तन और मूर्तियां बनाने के लिए किया जाता था। भारत में सबसे बड़ा उद्योग वस्त्र उद्योग था। सभी प्रकार के सूतीऊनीऔर रेशमी वस्त्र तैयार किये जाते थे। कश्मीर में ऊनी कालीनरेशमी कपड़ा तथा ऊनी कपड़े का निर्माण बहुत होता था। कश्मीर और बंगाल में रेशम पैदा किया जाता था। ऊनी कपड़ा और वस्त्र बनाने के कारखाने पहाड़ी प्रदेशों में अधिक थे। बढ़िया ऊनी वस्त्र और शाल कश्मीर तथा लाहौर में तैयार किये जाते थे। जहांगीर ने अमृतसर में ऊनी वस्त्रों के उद्योग को प्रारम्भ किया। ढाका की मलमल विश्व प्रसिद्ध थी।

 

मज्म-उल-बाहरीन (दो समुद्रों का संगम)

 

  • यह शाहजहाँ के समय उसके पुत्र दारा सिकोह द्वारा लिखा गया प्रमुख ग्रन्थ है। 
  • इस ग्रन्थ में कादिरी सिलसिले के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी गई है। क्योंकि दारा शिकोह स्वयं कादिरी सिलसिले को मानने वाला था। इसलिए उसने इस ग्रन्थ की रचना की। इसमें दारा शिकोह ने हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म दोनों को एक ही लक्ष्य तक पहुँचने के दो रास्ते बतलाया दारा द्वारा लिखा यह ग्रन्थ अति महत्वपूर्ण था।

 

पीर कौन होते हैं 

 

  • इस्लाम धर्म में एक ऐसा व्यक्ति जो अपने जीवन को दुनियादारी से दूरईश्वरीय इच्छा में लीन रखने वाला आध्यात्मिक ज्ञाता हो और सांसारिक माया-मोह का त्याग कर जनकल्याण की भावना रखता हो तथा एक उच्च स्थान पर पहुंचकर मुर्शीद का दर्जा प्राप्त कर संसार का कल्याण करता हो उसे पीर कहा जाता है। 
  • औरंगजेब को भी जिन्दा पीर माना जाता था क्योंकि उसने जनकल्याण के लिए समाज में व्याप्त बुराईयों को समाप्त करने का प्रयास किया था। 
  • अपना जेब खर्च भी वह कुरान की आयतें लिखकर और टोपी सिलकर निकाला करता था। उसे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त था। इसलिए लोग उसे जिन्दा पीर मानकर पूजते थे। 
  • इस पीर श्रेणी में संत या सूफी और अन्य धार्मिक महानुभावसाहसीउपनिवेशीदेवत्व प्राप्त सैनिक एवं योद्धाविभिन्नहिन्दू एवं बौद्धदेवी-देवता और यहां तक कि जीवात्माएं भी शामिल थे। 
  • समय के साथ पीरों की पूजा पद्वतियां बहुत ही लोकप्रिय हो गई और उनकी मजारें आज भी भारत के कोने-कोने और विशेषकर बंगाल में सर्वत्र पाई जाती हैं।

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