भारतीय इतिहास पर अशोक की धार्मिक नीति का प्रभाव | Samrat Ashok Ki Dham Niti Ka Bharat Par Pabhav
भारतीय इतिहास पर अशोक की धार्मिक नीति का प्रभाव
Samrat Ashok Ki Dham Niti Ka Bharat Par Pabhav
- अशोक द्वारा बौद्ध धर्म को स्वीकार करने का भारत का इतिहास पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा। अब सम्राट अशोक ने युद्ध और साम्राज्य विस्तार की नीति को त्याग दिया और उसके स्थान पर धर्म विजय को अपना लक्ष्य बनाया। इस नीति को अपनाकर उसने भारतीय इतिहास को एक नया मोड़ दिया।
- मौर्य वंश की स्थापना भारतीय इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। इसने देश के राजनीतिक एकीकरण के क्रम को प्रारम्भ किया था। इस तरह का राजनीतिक एकीकरण शक्ति और युद्ध के आधार पर ही हो सकता था।
- यदि अशोक दिग्विजय की नीति का परित्याग कर धर्म विजय की नीति को नहीं अपनाये रहता तो सम्भव था कि भारतीय इतिहास के उषाकाल में ही देश का पूर्ण राजनीतिक एकीकरण हो गया रहता और बाद में सदियों में विकेंद्रीकरण की प्रवृत्ति शक्तिशाली नहीं होती।
- लेकिन, उसकी धर्म विजय की नीति ने इस क्रम को जन्म के समय ही रोककर भारतीय इतिहास के लिए एक अभिशाप उत्पन्न कर दिया। अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के अपनाये जाने का एक अच्छा परिणाम भी हुआ।
- बौद्ध धर्म को अपनाकर अशोक बहुत बड़ा धर्म प्रचारक हो गया। उसने विदेशों में कई धर्म प्रचारक भेजे। इसके पूर्व भारतीय कभी किसी काम को लेकर देश के बाहर नहीं गये थे। लेकिन, अशोक की इस नीति के फलस्वरूप बहुत से भारतीय दूसरे देशों में गये और बाहरी दुनिया से उसका सम्पर्क स्थापित हुआ। इसके बाद बाहर के देशों से बहुत लोग भारत आये। इस प्रकार विदेशों के साथ विचारों का आदान-प्रदान शुरू हुआ और बाद में व्यापारिक सम्बन्ध भी कायम हुआ।
- अशोक के बौद्ध होने का भारतीय इतिहास पर यह एक बड़ा अच्छा प्रभाव सिद्ध हुआ। विदेशों के साथ भारत के सम्बन्ध का क्रमिक इतिहास यहीं से शुरू होता है।
- भारत के इतिहास को बाद तक बौद्ध धर्म ने बहुत प्रभावित किया है। सम्भव है यदि इस धर्म को अशोक का आश्रय और संरक्षण मिला होता तो ब्राह्मण धर्म को प्रबल आघात से यह धर्म भारत से शीघ्र ही लुप्त हो गया होता। लेकिन, अशोक जैसे महान् सम्राट का संरक्षण मिल जाने से बौद्ध धर्म एक सशक्त आंदोलन हो गया और बाद में भारतीय इतिहास पर इसने जो भी प्रभाव डाला, उसका अधिक श्रेय हमें अशोक को ही देना पड़ेगा।
- आज भी बौद्ध धर्म भारत के कई पड़ोसी देशों में प्रचलित है। लंका, बर्मा, स्याम आदि देशों से भारत का वर्तमान सम्बन्ध बड़ा घनिष्ठ है और इस घनिष्ठता को बढ़ाने में बौद्ध धर्म का प्रमुख हाथ है। उक्त देशों में बौद्ध धर्म के प्रचार का सारा श्रेय अशोक को है।
- अशोक द्वारा बौद्ध धर्म का अपनाया जाना बहुत बड़ा ऐतिहासिक महत्त्व रखता है। इसने केवल समकालीन भारतीय इतिहास को ही नहीं, वरन् आधुनिक काल के इतिहास को भी प्रभावित किया है। परन्तु अशोक की इस नीति का एक दुष्परिणाम भी निकला। उसकी धर्म विजय और अहिंसा की नीति के फलस्वरूप मौर्य साम्राज्य की सैनिक शक्ति क्षीण हो गई और उसकी मृत्यु के पश्चात् शीघ्र ही भारत का राजनीतिक पतन हो गया।
डॉ. हेमचन्द्र राय चौधरी लिखते हैं
"कलिंग के युद्ध की चीख-पुकार से साम्राज्यवादी मगध की शक्ति भी लुप्त हो गयी। अशोक ने अपने पूर्वजों के आक्रामक सैनिकवाद का परित्याग कर दिया और एक ऐसी धर्म विजय की नीति का विकास किया जिसने राज्य की सैनिक शक्ति को अवश्य ही हानि पहुँचाई। उसने न केवल अपने पुत्रों को बल्कि पौत्रों को भी नये प्रकार की विजय को अपनाने के लिए कहा और यह आदेश दिया कि रक्तपात का परित्याग करके जहाँ तक सम्भव हो सके सहनशीलता में ही आनन्द प्राप्त किया जाये। उसके उत्तराधिकारियों ने भेरीघोष के स्थान पर धर्मघोष अधिक सुना। इसलिए यह असमंजस की बात नहीं है कि पाटलिपुत्र की गद्दी पर आने वाले उसके उत्तराधिकारी उस शक्तिशाली राज्य को बनाये न रख सके, जिसका निर्माण चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने किया था। "
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