इसे हिन्दुओ और सिखों द्वारा मनाया जाने वाला
बैसाखी भी कहा जाता है.
यह हिन्दू सौर नववर्ष की शुरूआत का प्रतीक है.
यह वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह के खालसा पंथ के गठन की याद दिलाता है.
नवरेह
संस्कृत के शब्द 'नववर्ष' से 'नवरेह' शब्द की व्युत्पत्ति हुई है.
यह कश्मीर में मनाया जाने वाला चंद्र
नववर्ष है.
यह चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आयोजित किया
जाता है.
बोहाग बिहू
बोहाग बिहू या रोगाली बिहू, जिसे हतबिहु (सात बिहू) भी कहा जाता है, असम के उत्तर-पूर्वी भारत और अन्य
भागों में मनाया जाने वाला एक पारम्परिक आदिवासी जातीय त्योहार है.
यह असमिया नववर्ष की शुरूआत का प्रतीक है.
ऐतिहासिक रूप से यह फसल के समय को दर्शाता है.
चैत्र शुक्लादि
यह विक्रम संवत् के नववर्ष की शुरूआत को
चित करता है जिसे वैदिक 'हिन्दू' कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है.
विक्रम संवत् उस दिन से सम्बन्धित है जब सम्राट
विक्रमादित्य ने शकों को हराया और एक नए युग का आह्वान किया.
उनकी देख-रेख में खगोलविदों ने चंद्र-सौर
प्रणाली के आधार पर एक नया कैलेंडर बनाया जिसका अनुसरण भारत के उत्तरी क्षेत्रों
में अभी भी किया जाता है.
यह चैत्र (हिन्दू कैलेंडर का पहला महीना) माह
के 'वर्द्धित
चरण' (जिसमे
चंद्रमा का दृश्य पक्ष हर रात बड़ा होता जाता है) का पहला दिन होता है.
चेटी चंड
सिंधी 'चेटी चंड' को नववर्ष के रूप में मनाते हैं.
चैत्र
माह को सिंधी में 'चेत' कहा जाता है.
यह दिन सिधियों के संरक्षक सत उदयलाल / झूलेलाल
की जयंती के रूप में मनाया जाता है.
विशु
यह एक हिन्दू त्योहार है, जो भारत के केरल राज्य, कर्नाटक में तमिलनाडु क्षेत्र
केन्द्रशासित प्रदेश पांडिचेरी का माहे जिला, तमिलनाडु के पड़ोसी क्षेत्र और उनके
प्रवासी समुदाय में मनाया जाता है.
यह त्योहार केरल में सौर कैलेंडर के नौवें
महीने, मेदाम
के पहले दिन को चिह्नित करता है.
यह हमेशा ग्रेगोरियन कैलेंडर में अप्रैल के मध्य
में 14 या 15 अप्रैल को हर वर्ष आता है.
गुड़ी पड़वा और उगादि आदि
ये त्योहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित दक्कन
क्षेत्र में लोगों द्वारा मनाए जाते हैं.
दोनों त्योहारों के समारोहों में आम प्रथा है
कि उत्सव का भोजन मीठे और कड़वे मिश्रण से तैयार किया जाता है. ।
दक्षिण में
बेवु-बेला नामक गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जो यह दर्शाता है कि जीवन सुख और दुःख दोनों का
मिश्रण है.
गुड़ी महाराष्ट्र के घरों में तैयार की जाने
वाली एक गुड़िया है. उगादि के लिए घरों में दरवाजे आम के पत्तों से सजाए जाते हैं, जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण
कहा जाता है.
पुथांडू पुत्ताण्डु
इसे पृथुवरुडम या तमिल नववर्ष के रूप
में भी जाना जाता है, यह तमिल कैलेंडर वर्ष का पहला दिन है और पारम्परिक रूप से एक त्योहार
के रूप में मनाया जाता है.
इस त्योहार की तारीख तमिल महीने चिथिरई के पहले
दिन के रूप में हिन्दू कैलेंडर के सौर चक्र के साथ निर्धारित की जाती है.
इसलिए यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में हर वर्ष 14
अप्रैल को आता है.
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