भारत के इतिहास को समझना Understanding the history of India
भारत के इतिहास को समझना Understanding the history of India
इतिहास किसे कहते हैं
- बीती हुई घटनाओं के अध्ययन को इतिहास कहते हैं। इससे हमें उन प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलती है जिन्होंने मानव को अपने वातावरण पर विजय प्राप्त करने की तथा आज की सभ्यता का विकास करने की क्षमता दी ।
- कुछ लोग समझते हैं कि इतिहास में केवल युद्धों और राजाओं के ब्यौरे ही होते हैं। ऐसा नहीं है। इसमें उपलब्ध स्रोतों के आधार पर एक लंबी अवधि के समाज, अर्थव्यवस्था और सांस्क तिक प्रवत्तियो का विश्लेषण किया जाता है ।
- इतिहासकार इस समय के दौरान आई विभिन्न स्थितियों का मूल्यांकन करता है और प्रश्न उठाता है कि कुछ घटनाएँ क्यों घटीं और यह भी देखता है कि समस्त समाज पर उनका प्रभाव क्या रहा? जब भी कोई नया प्रमाण सामने आता है या पहले से मौजूद प्रमाणों की विद्वानों द्वारा नई व्याख्या की जाती है तो इससे अतीत के बारे में हमारी जानकारी और समद्ध होती है ।
- इतिहासकार तथ्य और कल्पना के बीच अंतर करता है लेकिन किसी समाज में मौखिक परंपरा पर आधारित मिथकों में बीती घटनाओं की स्म तियाँ भी छिपी हो सकती हैं।
- इतिहासकार का काम है, विभिन्न ऐतिहासिक प्रमाणों की सत्यता की जाँच के द्वारा तथ्य की पहचान करना ।
प्राचीन भारतीय इतिहास के पुनर्निमाण के स्रोत
Sources for Reconstruction of Ancient Indian History
- प्राचीन भारतीय इतिहास की पुनः संरचना के लिए प्रयुक्त स्रोत सामग्री की आवश्यकता होती है । लेकिन स्वयं स्रोत अतीत को हमारे सामने नहीं लाते | उन्हें व्याख्या की ज़रूरत होती है और इतिहासकार उन स्रोतों को वाणी देते हैं।
- वास्तव में इतिहासकार से अपेक्षा की जाती है कि सार्थक रूप से समझाने के लिए वह स्रोत को ढूँढे, पाठों को पढ़े, सुरागों का पीछा करें, उपयुक्त प्रश्न उठाए और प्रमाणों की सत्यता की जाँच करे । उदाहरण के लिए सन 1826 में चार्ल्स मेसन ने पश्चिमी पंजाब के हड़प्पा गाँव में (जो अब पाकिस्तान में है) किसी पुरानी बस्ती की ऊँची-ऊँची दीवारें और मीनारें देखीं और इसके पाँच दशक बाद सर अलेक्जेंडर कनिंघम ने उसी स्थान से कुछ सील मुहरें एकत्रित कीं। लेकिन इसके भी पचास वर्ष बाद जाकर पुरातत्त्ववेत्ता जॉन मार्शल ने वहाँ सिंध क्षेत्र की प्राचीनतम सभ्यता की पहचान की ।
- इतिहासकार तरह तरह के साक्ष्यों की पुष्टि कैसे करते हैं, उसका एक और उदाहरण हम दे रहे हैं। राजा हर्षवर्धन (ईसा की सातवीं शताब्दी) से जुड़े किसी भी स्रोत में हमें चालुक्य पुलकेशिन द्वितीय के हाथों उनकी पराजय का उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन राजा पुलकेशिन द्वितीय के एक शिलालेख में उनके द्वारा हराने का दावा किया गया है। इस स्थिति में यह स्पष्ट हो जाता है कि हर्ष की जीवनी हर्षचरित्र के लेखक बाणभट्ट ने जानबूझकर अपने आश्रयदाता की पराजय का उल्लेख नहीं किया है।
इतिहास का शाब्दिक अर्थ
- इतिहास का शाब्दिक अर्थ है, ऐसा हुआ। अंग्रेजी में इसका अनुवाद History (हिस्ट्री) किया जाता है। एक समय था जब लिखित अभिलेखों को ही इतिहास का प्रामाणिक स्रोत माना जाता था । लिखित सामग्री की सत्यता जाँची जा सकती है, उसे उद्घत किया जा सकता है और अन्य स्रोतों से उसकी पुष्टि भी की जा सकती है।
- मिथक, लोकगीत आदि मौखिक साक्ष्यों को सही स्रोत माना ही नहीं जाता था। प्रारंभिक इतिहासकार मिथकों, कथाओं और मौखिक परंपराओं का सहारा नाममात्र को ही लेते थे क्योंकि न तो उनके सही होने का कोई प्रमाण होता था, और न उनकी सच्चाई की जाँच हो सकती थी। लेकिन आज अनेक नए तरीकों से गैर पारंपरिक स्रोतों का उपयोग हो रहा है।
- परंपराओं और सांस्कतिक प्रवत्तियों का अध्ययन अन्य ऐतिहासिक तथ्यों की रोशनी में होना चाहिए। उदाहरण के लिए, महाभारत दो भाइयों की संतानों के बीच हुए संघर्ष की गाथा है। हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि इस महाकाव्य में वर्णित युद्ध सचमुच हुआ था या नहीं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह युद्ध वास्तव में हुआ था, जबकि कुछ अन्य इतिहासकार दूसरे स्रोतों से पुष्टि हुए बिना इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं। मूल कथा शायद सूतों द्वारा रची गई हो जो आम तौर पर क्षत्रिय योद्धाओं के साथ युद्ध क्षेत्र में जाते थे और उनकी विजयों तथा अन्य उपलब्धियों की प्रशंसा में काव्य रच-रचकर सुनाते थे। ये रचनाएँ मौखिक रूप में ही प्रसारित होती थीं और मानव स्मृति का एक हिस्सा बनकर सुरक्षित बची रहीं।
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