परगना किसे कहते है | Pargana Kise Kahte hain

परगना किसे कहते है | Pargana Kise Kahte hain

परगना किसे कहते है | Pargana Kise Kahte hain  परगना का अर्थ | Meaning of Parganan


परगना का अर्थ | Meaning of Parganan

 

  • अनेक गांवों को मिलकर बनायी गयी प्रशासनिक इकाई मध्यकाल में परगना कहलाती थी।
  • सल्तनतकाल में यह इकाई विभिन्न नामों से जानी जाती रही है। 
  • इब्नबतूता के अनुसार सौ गांवों के समूह को सदी कहा जाता था। 

परगना का प्रशासन 

  • शेरशाह ने परगना के शासन को सुव्यवस्थित किया तथा प्रत्येक परगने में एक शिकदार एक अमीनएक खजांची और दो कारकून एकनागरी लिपि में दूसरा फारसी लिपि से हिसाब लिखने के लिए नियुक्त किये गये शिकदार परगना का मुख्य प्रशासक था। 
  • शिकदार  का काम परगने में शान्ति एवं सुव्यवस्था तथा लगान वसूल करना था और इसके साथ ही परगने में मालगुजारी निर्धारण करना था। परगने का प्रशासनिक कार्य भी यह देखता था।
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  • आमिल परगने का प्रमुख अधिकारी था। इसका प्रमुख कार्य मालगुजारी वसूल करना था। इसके साथी ही परगने का प्रशासनिक कार्य भी देखते थे शाहजहाँ के शासनकाल में प्रथम बार प्रत्येक परगने में मालगुजारी निर्धारण एक नई इकाई चकला का संगठन किया। 
  • आमिल का काम परगने की मालगुजारी निश्चित करना और उसकी वसूली करना था। इस कारण किसानों के साथ उसका निकट सम्पर्क रहता था। 
  • खजानदार प्रत्येक परगने में एक होता था। इसका प्रमुख शासनाधिकारी खजानदार या फोतदार कहलाता था। 
  • खजानदार परगने के खजाने के धन के हिसाब किताब का उत्तरदायी होता था। इसका प्रमुख कार्य परगना के कोष की निगरानी करना तथा यह देखना कि जमा धन सुरक्षित रहे तथा दीवान की अनुमति के खर्च न हो । 
  • शेरशाह और अकबर के काल में एक परगने में एक कानूनगो की नियुक्ति होती थी। इसकी नियुक्ति राजाज्ञा द्वारा होती थी। साधारणतया यह पद वंशानुगत हो गया था। 
  • परगना में न्याय का कार्य शिकदारकाजीकोतवाल द्वारा सम्पादित होता था। 
  • शिकदार परगने का प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी था। शान्ति सुव्यवस्था के अतिरिक्त वह परगने के फौजदारी मुकदमों का निर्णय करता था। 
  • परगने का मुख्य न्यायालय परगना न्यायालय था। इसका मुख्य न्यायाधीश काजी ए परगना था। इसकी नियुक्ति राजसी सनद द्वारा होती थी। एक मुफ्तीएक मुहतसिव-ए-परगना तथा एक दरोग-ए-अदालत काजी की सहायता के लिए नियुक्त थे। 
  • प्रत्येक बड़े गांव एवं महत्वपूर्ण नगर में काजी नियुक्त होता था। काजियों के अधीन मस्जिदों की देख-रेख भी की जाती थी और वे शिक्षा भी दिया करते थे। 
  • परगने के लगान सम्बन्धी मुकदमों का निर्णय अमीन आमिल या करोड़ी करता था। 
  • परगने के नगर में कोतवाल-ए-परगना रहता था जो साधारण अपराध का निर्णय करता था।
  • मुसलमानों के दीवानी मुकदमों का फैसला इस्लामी कानून के आधार पर होता था। फौजदारी कानून हिन्दू तथा मुसलमानों के लिए समान था। 

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