लोक सेवकों में अंतरात्मा सुनिश्चित करने के उपाय | अंतरात्मा और कानून में संबंध | Antaraatma Aur Kanun Me Sambandh
लोक सेवकों में अंतरात्मा सुनिश्चित करने के उपायअंतरात्मा और कानून में संबंध
लोक सेवकों में अंतरात्मा सुनिश्चित करने के उपाय
लोक सेवकों के लिए नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में अंतरात्मा की सजगता का अत्यंत महत्व है इसीलिए इसे विकसित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए।
- फ्रायड महोदय के अनुसार अंतरात्मा का विकास लगभग 3-5 वर्ष की अवस्था में अधिकतम हो जाता है। इसलिए आवश्यक है कि बचपन में ही अंतरात्मा में सहायक तत्वों को परिवारिक और शैक्षणिक स्तर पर शामिल किया जाना चाहिए। इसी परिप्रेक्ष्य में 1999 में S.V. Chauhan समिति की सिफारिश पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम में नैतिकता संबंधी मूल्यों को शामिल किया गया है।
- यदि लोक सेवकों के नैतिक मार्गदर्शन के लिए अंतरात्मा अत्यंत आवश्यक है तो इसे सिविल सेवा तक की परीक्षा में भी शामिल किया जाना चाहिए। क्योंकि अभी तक सिविल सेवकों की भर्ती परीक्षा में बौद्धिक ज्ञान को ही महत्व दिया जा रहा है। इसी संदर्भ में यू.जी.सी. के पूर्व अध्यक्ष अरुण निकवेकर की अध्यक्षता में (2012) गठित समिति ने आचारशास्त्र संबंधी पाठ्यक्रम को शामिल करने की अनुशंसा की है जिसे कि वर्ष 2013 से संघ लोक सेवा आयोग ने अपनाया तथा इसी कड़ी में म.प्र. लोकसेवा आयोग ने वर्ष 2014 से नीतिशास्त्र संबंधी पाठ्यक्रम शामिल किया है।
- सिविल सेवकों में आधारभूत अंतरात्मा का विकास अभ्यास के द्वारा भी किया जा सकता है। उन्हें इस तरह के अनुभवजन्य केस स्टडी या प्रकरण अध्ययन के जरिये प्रशिक्षित किया जा सकता है। इसी संदर्भ में राष्ट्रीय लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक एकेडमी मसूरी में प्रकरण अध्ययन के माध्यम से क्रांतिक स्थितियों में निर्णय, निर्माण और अंतरात्मा तथा नैतिकता संबंधी व्यवहारों का अभ्यास कराया जाता है यह 7 दिवसीय प्रशिक्षण (संवेदना प्रशिक्षण) के नाम से भी जाना जाता है।
- देश या समाज में जो महान विचारक, दार्शनिक, प्रशासनिक और नेता हुये हैं उनके आदर्शों, मूल्यों और त्याग तथा बलिदान को भी नैतिक मार्गदर्शन के रूप में लोकसेवकों को पढ़ाया जाना चाहिए जिससे कि लोकसेवक उन महान आदशों को अपने व्यवहार में शामिल करने के लिए प्रेरित हो ।
- व्यावहारिक जीवन में ऐसे लोक सेवक जिन्होंने अंतरात्मा और नैतिकता के संबंध में सफल प्रयोग किये गये हैं उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए जैसे अहमद नगर महाराष्ट्र का नखीना प्रयोग, धार जिले के कलेक्टर द्वारा ज्ञानदूत परियोजना और बदायूँ उ.प्र. में डलिया जलाओ जैसी सराहनीय पहले पुरस्कारों के द्वारा प्रोत्साहित की जानी चाहिए।
अंतरात्मा और कानून में संबंध
- कानून का संबंध समाज में व्यवस्था बनाने वाले नैतिक पहलुओं को स्थापित करने से है। कानून एक बाहरी तत्व है तथा यह सामान्य है।
- कानून का अस्तित्व सभ्य समाज की स्थापना से भी रहा है लेकिन फिर भी समाज में नैतिकता के तत्वों में लगातार गिरावट आयी है। इसका कारण समाज में गिरते मूल्य हैं। इसीलिए अंतरात्मा जो कि आंतरिक तत्व है महत्वपूर्ण हो जाती है।
- व्यक्ति को नैतिक पथ पर रखने के लिए तथा कानून से अलग नैतिकता अभ्यासजन्य व्यवहार है लोक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए इन दोनों ही पहलुओं की आवश्यकता है।
Post a Comment